पीडब्ल्यूसी द्वारा किए गए शोध के अनुसार, 10 में से 9 से अधिक भारतीय निर्माता अगले तीन से पांच वर्षों में मुनाफे में 2-3 गुना वृद्धि का लक्ष्य रखते हुए स्थिरता को प्राथमिकता दे रहे हैं।
छह उद्योगों को इस रिपोर्ट में शामिल किया। जिसमें पाया गया कि 93 प्रतिशत भारतीय निर्माता राजस्व बढ़ाने के लिए उद्योग 5.0 को अपना रहे हैं। इसके अलावा, 50 प्रतिशत से अधिक घरेलू निर्माता इस वर्ष सस्टेनेबल प्रैक्टिस में निवेश को प्राथमिकता दे रहे हैं।
इन निवेशों का उद्देश्य डिजिटल टेक्नोलॉजी का फायदा उठाते हुए नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को अपनाने और ऊर्जा दक्षता बढ़ाना है। इसके अतिरिक्त, लीडिंग मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के 52 प्रतिशत शीर्ष अधिकारी भी इस वर्ष लंबे समय तक की लर्निंग के लिए निवेश कर रहे हैं।
पीडब्ल्यूसी इंडिया के पार्टनर और इंडस्ट्रियल प्रोडक्ट्स लीडर सुदीप्त घोष ने कहा, इंडस्ट्री 5.0 विनिर्माण क्षेत्र के लिए इंसानों और एडवांस टेक्नोलॉजी जैसे एआई, रोबोटिक्स और इंटरनेट ऑफ थिंग्स को साथ जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
उन्होंने कहा कि जो कंपनियां इन क्षमताओं को तेजी से अपनाएंगी, वे आने वाले वर्षों में प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त हासिल करेंगी। एक सस्टेनेबल और लचीले भविष्य के निर्माण के लिए बदलाव बेहद जरूरी है।
शोध के अनुसार, निर्माताओं का अनुमान है कि ‘इंडस्ट्री 5.0’ क्षमताओं में कम मैच्योरिटी के कारण उनकी कंपनियों को वित्त वर्ष 2024 के राजस्व का 4.37 प्रतिशत खोना पड़ सकता है।
रिपोर्ट में उदाहरण देते हुए बताया गया है कि सीमेंट और औद्योगिक सामान क्षेत्र में, 95 प्रतिशत निर्माता इस वर्ष और अगले वर्ष रियल टाइम इन्वेंट्री ट्रैकिंग में निवेश को प्राथमिकता दे रहे हैं।
रसायन, सीमेंट, तथा वस्त्र एवं परिधान क्षेत्र के अधिकारियों का मानना है कि उद्योग 5.0 को अपनाने से उनके उद्योगों को सबसे अधिक लाभ होगा, तथा संभावित राजस्व विस्तार 7 प्रतिशत से अधिक होगा।