राजस्थान से आए कृष्ण कुमार ने बताया, “यहां भीड़ बहुत ज्यादा है। सरकार ने व्यवस्थाएं तो कर रखी हैं, लेकिन फिर भी हालात बहुत मुश्किल हो गए हैं। हमने दो महीने पहले ट्रेन में रिजर्वेशन कराया था, फिर भी हमें पैर रखने तक की जगह नहीं मिली। हमें खड़े होकर सफर करना पड़ा। यहां पहुंचने के बाद भी समस्या बनी रही। ट्रेन से उतरने के बाद गाड़ी वाले मनमाने दाम वसूल रहे हैं।”
एक महिला ने कहा, यहां सवारी गाड़ियों की बहुत समस्या है। बुजुर्गों के लिए कोई साधन नहीं है। न ही रास्ता पता चलता है। हम कहां और किस तरफ जा रहे हैं, कुछ पता ही नहीं चलता है। कुछ समझ ही नहीं आ रहा है। बहुत भीड़ है।
दिल्ली से आए एक श्रद्धालु ने कहा, “यहां सवारी गाड़ियों की भारी किल्लत है। इसके अलावा काफी मिस मैनेजमेंट भी देखने को मिल रहा है। किराया बहुत ज्यादा लिया जा रहा है, लेकिन सुविधाएं नाममात्र ही हैं। सरकार ने इस अव्यवस्था को रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं।” एक महिला श्रद्धालु ने कहा, “बुजुर्गों के लिए कोई साधन नहीं है। न ही रास्ते की सही जानकारी मिल रही है। इतनी ज्यादा भीड़ है कि कुछ समझ में ही नहीं आ रहा है कि हम कहां जा रहे हैं।”
हालांकि, कुछ लोग सरकार की तैयारियों से संतुष्ट भी नजर आए। एक व्यक्ति ने कहा, “सरकार ने यहां काफी इंतजाम किए हैं, लेकिन भीड़ इतनी अधिक है कि व्यवस्था संभालना मुश्किल हो रहा है। प्रशासन ने ट्रैफिक नियमों को सख्त किया है, लेकिन इतनी अधिक भीड़ के आगे सभी व्यवस्थाएं छोटी पड़ गई हैं।”
महाकुंभ में हर दिन लाखों श्रद्धालु पहुंच रहे हैं, जिससे सड़कों पर जाम लगना आम हो गया है। स्थानीय प्रशासन लगातार प्रयास कर रहा है कि किसी को असुविधा न हो। अनुमान है कि आज करीब ढाई करोड़ लोग स्नान कर सकते हैं।