पाकिस्तान में लगातार बढ़ रहे पोलियो के मामले, 69 हुई पीड़ितों की संख्या

भारत में जहां पोलियो का नामोनिशान मिट चुका है तो वहीं पड़ोसी देश पाकिस्तान में आज भी कई बच्चे इस बीमारी का शिकार हो रहे हैं. हाल ही में पाकिस्तान में पोलियो के 69 मामले सामने आए हैं.

पाकिस्तान आर्थिक रूप से बूरी तरह से पिछड़ता जा रहा रहा है. इस बीच देश में पोलियो के मामलों में तेजी से इजाफा हो रहा है. बुधवार को राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान (एनआईएच) के एक बयान के अनुसार, पाकिस्तान ने खैबर पख्तूनख्वा के एक जिले टैंक में पोलियो के एक नए मामले की पुष्टि की है, जिससे कुल मामलों की संख्या 69 हो गई है. स्थानीय मीडिया रिपोर्ट  के मुताबिक, यह एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय है क्योंकि पाकिस्तान अफगानिस्तान के साथ दुनिया के अंतिम दो देशों में से एक है, जहां पोलियो वायरस स्थानिक बना हुआ है.

बता दें कि पोलियो मुख्य रूप से पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करता है और कुछ मामलों में स्थायी पक्षाघात का कारण बन सकता है. इस साल इस बीमारी के 69 मामले सामने आए हैं, जो पाकिस्तान के कई क्षेत्रों में फैले हुए हैं, जिनमें सबसे ज्यादा संख्या बलूचिस्तान (27 मामले), खैबर पख्तूनख्वा (21) और सिंध (19) में है. पंजाब और इस्लामाबाद से भी एक-एक मामला सामने आया.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक,  पोलियो उन्मूलन के वैश्विक प्रयासों के बावजूद, पाकिस्तान के लिए पोलियो एक गंभीर स्वास्थ्य चुनौती बनी हुई है. बीमारी के बने रहने के लिए कई बाधाएं जिम्मेदार हो सकती हैं, जिनमें कुछ क्षेत्रों में सुरक्षा संबंधी चिंताएं, टीके को लेकर झिझक और गलत सूचना का प्रसार शामिल है, जिससे टीकाकरण अभियान में बाधा उत्पन्न हुई है. इन कारकों के कारण देश से पोलियो उन्मूलन में महत्वपूर्ण प्रगति में देरी हुई है.

पोलियो एक दुर्बल करने वाली और संभावित रूप से घातक बीमारी है जिसका कोई इलाज नहीं है. स्वास्थ्य विशेषज्ञ विशेष रूप से पांच साल से कम उम्र के बच्चों के लिए वायरस के खिलाफ प्रतिरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मौखिक पोलियो वैक्सीन की कई खुराक की महत्वपूर्ण आवश्यकता पर जोर देते हैं. आगे के प्रकोप को रोकने के लिए पूर्ण टीकाकरण कार्यक्रम को पूरा करना आवश्यक है.

बता दें कि पाकिस्तान के पड़ोसी अफगानिस्तान ने भी वर्ष 2024 में पोलियो के 25 मामले दर्ज किए. बीमारी को नियंत्रित करने के ठोस प्रयासों के बावजूद, दोनों देशों को पोलियो के खिलाफ अपनी लड़ाई में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जो मजबूत टीकाकरण अभियानों और सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाने की तत्काल जरूरत को दर्शाता है.

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