लखनऊ। ग्लोबल वार्मिंग के नाते मौसम में लगातार आ रहा अप्रत्याशित बदलाव देश और दुनिया के लिए वर्तमान में सर्वाधिक चिंता का विषय है। बढ़ती गर्मी, हिट वेव्स (लू) की बढ़ती संख्या, बेमौसम बारिश, कुछ घंटे में ही जरूरत से ज्यादा बारिश, बारिश के सीजन में सूखे दिनों की संख्या का लंबा खिंचना, आकाशीय बिजली का अधिक गिरना आदि मौसम की अप्रत्याशित बदलाव के लक्षण हैं। ये सारी घटनाएं हाल के वर्षों में कई वजहों से बढ़ी हैं। मौसम के इस अप्रत्याशित रवैए से निपटने के दो प्रभावी तरीके हैं। एक है जहां तक संभव हो पौध रोपण के जरिए ग्रीनरी (हरियाली) को बढ़ाना और इको फ्रेंडली ग्रीन एनर्जी को प्रोत्साहन देना।
दोनों पर सरकार का बराबर का फोकस
योगी सरकार का इन दोनों कार्यों पर बराबर का फोकस भी है। उनकी मंशा पर्यावरण के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण इन दोनों क्षेत्रों में उत्तर भारत को देश का रोल निभा बनाना है। काफी हद तक उनकी सरकार इस प्रयास में सफल भी रही है। अभी हाल में ही केंद्रीय उपभोक्ता एवं खाद्य मंत्री प्रहलाद जोशी लखनऊ के दौरे पर आए थे। इस अवसर पर उन्होंने कहा,”मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुआई में उत्तर प्रदेश ऊर्जा की बढ़ती मांग के अनुरूप एक रोल मॉडल बन रहा है। सरकार द्वारा अयोध्या और वाराणसी में सौर ऊर्जा (सोलर एनर्जी) को लेकर हुए काम अनुकरणीय हैं।
योगी सरकार ने सौर ऊर्जा नीति 2022 के तहत सोलर एनर्जी से 2027 तक 22 हजार मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा है। इसके लिए झांसी,ललितपुर, कानपुर नगर,कानपुर देहात,चित्रकूट और जालौन में सोलर पार्क बनाए जा रहे हैं
आठ साल में दस गुना बढ़ा सोलर एनर्जी का उत्पादन
मालूम हो कि 2017 में जब योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने थे तब उत्तर प्रदेश में सिर्फ 288 मेगावाट बिजली ही सोलर परियोजनाओं के जरिए पैदा होती थी। वर्तमान समय में सरकार उससे 10 गुना बिजली सोलर परियोजनाओं से पैदा कर रही है। इस क्षमता को लगातार बढ़ाने का प्रयास भी जारी है। इसके लिए सभी नगर निगमों में सोलर पार्क बनेंगे। एक्सप्रेस के साथ रेलवे ट्रैकों के किनारे भी सोलर ग्रिड स्थापति किए जाएंगे। स्ट्रीट लाइटस भी सोलर से रौशन होंगे। बेहतर आपत्ति के लिए ट्रांसमिशन नेटवर्क को और मजबूत किया जाएगा।
बता दें कि योगी सरकार अयोध्या को सूर्यवंशी भगवान श्रीराम की याद में सोलर सिटी के रूप में विकसित कर रही है। बाकी सभी 16 नगर निगमों एवं नोएडा को भी चरणबद्ध तरीके से सोलर सिटी के रूप में विकसित करने का काम किया जा रहा है। सरकार पहले ही घोषणा कर चुकी है कि वह बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे को सोलर एक्सप्रेस वे के रूप में विकसित करेगी। ऐसा होने पर यह देश का पहला सोलर एक्सप्रेस वे बन जाएगा।
सोलर एनर्जी को बढ़ाने के लिए रूफ टॉप सोलर पैनल को प्रोत्साहित कर रही सरकार
सोलर एनर्जी को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार रूफ टॉप परियोजना को भी लगातार बढ़ावा दे रही है। पीएम सूर्य योजना के तहत संचालित इस योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए रूफ टॉप पैनल के लक्ष्य को दोगुना कर दिया गया है। इस लिहाज से इस वित्तीय वर्ष में 2.65 लाख रूफ टॉप सोलर पैनल लगाए जाने हैं। आवास एवं शहरी नियोजन विभाग ने सोलर रूफ टॉप और भवन निर्माण के बारे में नया प्राविधान बनाया है। इसके अनुसार अब 5000 वर्गमीटर के नक्शे के लिए रूफ टॉप अनिवार्य होगा। विभाग इसकी मॉनिटरिंग भी करेगा। अगर ऐसे किसी मकान पर सोलर पैनल नहीं है तो उसका नक्शा निरस्त कर दिया जाएगा। स्वाभाविक है कि रूफटॉप सोलर पैनल्स की बढ़ती संख्या के अनुसार बिजली उत्पादन भी बढ़ेगा। इसी के मद्देनजर सरकार ने वित्तीय वर्ष 2026-27 का लक्ष्य बढ़ाकर आठ लाख सोलर रूफ टॉप का कर दिया है।
ग्रीनरी बढ़ाने के लिए आठ साल में 214 करोड़ पौधों का पौधरोपण
जहां तक हरियाली की बात है तो सरकार ने इस साल मानसून के सीजन में 35 करोड़ पौधरोपण का लक्ष्य रखा है। पिछले आठ साल में योगी सरकार 214 करोड़ पौधे लगवा चुकी है। रिकॉर्ड संख्या में हुए पौधरोपण के नाते प्रदेश की हरितिमा भी बढ़ी है। भारतीय वन स्थिति रिपोर्ट-2023 के अनुसार, छत्तीसगढ़ के बाद उत्तर प्रदेश दूसरा ऐसा राज्य बना है, जहां पर वनों के स्थिति में सुधार हुआ है। यूपी का वनाच्छादन 559.19 वर्ग किमी बढ़ा है। सरकार पौध रोपण में हरितिमा के साथ स्वास्थ्य के मद्देनजर पोषक तत्वों और औषधीय महत्व के पौधे भी लगवाती है।