‘Tees’ और ‘खोसला का घोसला’ की कहानी एक जैसी?
दिबाकर बनर्जी इस पूरी स्थिति को अपनी पहली फिल्म ‘खोसला का घोसला’ से जोड़कर देख रहे हैं. उन्होंने हाल ही में कहा कि यह वही पुराना संघर्ष दोबारा हो रहा है. जब उन्होंने ‘खोसला का घोसला’ बनाई थी, तो हर कोई फिल्म की तारीफ करता था, लेकिन कोई उसे खरीदने को तैयार नहीं था.
दो साल तक वे अपनी फिल्म के लिए डिस्ट्रीब्यूटर ढूंढते रहे और आखिरकार यूटीवी और सिद्धार्थ रॉय कपूर की मदद से फिल्म को रिलीज किया गया. अब वही स्थिति ‘Tees’ के साथ भी हो रही है. फिल्म बन चुकी है, लेकिन उसे कोई प्लेटफॉर्म नहीं मिल रहा.
क्यों रुकी ‘Tees’ की रिलीज़?
‘Tees’ की कहानी एक कश्मीरी परिवार के व्यक्तिगत, वैचारिक और यौन इतिहास को एक्सप्लोर करती है. यह एक संवेदनशील विषय है और शायद इसी वजह से नेटफ्लिक्स इसे सही समय का इंतजार बताकर रोक रहा है. हालांकि, दिबाकर बनर्जी इसे अपनी अब तक की सबसे बेहतरीन फिल्म मानते हैं और चाहते हैं कि इसे दर्शकों तक पहुंचाया जाए. अब वे किसी ऐसे प्रोड्यूसर की तलाश में हैं जो नेटफ्लिक्स से इस फिल्म के राइट्स लेकर इसे रिलीज़ कर सके.
आगे की प्लानिंग और नई फिल्में
‘Tees’ की अटकी हुई रिलीज के बीच दिबाकर बनर्जी अपने अगले प्रोजेक्ट्स पर भी काम कर रहे हैं. वे फिलहाल तीन स्क्रिप्ट्स लिख रहे हैं, जिनमें से एक आधुनिक भारत पर, दूसरी ऐतिहासिक समय पर और तीसरी भविष्य पर आधारित होगी. उनका कहना है कि वे हमेशा कुछ नया करना चाहते हैं ताकि उन्हें खुद को बार-बार साबित करने का मौका मिले.
उनकी फिल्मों में डार्क ह्यूमर एक खास पहचान बन चुका है और आने वाले प्रोजेक्ट्स में भी यह बरकरार रहेगा. वे कहते हैं कि वे कोई कॉमेडी फिल्म नहीं बना रहे, लेकिन उनकी कहानियों में ह्यूमर हमेशा रहेगा क्योंकि वे बिना इसके कहानी कह ही नहीं सकते.
क्या ‘Tees’ को मिलेगा नया प्लेटफॉर्म?
अब बड़ा सवाल यह है कि क्या ‘Tees’ को कोई नया प्लेटफॉर्म मिलेगा? दिबाकर बनर्जी इस उम्मीद में हैं कि कोई निर्माता या स्ट्रीमिंग सर्विस उनकी फिल्म को अपनाएगा. अगर ऐसा हुआ तो दर्शकों को उनकी एक और बेहतरीन फिल्म देखने को मिलेगी. लेकिन अगर फिल्म लंबे समय तक अटकी रही, तो यह इंडस्ट्री में नई तरह की चुनौतियों को दर्शाएगा. फिलहाल, सबकी नजर इस बात पर टिकी है कि ‘Tees’ को उसका सही प्लेटफॉर्म कब और कैसे मिलता है.