पायलट अभिनंदन वर्धमान के मामले ने कारगिल युद्ध के समय पाकिस्तान में बंदी बनाए गए 26 वर्षीय प्लाइट लेफ्टिनेंट कमबमपति नचिकेता के मामले की याद दिला दी है। हालांकि नचिकेता को आठ दिन में ही रिहाई मिल गई थी।
कारगिल में सैन्य कार्रवाई के दौरान 27 मई 1999 को वायुसेना की 9वीं स्क्वाड्रन के फ्लाइट लेफ्टिनेंट नचिकेता मिग एयरक्राफ्ट उड़ा रहे थे। उन्हें आदेश दिया गया था कि नियंत्रण रेखा पार नहीं करना है। नचिकेता 17 हजार फीट की ऊंचाई पर बटालिक इलाके में मिग से दुश्मनों पर भारी बमबारी कर रहे थे। तभी उनके फाइटर जेट का इंजन फेल हो गया और वह पैराशूट से बाहर आ गए, लेकिन पाकिस्तान ने उन्हें कब्जे में लिया। पकड़े जाने के पहले उन्होंने पिस्तौल से भी पाक सैनिकों पर गोलियां चलाईं। पकड़े जाने के बाद पाकिस्तान सैनिकों ने उनसे हाथापाई की, लेकिन अधिकारियों के आने पर उन्हें बचाया गया।
कारगिल युद्ध के दौरान वह एकमात्र युद्धबंदी थे। भारत के प्रयासों और अंतरराष्ट्रीय दबाव के बाद पाक ने नचिकेता को रेडक्रास समिति को सौंपा, जिसके बाद वह वाघा बार्डर के जरिये भारत लौटे। उन्होंने वर्ष 2003 में दोबारा फाइटर जेट उड़ाना शुरू किया। वर्ष 2000 में उन्हें वायुसेना मेडल से भी सम्मानित किया गया।