योगी सरकार में तकनीक से सशक्त हो रही सरकारी शिक्षा, डिजिटल इंडिया की ओर कदम बढ़ा रहे सरकारी स्कूल

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में सरकारी स्कूलों की तस्वीर अब पारंपरिक नहीं रही। योगी सरकार के नेतृत्व में शिक्षा व्यवस्था में वह बदलाव शुरू हो चुका है, जो दशकों से केवल निजी विद्यालयों की पहचान माना जाता था- तकनीक से युक्त, स्मार्ट और भागीदारी आधारित शिक्षा प्रणाली। इस परिवर्तन की नींव बनी है राज्य सरकार की ‘कायाकल्प योजना’, जिसने सरकारी विद्यालयों को तकनीकी और भौतिक दोनों स्तरों पर सशक्त किया है।

‘सरकारी और निजी क्षेत्र की साझेदारी का सफल प्रयोग’

राज्य के बेसिक शिक्षा विभाग ने पिछले वर्षों में 40 से अधिक गैर-सरकारी संस्थाओं के साथ नॉन-फाइनेंशियल एमओयू किए हैं। इनका उद्देश्य रहा है, तकनीकी मदद, शिक्षक प्रशिक्षण, डिजिटल संसाधनों की आपूर्ति और सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देना। इस प्रयास में आईआईटी गांधीनगर, आईआईटी कानपुर, खान अकदमी, एचसीएल फाउंडेशन, संपर्क फाउंडेशन, भारती फाउंडेशन (एयरटेल), प्रथम फाउंडेशन जैसे कई नाम जुड़े हैं, जिन्होंने राज्य के स्कूलों को केवल सुविधाएं ही नहीं दीं, बल्कि शिक्षा के प्रति समाज का विश्वास भी मजबूत किया।

‘नव भारत उदय’: डिजिटल एजुकेशन की जमीन तैयार

डालमिया भारत ग्रुप और सीखो सिखाओ फाउंडेशन की साझेदारी से शुरू हुए नव भारत उदय कार्यक्रम के अंतर्गत प्रदेश के स्कूलों को डिजिटल टीवी से सुसज्जित करने का कार्य गतिशील है। इस कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वयं कहा था कि यह ‘डिजिटल क्रांति की शुरुआत’ है। बता दें कि केवल डिजिटल टीवी तक सीमित न रहकर, वर्ष 2022 से 2024 के बीच केवल सीतापुर जिले में 539 विद्यालयों में काम किया गया, जहाँ 59 स्मार्ट टीवी और 5 कंप्यूटर लैब स्थापित किए गए थे। इस साल 13 जिलों के 64 विद्यालयों में दक्षता आधारित शिक्षण, शिक्षक संकुल बैठकें और सामुदायिक सहभागिता के ज़रिए शिक्षा की गुणवत्ता में और अधिक सुधार किया जा रहा है।

‘कायाकल्प योजना ‘: भौतिक ढांचे से लेकर सोच तक का कायाकल्प

तकनीकी नवाचार के साथ-साथ, कायाकल्प योजना ने सरकारी स्कूलों की भौतिक संरचना को भी नई पहचान दी है। स्कूल भवनों, कक्षाओं, शौचालयों, स्वच्छ पेयजल और बिजली जैसी मूलभूत आवश्यकताओं का तेजी से विकास हुआ है। अब जब इन ढांचागत सुविधाओं में तकनीक और प्रशिक्षण का समावेश हो रहा है, तो सरकारी स्कूल केवल विकल्प नहीं, बल्कि प्राथमिकता बनते जा रहे हैं।

‘पीपीपी मॉडल’: शिक्षा में आत्मविश्वास और जवाबदेही

योगी सरकार की पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) आधारित नीति का उद्देश्य बिल्कुल स्पष्ट है-‘हर बच्चे तक गुणवत्तापूर्ण, समावेशी और तकनीकी शिक्षा पहुंचाना।’ सरकारी और निजी क्षेत्र के साझा प्रयासों से न केवल शिक्षकों का प्रशिक्षण हुआ है, बल्कि संसाधनों का विस्तार और समुदाय की भागीदारी भी बढ़ी है। इससे एक ऐसा आत्मविश्वास विकसित हुआ है, जो सरकारी शिक्षा व्यवस्था को आधुनिक और उत्तरदायी बनाता है।

कोट:

“उत्तर प्रदेश के सरकारी विद्यालय अब तकनीकी नवाचार और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के केंद्र बन रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में हमारी सरकार ने पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप को प्राथमिकता दी है, जिससे शिक्षा व्यवस्था को मजबूती मिली है। डिजिटल संसाधनों, स्मार्ट क्लासरूम और सामुदायिक सहभागिता के माध्यम से हम हर बच्चे तक समावेशी, आधुनिक और प्रभावशाली शिक्षा पहुंचाने के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहे हैं। यह सिर्फ बदलाव नहीं, एक नई शैक्षिक क्रांति की शुरुआत है।”
– संदीप सिंह, बेसिक शिक्षा मंत्री, उत्तर प्रदेश

कोट:

“तकनीकी सहयोग और सामुदायिक भागीदारी से सरकारी स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का आधार मजबूत हो रहा है। हमारा लक्ष्य है कि हर बच्चे तक आधुनिक और प्रभावशाली शिक्षा पहुंचे।”
– कंचन वर्मा, महानिदेशक, स्कूल शिक्षा, उत्तर प्रदेश

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