कश्मीर समस्या : इस्लामिक जेहाद की मानसिकता और कांग्रेस की मुस्लिम तुष्टिकरण नीति की उपज

सिर्फ सेना ही इनका माकूल और मुकम्मल इलाज

दयानंद पांडेय

लखनऊ : पाकिस्तान हमारी इसी कमजोरी का निरंतर लाभ लेता रहा है, आगे भी लेता रहेगा। इस्लाम अगर कश्मीर के बीच न आता और कि विभिन्न सरकारें मुस्लिम समाज के दंगाई तत्वों से न डरतीं, सेक्यूलर फोर्सेज के ब्लैकमेल के आगे न झुकतीं तो कश्मीर ही नहीं पूरे देश में आतंकवाद का नामोनिशान नहीं होता। मुस्लिम तुष्टिकरण की जगह, सेक्यूलर फोर्सेज की ब्लैकमेलिंग से मुक्त हो कर अमरीका, फ़्रांस, चीन, इजरायल आदि देशों की तरह इन देशद्रोही ताकतों से सिर्फ और सिर्फ गोली से पूरी निर्ममता से निपटना चाहिए। तय मानिए कि दो घंटे में देश आतंकवाद से मुक्त हो जाएगा। कैंसर और एड्स जैसी बीमारियों के साथ जितनी रियायत करेंगे, वह आप को उतना ही परेशान करेंगे।

लेकिन क्या कीजिएगा जिस देश में एक फ़िल्मी डायलाग, हाऊ इज द जोश! बोलना भी भाजपाई होना हो जाता है। भारत माता की जय बोलना, वंदे मातरम बोलना, सांप्रदायिक होना हो जाता है, उस देश में कभी कुछ नहीं हो सकता। मैं फिर से कहना चाहता हूं कि कश्मीर समस्या का हल बातचीत से नहीं सिर्फ़ और सिर्फ़ गोली से निकलता है। गवर्नर वगैरह हटा कर सिर्फ़ सेना के हवाले कश्मीर को कर दीजिए, दो दिन में सब कुछ दुरुस्त हो जाएगा। इस्लामिक जेहाद की हिंसा क़ानून और राजनीतिक संवाद से नहीं सुलझने वाली। यही उन की ताकत है। जिस दिन देश इन से इन की यह ताकत छीन लेगा, कश्मीर समस्या और आतंकवाद उसी दिन खत्म समझिए। सिर्फ और सिर्फ सेना ही इनका माकूल और मुकम्मल इलाज है।

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