11 लाख से अधिक आगंतुकों ने देखी ‘स्वच्छ सुजल गांव’ की तस्वीर

लखनऊ/महाकुम्भ नगर: योगी सरकार के नेतृत्व में नमामि गंगे व ग्रामीण जलापूर्ति विभाग ने महाकुम्भ-2025 में ‘स्वच्छ सुजल गांव’ बसाया है। इसमें अब तक देश-दुनिया के 11 लाख से अधिक आगंतुक पहुंचे, जिन्होंने योगी सरकार के नेतृत्व में आए बदलाव के बाद यूपी के समृद्ध गांवों की कहानी देखी। नमामि गंगे व ग्रामीण जलापूर्ति विभाग ‘अतिथि देवो भवः’ की परंपरा का भी निर्वहन कर रहा है। ‘स्वच्छ सुजल गांव’ में आने वाले आगंतुकों को ‘जलप्रसाद’ भी दिया जा रहा है। वहीं गांव में प्रतिदिन शाम को गंगा जल आरती भी हो रही है।

19 जनवरी, 24 जनवरी, 26 जनवरी और 9 फरवरी को गांव में आए सर्वाधिक पर्यटक व श्रद्धालु

‘स्वच्छ सुजल गांव’ में अब तक 11 लाख से अधिक अतिथि पहुंच चुके हैं, जिन्होंने इस गांव के जरिए समृद्ध यूपी का दीदार किया। गांव में आगंतुकों का निरंतर आना जारी है। यहां प्रतिदिन बड़ी संख्या में लोग आ रहे हैं। 19 जनवरी, 24 जनवरी, 26 जनवरी और 9 फरवरी को यहां सर्वाधिक पर्यटक-श्रद्धालु आए। इन चार दिनों में प्रतिदिन यह संख्या एक लाख से अधिक रही। वहीं प्रमुख स्नान पर्वों पर यहां प्रवेश बंद रहा।

40 हजार स्क्वायर फिट में बसा है गांव

पीएम मोदी के मार्गदर्शन व सीएम योगी के नेतृत्व में जल जीवन मिशन के जरिए बुंदेलखंड के गांव-गांव में हर घर जल पहुंचाने की नई तस्वीर से भी आगंतुक रूबरू हो रहे हैं। वे यहां 2017 से पहले बदहाल और इसके बाद बदले बुंदेलखंड के बदलाव की गाथा का भी दीदार कर रहे हैं। देश-दुनिया से आए श्रद्धालु 40 हजार स्क्वायर फिट एरिया में बसे गांव में पीएम आवास, सीएम आवास, ग्राम पंचायत, सोलर एनर्जी के जरिये समृद्ध उत्तर प्रदेश की नई कहानी भी देख रहे हैं। यह गाथा बदले यूपी की पहचान से हर आगंतुक को अवगत भी करा रही है।

‘पेयजल का समाधान, मेरे गांव की नई पहचान’ थीम पर बसा है गांव

योगी सरकार के नेतृत्व में ग्रामीण जलापूर्ति व नमामि गंगे विभाग ने महाकुम्भ-2025 में ‘स्वच्छ सुजल गांव’ बसाया है। इसका दीदार 26 फरवरी तक किया जा सकेगा। ‘पेयजल का समाधान, मेरे गांव की नई पहचान’ थीम पर यह गांव 40 हजार स्क्वायर फिट एरिया में बसा है। कभी प्यासे रहे बुंदेलखंड में पीएम मोदी के मार्गदर्शन व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में पेयजल की समस्या का समाधान हो गया है। इस गांव में अलग-अलग कार्यक्रम भी हो रहे हैं। प्रदर्शनी में बुंदेलखंड के ग्रामीण महिलाओं को मंच मुहैया कराया गया है, जिसमें वे जीवन और जीवनशैली में बदलाव की कहानी भी बयां कर रहे हैं। बांदा, झांसी, चित्रकूट के कई गांवों में पानी न होने के कारण शादी नहीं हो पाती थी। ललितपुर व महोबा के उन गांवों की महिलाएं, पानी ढोने के कारण जिनके सिर से बाल गायब हो गए थे। वे भी शुद्ध पानी से जीवन में आए बदलाव की कहानी को भी वे बयां कर रही हैं। यहां हर जानकारी पांच भाषा (हिंदी, अंग्रेजी, बांग्ला, तेलगू व मराठी) में मिल रही है।

‘जल मंदिर’ भी दे रहा संदेश- जल जीवनदायी है, इसका संरक्षण करें

ग्रामीण जलापूर्ति व नमामि गंगे विभाग की तरफ से महाकुम्भ में ‘जल मंदिर’ भी बनाया गया है। ‘जल मंदिर’ में भगवान शिव की जटा से गंगा धरती पर आ रही हैं। इसके जरिए संदेश दिया जा रहा है कि जल प्रसाद है, जल जीवनदायी है। इसे बर्बाद नहीं, बल्कि संरक्षण करें। ‘जल मंदिर’ में सुबह-शाम गंगा जल आरती भी हो रही है। इस आरती में जल जीवन मिशन की गाथा, जल संरक्षण का संदेश भी दिया जा रहा है।

‘अतिथि देवो भवः’ की परंपरा का भी निर्वहन कर रहा है विभाग

‘अतिथि देवो भवः’ भारत की परंपरा है। स्वच्छ सुजल गांव में आने वाले अतिथियों का नमामि गंगे व ग्रामीण जलापूर्ति विभाग सम्मान भी कर रहा है। आगंतुकों को जूट-कपड़े के बैग में ‘जल प्रसाद’ भी दिया जा रहा है। इसमें संगम का जल, जल जीवन मिशन की डायरी, सफलता/बदलाव की कहानी से जुड़ी आदि अध्ययन सामग्री भी है।

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