आकंड़े बताते हैं कि भारत गुड़ के मुख्य उत्पादक देशों में से एक है। गुड़ को लोकप्रिय रूप से औषधीय चीनी भी कहा जाता है। कहते हैं करीब 3000 वर्षों से आयुर्वेदिक चिकित्सा में मिठास डालने के लिए इसका प्रयोग होता आया है।गुड़ को गले और फेफड़ों के संक्रमण से जूझ रहे शख्स के इलाज में फायदेमंद समझा जाता है।
पंजाब स्थित बाबे के आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल के आयुर्वेदाचार्य प्रमोद आनंद तिवारी ने बताया कि सर्दियों में गुड़ खाने से कई फायदे मिलते हैं। रोज गुड़ खाने से न केवल रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है बल्कि संक्रमण से भी बचाव होता है।
गुणों की खान है गुड़। इसमें जिंक, मैग्नीशियम, आयरन के साथ पोटेशियम भी पाया जाता है। गुड़ के नियमित सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और शरीर की संक्रमण से भी रक्षा होती है।
वैद्य जी के अनुसार, “गुड़ की तासीर गर्म होती है इसलिए सर्दियों में खांसी, जुकाम होने पर गुड़ खाना सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होता है। गुड़ से बनी चाय पीने से ताजगी मिलती है और सुस्ती दूर होती है। सर्दियों में गुड़ खाने से शरीर को कई फायदे मिलते हैं। इससे पाचन में भी सुधार होता है।
आयुर्वेद में सांस संबंधी समस्याओं के साथ ही खून साफ करने और पाचन में सुधार समेत कई रोगों के इलाज में गुड़ का इस्तेमाल किया जाता है। आखिर फेफड़ों के संक्रमण को कैसे रोकता है या फिर उसका ख्याल कैसे रखता है गुड़?
डॉक्टर प्रमोद आनंद ने बताया, गुड़ फेफड़ों को स्वस्थ रखने में भी मदद करता है। दरअसल, एंटी-एलर्जी गुणों की वजह से यह फेफड़ों से एलर्जी पैदा करने वाले तत्वों को पनपने नहीं देता। इन तत्वों के कारण ही सांस लेने में दिक्कत और खांसी जैसी समस्याएं होती हैं। नियमित रूप से गुड़ का सेवन करने से सांस संबंधी समस्याओं में राहत मिलती है।
एक्सपर्ट्स कहते हैं कि गुड़ में डिटॉक्स करने के गुण भी कूट कूट कर भरे हैं। जो शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले जहरीले तत्वों को दूर करते हैं। इसमें आयरन की मात्रा भी भरपूर होती है जो हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ाता है। इससे खून साफ रहता है।