स्थानीय निवासी राकेश डबास ने बताया, साकेत में दो घंटे के लिए एक वक्त का पानी आता है। लेकिन प्रेशर इतना कम होता है कि जलापूर्ति नहीं हो पाती है। पानी की समस्या की वजह से मुझे कपड़े धुलवाने के लिए गुरुग्राम भेजना पड़ता है क्योंकि यहां कपड़े धुलवाने के लिए पैसे ज्यादा खर्च करने पड़ रहे हैं।
डबास साहब का दुख यहीं नहीं खत्म होता। वो आगे कहते हैं, पीने का पानी बाहर से खरीदना पड़ता है। पानी के लिए लगातार मोटर चलाने से बिजली का बिल भी काफी ज्यादा आ रहा है। पानी के लिए घर का बड़ा हो या बुजुर्ग सभी परेशान हैं।
यहां के लोग आम आदमी पार्टी सरकार को कोस रहे हैं। समूह में खड़े लोगों ने कहा, दिल्ली सरकार कह रही है कि पानी का प्लांट साफ किया जा रहा है। हम यह कहना चाहते हैं कि प्लांट साफ करने के लिए दीपावली का समय ही क्यों चुना है? अगर साफ ही करना था तो दूसरा विकल्प क्यों नहीं लिया गया?
नाराज लोगों का कहना है, दिल्ली की अन्य कॉलोनियों में पानी 24 घंटे मिल रहा है। साकेत जो पॉश इलाके में आता है यहीं पानी के लिए लोग तरस रहे हैं।
एक महिला ने कहा, हम दिल्ली सरकार पर कोई आरोप नहीं लगाना चाहते। लेकिन, हमें पानी चाहिए क्योंकि पानी के बिना हम लोग नहीं रह सकते हैं। बाहर से पानी का टैंकर बहुत महंगा मिल रहा है।
एक बुजुर्ग ने बताया कि मैं बीते 12 साल से साकेत में रह रहा हूं लेकिन अब पानी की समस्या बहुत होने लगी है। यहां शायद ही कोई ऐसा घर हो जहां ये समस्या नहीं आ रही हो। प्राइवेट टैंकर अगर हम मंगाते हैं तो सात हजार रुपये देने पड़ते हैं। जबकि, पानी दो हजार लीटर ही मिलता है।