इंडस्ट्री में कई लोग अपनी फिल्मों की सच्चाई स्वीकार नहीं करते
करण जौहर ने कहा कि उन्हें अपनी सफलता का एहसास तब हुआ जब वे ‘माय नेम इज़ खान’ की शूटिंग कर रहे थे. उन्होंने बताया, ‘शुरुआती दिनों में मुझे यही लगता था कि मैं ज्यादा टैलेंटेड नहीं हूं, बस किस्मत अच्छी थी. लेकिन इंडस्ट्री में कई लोग ऐसे हैं जो अपनी फिल्मों की असली स्थिति को समझना ही नहीं चाहते. यह एक तरह की बीमारी है, जिसकी कोई दवा नहीं है.’
80 फीसदी हकीकत, 20 उम्मीद
करण जौहर ने कहा कि वे अपनी फिल्मों की सफलता और असफलता को लेकर ईमानदार रहते हैं. उन्होंने कहा मैं 80 फीसद हकीकत समझता हूं और 20 फीसद उम्मीद रखता हूं. लेकिन कई लोग ऐसे हैं जो अपनी फिल्म की सच्चाई को नजरअंदाज कर देते हैं. कभी-कभी मुझे लगता है कि वे खुद से झूठ बोल रहे हैं या सच में इस भ्रम में जी रहे हैं कि उनकी फिल्म बेहतरीन है.
करण जौहर का फिल्मी सफर
करण जौहर ने 1998 में ‘कुछ कुछ होता है’ से निर्देशन की शुरुआत की थी, जिसमें शाहरुख खान, काजोल और रानी मुखर्जी मुख्य भूमिकाओं में थे. इसके बाद उन्होंने ‘कभी खुशी कभी ग़म’, ‘माय नेम इज़ खान’, ‘ऐ दिल है मुश्किल’ और ‘स्टूडेंट ऑफ द ईयर’ जैसी हिट फिल्में दीं. उनकी हालिया फिल्म ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ 2023 में रिलीज़ हुई थी, जिसमें रणवीर सिंह और आलिया भट्ट मुख्य भूमिका में थे.
करण जौहर के इस बयान ने फिल्म इंडस्ट्री के उस सच को उजागर किया है, जिसे कम ही लोग मानना चाहते हैं. उनका मानना है कि फिल्म की सफलता और असफलता को स्वीकार करना ही असली काबिलियत है. यही वजह है कि वे खुद को टैलेंटेड से ज्यादा लकी मानते हैं.