अमरीका के मध्यावधि चुनाव में डेमोक्रेटिक की जीत से यहां की सियासत में एक नया समीकरण पैदा हो गया है। प्रतिनिधि सभा में डेमोक्रेटिक पार्टी की जीत से रिपब्लिकन खेमे में खलबली है। आखिर इस बेचैनी की बड़ी वजह क्या हैं। क्या इसकी आंच रिपब्लिकन पार्टी से जुड़े राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप तक पहुंचेगी। आइए, जानते हैं रिपब्लिकन पार्टी की इस हार के क्या मायने हैं और इसकी जद में व्हाइट हाउस क्यों है। इन नतीजों से ट्रंप के एजेंडे पर क्या पड़ेगा असर।
आंकड़ों ने गड़बड़ किया ट्रंप का खेल
दरअसल, मध्यावधि चुनाव से पहले रिपब्लिकन पार्टी का सीनेट और प्रतिनिधि सभा में बहुमत हासिल था। लेकिन इस चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी की करारी हार हुई। डेमोक्रेटिक पार्टी ने प्रतिनिधि सभा में अपना बहुमत बना लिया। प्रतिनिधि सभा में बहुमत खोने से अमेरिकी राष्ट्रपति को किसी कानून को लागू करने में संवैधानिक अड़चनों का सामना करना पड़ सकता है। बता दें कि यहां अमेरिकी कांग्रेस के दो सदन है। पहले सदन को सीनेट और दूसरे सदन को हाउस ऑफ़ रिप्रेजेंटेटिव्स कहा जाता है। हाउस ऑफ़ रिप्रेजेंटेटिव्स को संसद का निचला सदन या प्रतिनिधि सभा भी कहते हैं। प्रतिनिधि सभा में कुल 435 सीटें हैं। इस चुनाव में डेमोक्रेट ने 245 सीटों पर जीत हासिल की, जबकि बहुमत के लिए 218 सीटों की जरूरत होती है। हालांकि सीनेट में रिपब्लिकन पार्टी का वर्चस्व बरकरार है। सीनेट की 100 सीटों में पार्टी को 54 सीटें हासिल हुई हैं। चुनाव में आए नतीजों ने अमेरिका के पूरे सियासी समीकरण को बदल दिया है। इसकी सीधी आंच राष्ट्रपति हाउस तक जा रही है।
व्हाइट हाउस तक पहुंची आंच
डेमोक्रेट्स पार्टी का प्रतिनिधि सभा में बहुमत होने की आंच अमेरिका के व्हाइट हाउस तक पहुंचेगी। अमेरिकी कांग्रेस के एक सदन यानी प्रतिनिधि सभा में रिपब्लिकन पार्टी का बहुमत नहीं होने से ट्रंप के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती है। खासकर किसी कानून को पास करवाने में उन्हें सदन में बहुमत हासिल करने में दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है। चूंकि प्रतिनिधि सभा में अब डेमोक्रेट्स पार्टी बहुमत में है। ऐसी स्थिति में डेमोक्रेट्स राष्ट्रपति के उन कानूनों में पेच फंसा सकते हैं, जिन पर उनकी राय नहीं है। बता दें कि 2016 में राष्ट्रपति चुनाव के बाद ट्रंप के रिपब्लिकन पार्टी की दोनों सदनों में बहुमत हासिल था।
राष्ट्रपति पर महाभियोग भी ला सकते हैं डेमोक्रेट्स
अमेरिका में नए सियासी समीकरण में डेमोक्रेट्स ट्रंप के कई ऐसे मामलों को सदन में उठा सकते हैं, जिस पर राष्ट्रपति ट्रंप को महाभियोग का समाना करना पड़ सकता है। यह आंशका प्रकट की जा रही है कि डेमोक्रेट्स सदन में राष्ट्रपति ट्रंप के प्रशासनिक कामकाज की जांच का मामला उठा सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो राष्ट्रपति ट्रंप के कामकाज की जांच हो सकती है। यह हालात ट्रंप के लिए मुश्किल भरा हो सकता है। खासकर राष्ट्रपति चुनाव में रूस की दखलअंदाजी मामला तूल पकड़ सकता है। कयास लगाए जा रहे हैं कि इस मामले को लेकर डेमोक्रेट्स उन पर महाभियोग भी ला सकते हैं।
इस चुनाव में रूस की जासूसी को लेकर कुछ माह पूर्व ट्रंप ने जिस तरह की प्रतिक्रिया दी थी, उससे पूरी रिपब्लिकन पार्टी सकते में आ गई थी। दरअसल, उस वक्त ट्रंप ने यह कहकर कि – रूस ने कोई जासूसी नहीं की थी- उन्होंने अपनी ही जांच एजेंसी की रिपोर्ट को खारिज कर दिया था। अब यह मामला एक बार फिर गरम हो सकता है। हालांकि, बाद में इस मामले में ट्रंप ने अपनी सफाई दी थी।
अधर में लटक सकती है ट्रंप की ये योजना
राष्ट्रपति चुनाव के दौरान रिपब्लिकन पार्टी के उम्मींदवार ट्रंप ने अमेरिकी जनता से यह वादा किया था कि अगर चुनाव में उनकी जीत हुई तो वह मेक्सिको की सीमा पर दीवार का निर्माण करवाएंगे। इस योजना में कई अरब डॉलर खर्च होने का अनुमान है। राष्ट्रपति ट्रंप को इस पर होने वाले खर्च को कांग्रेस के दोनों सदनों में पास कराना अनिवार्य होगा। ऐसे में जब प्रतिनिधि सभा में रिपब्लिकन का बहुमत नहीं है, तब इस बजट काे पास करवाना ट्रंप के लिए टेढ़ी खीर होगी।
खटाई में पड़ सकता है ये अध्यादेश
ट्रंप का जन्म के आधार पर अमेरिकी नागरिकता के खिलाफ अभियान अधर में लटक सकता है। दरअसल, राष्ट्रपति ट्रंप अमरीका के जन्मजात या जन्मसिद्ध नागरिकता संबंधी क़ानून के सख्त खिलाफ हैं। वह उस कानून को ख़त्म करने के लिए कांग्रेस में विशेष अध्यादेश लाने की वकालत भी कर रहे थे। लेकिन प्रतिनिधि सभा में बहुमत नहीं होने के कारण इस कानून को यहां से पास करवा पाना बहुत मुश्किल काम होगा। इसके लिए ट्रंप को संसद के दो-तिहाई सदस्यों के समर्थन की ज़रूरत होगी, जो नहीं है। बता दें कि मौजूदा क़ानून के मुताबिक जो अमरीका में पैदा हो, उसे अमरीकी नागरिक माना जाता है, चाहे बच्चे के जन्म के समय बच्चे के माता-पिता अवैध रूप से ही अमरीका में क्यों न रह रहे हों।
इसी तरह से ट्रंप की आप्रवासी सुधार योजना भी सदन में फंस सकती है। वीज़ा लॉटरी को ख़त्म करने एवं आप्रवासियों को उनके देश भेजने का प्रस्ताव ट्रंप प्रशासन का प्रमुख एजेंडा है। अपने कार्यकाल में उन्होंने इसके लिए पूरजोर कोशिश की है। हालांकि, अब यह समझा जा रहा है कि ट्रंप का प्रयास कामयाब नहीं हो पाएगा।