नई दिल्ली : चुनाव प्रचार के लिए गिरफ्तारी से राहत मांग रहे गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के बिमल गुरुंग समेत छह नेताओं की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट तीन अप्रैल को आदेश सुनाएगा। आज सुनवाई के दौरान इन नेताओं ने कहा कि राज्य सरकार इन्हें चुनाव से दूर रखने के लिए फ़र्ज़ी मामले बना रही है जबकि टीएमसी से जा मिले बिनय तमांग के केस रद्द किए जा रहे हैं। सुनवाई के दौरान गोरखा जन मुक्ति मोर्चा के नेता बिमल गुरुंग की गिरफ्तारी से रोक की मांग वाली याचिका का पश्चिम बंगाल सरकार ने विरोध किया।
पश्चिम बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि गुरुंग और उसके साथियों के खिलाफ आतंकी गतिविधियों मे शामिल होने के पर्याप्त सबूत मिले हैं। पश्चिम बंगाल सरकार ने कहा कि इन लोगों के पास से एके 47 रायफल भी मिली है और कई बार इन लोगों की अग्रिम जमानत की मांग खारिज हो चुकी है। पश्चिम बंगाल की तरफ से कपिल सिब्बल ने कहा कि याचिका रोशन गिरी ने दाखिल की है और गिरफ्तारी से प्रोटेक्शन बिमल गुरुंग मांग रहे हैं।
सुनवाई के दौरान इन नेताओं ने कहा कि राज्य में आतंक का माहौल है। उन्हें चुनाव से दूर रखने के लिए उनके खिलाफ झूठे मामले दर्ज किए जा रहे हैं। इन नेताओं ने गिरफ्तारी से तीन हफ्ते की छूट देने की मांग की ताकि वे चुनाव में हिस्सा ले सकें। 28 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के छह नेताओं से उनके खिलाफ लंबित केसों की जानकारी मांगी थी। 14 मार्च को याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी किया था।