माना जा रहा है कि भगीरथ मांझी के जरिए कांग्रेस की नजर महादलित जातियों, खासकर मांझी समुदाय को साधने की है। दरअसल, दशरथ मांझी के पुत्र भगीरथ मांझी दो दिन पहले दिल्ली में कांग्रेस के दफ्तर में जाकर पार्टी की सदस्यता ग्रहण की है। इसी माह कांग्रेस के नेता राहुल गांधी के पटना दौरे के क्रम में संविधान सुरक्षा सम्मेलन में उनके गांधी के साथ मंच साझा करने के बाद ही यह कयास लगाए जाने लगे थे कि भगीरथ मांझी अब बिहार में कांग्रेस की नैया को पार करने के लिए भगीरथ प्रयास करेंगे।
गया जिले के गहलौर गांव के रहने वाले भगीरथ मांझी मुसहर जाति से आते हैं। गया और जहानाबाद में मुसहर जाति की संख्या अधिक है। इसके अलावा उत्तर बिहार के कोसी सीमांचल में सुपौल, अररिया, किशनगंज, पूर्णिया और कटिहार में मांझी समाज की संख्या ज्यादा है। एनडीए के पास हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रमुख जीतन राम मांझी के रूप में मुसहर या मांझी समाज का बड़ा चेहरा है।
मांझी फिलहाल केंद्रीय मंत्री हैं। जहानाबाद और गया में मांझी समाज का वोट बैंक जीतन राम मांझी का माना जाता है। बिहार की राजनीति के जानकार अजय कुमार कहते हैं कि भगीरथ मांझी का प्रदेश की राजनीति में कोई बड़ा नाम नहीं है और न इनका अपने ही इलाके में कोई बड़ा प्रभाव है। ऐसे में यह कांग्रेस की नैया को पार कराने में बड़ा मांझी बन जाएं, इसकी उम्मीद फिलहाल नहीं दिखती है।
उन्होंने यह भी कहा कि माउंटेन मैन दशरथ मांझी के गांव में सरकार ने काफी काम करवाया है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह हालांकि कहते हैं कि भगीरथ मांझी के कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करने से विधानसभा चुनाव में पार्टी को लाभ होगा। उन्होंने कहा कि इनके व्यक्तित्व और कृतित्व का लाभ कांग्रेस को होगा।
बहरहाल, बिहार विधानसभा चुनाव में अभी काफी देर है। कांग्रेस भगीरथ मांझी को अपने साथ ले आई है लेकिन वह इसका कितना लाभ उठा पाती है, इसका पता चुनाव के बाद ही चलेगा।