भारत ने मंगलवार को रखाइन राज्य में विस्थापित रोहिंग्या मुस्लिम अल्पसंख्यकों के लिए बनाए गए पहले 50 घरों को म्यांमार को सौंप दिया. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और उनके म्यांमार समकक्ष यू विन मिंट के बीच यहां प्रतिनिधि स्तर की वार्ता के बाद यह घर सौंपे गए. राष्ट्रपति भवन द्वारा जारी बयान के मुताबिक, दोनों पक्षों ने वार्ता के बाद म्यांमार में न्यायाधीशों की और न्यायिक अधिकारिकों की क्षमता निर्माण और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में सहयोग के समझौतों पर हस्ताक्षर किए. राष्ट्रपति का तीन दिवसीय पूर्वी पड़ोसी देश दौरा यहां राष्ट्रपति भवन में एक औपचारिक स्वागत के साथ शुरू हुआ.
भारत ने पिछले साल के अंत में रखाइन के लिए एक विकास कार्यक्रम पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें विस्थापित व्यक्तियों के लौटने के लिए घर निर्माण में म्यांमार सरकार की सहायता करने की बात कही गई थी. इस विकास परियोजना के पहले चरण के अंतर्गत ढाई सौ घर बनाने की योजना बनाई गई है.कोविंद के दौरे के साथ ही म्यांमार ने भारतीय पर्यटकों के लिए वीजा ऑन अराइवल सुविधा की भी घोषणा की है.
भारत-म्यांमार संबंध
राष्ट्रपति भवन के बयान के मुताबिक, कोविंद ने वार्ता के दौरान कहा कि भारत, म्यांमार के साथ अपने संबंधों को विशेष प्राथमिकता देता है. बयान में कहा गया, “म्यांमार, भारत की एक्ट ईस्ट और पड़ोसी पहले नीतियों के लिए एक मुख्य साझेदार है.”
‘नेचुरल ब्रिज’
बयान के मुताबिक, “राष्ट्रपति कोविंद ने म्यांमार को भारत से दक्षिणपूर्व एशिया व आसियान की ओर जाने के लिए ‘नेचुरल ब्रिज’ करार दिया.” कोविंद ने म्यांमार की विकास योजनाओं में भारत की भागीदारी पर गर्व जताते हुए म्यांमार से अधूरी परियोजनाओं को शीघ्र पूरा करने के लिए समर्थन भी मांगा. भारत, म्यांमार और थाईलैंड को जोड़ने वाला एक त्रिपक्षीय राजमार्ग फिलहाल निर्माणाधीन है.
आंग सान सू से कोविंद की मुलाकात
कोविंद ने राष्ट्रपति भवन में म्यांमार की स्टेट काउंसेलर आंग सान सू की व दो अन्य नेताओं से भी मुलाकात की और विभिन्न द्विपक्षीय व बहुपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की.
बयान में कहा गया, “राष्ट्रपति ने कहा कि भारत, म्यांमार में जारी सुधारों की दिल से प्रशंसा करता है.” उन्होंने कहा, “हम समझते हैं कि यह वक्त म्यांमार के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण है. इसकी राष्ट्रीय शांति प्रक्रिया के प्रति भारत का पूर्ण समर्थन है.”
कोविंद म्यांमार के अपने तीन दिवसीय दौरे के दौरान यांगून की भी यात्रा करेंगे. यह भारत के साथ जमीनी सीमा को साझा करने वाले देश का उनका पहला दौरा होगा.