लखनऊ। उत्तर प्रदेश को भविष्य आधारित आधुनिक टेक्नोलॉजी का गढ़ बनाने के लिए प्रतिबद्ध योगी सरकार ने ड्रीम प्रोजेक्ट पर कार्य शुरू कर दिया है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के सबसे बड़े हब के तौर पर उत्तर प्रदेश के विकास का विस्तृत खाका तो तैयार है ही, इसे धरातल पर उतारने की प्रक्रिया भी जारी है। सीएम योगी के विजन अनुसार प्रदेश के 75 जिलों में वर्क फोर्स को ‘एआई इनेबल्ड’ बनाने की कार्ययोजना क्रियान्वित कर दी गई है जिसके जरिए प्रदेश का प्रत्येक जनपद नवाचार की नई मिसाल कायम करने की ओर बढ़ेगा। आईटी व इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग द्वारा तैयार की गई विस्तृत कार्ययोजना के अनुसार, प्रदेश में प्रत्येक माह 1.5 लाख लोगों को एआई आधारित विभिन्न प्रकार की तकनीकों में दक्ष बनाया जाएगा।
इसके लिए आईटी व इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग की सेंटर फॉर ई-गवर्नेंस (सीईसी) नोडल एजेंसी के तौर पर कार्य करेगी। वह यह सुनिश्चित करेगी कि परियोजना का न केवल प्रत्येक जनपद में क्रियान्वयन हो, बल्कि यह प्रक्रिया सही दिशा में कार्य करे और निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति हो, इसके लिए वह बाकायदा मॉनिटरिंग करेगी। प्रदेश को ‘वन ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी’ बनाने की दिशा में योगी सरकार का यह प्रयास प्रमुख प्राथमिकता पर है, जिसकी पूर्ति के लिए वैश्विक दिग्गज कंपनियों का सहयोग तथा कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) फंड्स का इस्तेमाल भी किया जाएगा।
प्रत्येक माह 1.5 लाख लोगों को मिलेगी ट्रेनिंग
आईटी व इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग की कार्ययोजना के अनुसार, प्रदेश को एआई ड्रिवन टेक्नोलॉजी का हब बनाने के लिए प्रत्येक जिले में एआई आधारित तकनीकों की ट्रेनिंग उपलब्ध करायी जाएगी। इसके लिए प्रदेश में 3 चरणों में एक्शन प्लान को लागू किया जा रहा है। पहले चरण के अंतर्गत शुरुआती 2 महीनों में प्रदेश भर में 3500 से अधिक प्रशिक्षकों को ट्रेंड किया जाएगा। इसके लिए पाठ्यक्रम की तैयारी की जा रही है। दूसरे चरण में राज्यभर में प्रशिक्षण केन्द्रों की स्थापना व प्रशिक्षण कार्यक्रमों की शुरुआत की जाएगी। तीसरे यानी दीर्घकालिक लक्ष्य के तौर पर मास्टर ट्रेनर्स के जरिए प्रदेश में हर महीने 1.5 लाख लोगों को एआई तकनीकों में स्किल्ड किया जाएगा। इस प्रकार, प्रतिदिन मल्टीपल बैच के आयोजन से 4 से 6 माह के भीतर प्रदेश में 10 लाख लोगों को एआई तकनीकों में ट्रेंड किया जाएगा। इस ट्रेनिंग प्रक्रिया में राज्य सरकार के कर्मचारी, टीचर, प्रोफेसर, डॉक्टर, स्टूडेंट, प्रोफेशनल्स, एनजीओ, प्रगतिशील किसान, जनसेवा केन्दों व महिलाओं को दक्ष बनाने की तैयारी है।
ऑफलाइन-ऑनलाइन दोनों ही माध्यमों से होगी ट्रेनिंग प्रक्रिया
कार्ययोजना के अनुसार, प्रदेश में ऑफलाइन-ऑलाइन दोनों ही माध्यमों से ट्रेनिंग प्रक्रिया को पूरा किए जाने की तैयारी है। राज्यभर के सरकारी व निजी तकनीकी संस्थानों, विश्वविद्यालयों व कौशल विकास केंद्रों में विशेषज्ञ प्रशिक्षकों द्वारा क्लारूम ट्रेनिंग दी जाएगी। जिला स्तर पर कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके), सेवायोजन कार्यालय, जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान, प्रोफेशनल्स के लिए डिस्ट्रिक्ट इंडस्ट्री सेंटर व मंडल स्तर पर मीटिंग व ट्रेनिंग हॉल में डिस्ट्रिक्ट ई-गवर्नेंस सोसाइटी के साथ समन्वय कर किया जाएगा। प्रदेश में तकनीकी संस्थाओं में स्थापित विशेष एआई लैब, कंप्यूटर लैब व प्रशिक्षण केन्द्रों में भी इस प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा। प्रशिक्षण के दौरान एआई के बेसिक्स, मशीन लर्निंग, डाटा एनालिटिक्स और विभिन्न सेक्टर्स में इनके इस्तेमाल को लेकर दक्ष बनाया जाएगा।
सीएसआर फंड्स का भी होगा इस्तेमाल
आईटी व इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग की योजना के अनुसार, प्रदेश भर में एआई ट्रेनिंग के लक्ष्य को पूरा करने के लिए आवश्यक्ता अनुसार सीएसआर फंड्स का भी इस्तेमाल किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में माइक्रोसॉफ्ट, इंटेल, गुवी (एचसीएल), वाधवानी, 1 मिलियन 1 बिलियन (1M1B) जैसी दिग्गज कंपनियों के साथ प्रशिक्षण प्रक्रिया को पूरा किए जाएगा। हालांकि, इसके अतिरिक्त भी योगी सरकार एआई प्रशिक्षण उपलब्ध कराने के लिए अन्य कंपनियों व संस्थानों का सहयोग लेने पर फोकस कर रही है।