नई दिल्ली : एनजीटी ने राजस्थान में मौसमी नदी बांदी में प्रदूषण रोकने में नाकाम रहने पर राजस्थान सरकार पर 20 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने के अपने आदेश में संशोधन करने से इनकार कर दिया है। जस्टिस रघुवेंद्र एस. राठौड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि उद्योगों ने पर्यावरण को जो नुकसान पहुंचाया है उसे देखते हुए 20 करोड़ के जुर्माने की रकम ज्यादा नहीं है। राजस्थान सरकार ने एनजीटी के पिछले 31 जनवरी के उस आदेश के खिलाफ एनजीटी में रिव्यू पिटीशन दायर किया था। एनजीटी ने पिछले 31 जनवरी को 500 टेक्सटाइल फैक्ट्रियों से निकलने वाले प्रदूषित पानी को ट्रीट करने के लिए बने कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) के संचालकों पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था।
एनजीटी ने विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट पर गौर करते हुए राजस्थान के कृषि विभाग को निर्देश दिया कि वो बांदी नदी के प्रदूषित पानी से किसानों और ग्रामीणों को हुए नुकसान का आकलन करें। एनजीटी ने कहा कि आसपास के कुंओं के पानी को हुए नुकसान का भी आकलन करने का निर्देश दिया था। एनजीटी ने राजस्थान के स्वास्थ्य विभाग को ग्रामीणों के स्वास्थ्य पर प्रदूषित पानी के असर का आकलन कर रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था। एनजीटी ने राजस्थान के जल संसाधन सचिव को निर्देश दिया है कि वो बांदी नदी के जलग्रहण क्षेत्र में प्रदूषित पानी के असर और वाटर रिजर्व की गुणवत्ता का आकलन करें। रिपोर्ट में पेयजल को हुए नुकसान का आकलन कर एक महीने में रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।