उन्होंने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, आतिशी का जो बयान है, उसमें दाऊद इब्राहिम का नाम लेकर जो बातें की गई है, वह यह दर्शाता है कि अब वह हताश हो गए हैं। जब इंसान मुश्किल में होता है, तो उसे अपने पुराने सहारे याद आते हैं, और अब इन्हें दाऊद का सहारा मिल रहा है। यह मुझे लगता है कि इनकी स्थिति इतनी खराब हो गई है कि अब इनको इस तरह की बेतुकी बातें करने के अलावा कोई और रास्ता नहीं दिख रहा। दिल्ली की सड़कें, गंदा पानी, यमुना की सफाई और जहरीली हवा जैसे असल मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए ऐसे मुद्दों का उठाया जा रहा है, जिनका दिल्ली के विकास से कोई संबंध नहीं है।
इसके बाद आम आदमी पार्टी द्वारा पुजारियों और ग्रंथियों को पैसे देने की बात पर उन्होंने कहा, केजरीवाल पिछले 10 साल में अल्लाह-अल्लाह करते रहे हैं और अब चुनाव आते ही राम लला कर रहे हैं। पिछले दस सालों में वह इमामों को 18,000 रुपये महीना दे रहे थे, लेकिन पुजारियों की मदद का ख्याल कभी क्यों नहीं आया? पंजाब में भी आप कुछ नहीं कर रहे हैं। पंजाब में आपकी पूरी सरकार है, लेकिन वहां के पुजारियों और ग्रंथियों के लिए आपने कुछ नहीं किया। दिल्ली में दस साल बाद आप पुजारियों को सम्मान देने की बात कर रहे हैं, तो क्यों नहीं चुनाव से पहले उनकी मदद की जाती? अगर आप सच में पुजारियों और ग्रंथियों का सम्मान करते हैं, तो चुनाव से पहले दो किस्तें उनके खाते में डालिए, तभी आपकी बात पर विश्वास होगा। अभी तक तो आप केवल इमामों और मौलानाओं को ही मदद दे रहे हैं।
इसके बाद उन्होने आम आदमी पार्टी के उस बयान पर प्रतिक्रिया दी जिसमें बीजेपी के पास दिल्ली चुनाव में चेहरा न होने की बात कही गई थी। उन्होंने कहा, आम आदमी पार्टी, जिसके पास मुख्यमंत्री का चेहरा तक नहीं है, वह कैसे बीजेपी पर सवाल उठा सकती है? केजरीवाल के मुख्यमंत्री बनने पर कोर्ट की रोक है और आतिशी का कार्यकाल भी अस्थायी है। तो सवाल यह है कि आम आदमी पार्टी अपने मुख्यमंत्री उम्मीदवार को लेकर स्पष्ट क्यों नहीं है? उनके पास आज मुख्यमंत्री का उम्मीदवार नहीं है और उन्हें अपने विधायकों के टिकट काटने पड़ रहे हैं क्योंकि सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ रहा है। दिल्ली में असल मुद्दे हैं, टूटी हुई सड़कें, गंदा पानी, काली यमुना और जहरीली हवा, जिन पर केजरीवाल सरकार पूरी तरह से असफल साबित हुई है।