सुधार ही प्रासंगिकता की कुंजी है: यूएन में भारतीय राजदूत

(शाश्वत तिवारी) न्यूयॉर्क। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पी. हरीश ने सोमवार को यहां ‘संयुक्त राष्ट्र प्रणाली को मजबूत बनाने’ पर हुई बहस में भारत का वक्तव्य दिया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में व्यापक बदलावों का आह्वान करते हुए इस बात पर जोर दिया कि सुधार ही प्रासंगिकता की कुंजी है। भारतीय राजदूत ने कहा दुनिया में बहुत बदलाव आया है और साथ ही इसकी चिंताएं और अवसर भी बदल गए हैं। यह जरूरी है कि संयुक्त राष्ट्र सुधारित बहुपक्षवाद के माध्यम से साझा आधार और आगे का रास्ता खोजने के लिए केंद्रीय मंच बने।

न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन ने अपने आधिकारिक ‘एक्स’ हैंडल से भारतीय राजदूत के वक्तव्य का एक वीडियो साझा किया। भारतीय मिशन ने एक अन्य पोस्ट में बताया कि राजदूत हरीश ने यूएन प्रणाली में सुधार की वकालत करने के साथ ही विकासशील देशों के लिए डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना के महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने युवाओं की सार्थक भागीदारी का आह्वान करते हुए इस बात पर जोर दिया कि वे शासन और सतत विकास में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।

दरअसल भारत यूएनएससी सहित यूएन की समस्त प्रणाली में सुधार के लिए लगातार जोर दे रहा है, जिसमें अंतर-सरकारी वार्ता (आईजीएन) में सक्रिय रूप से शामिल होना भी शामिल है। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने भी कई बार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस मुद्दे को प्राथमिकता के साथ उठाया है। हाल ही में जयशंकर ने एक कार्यक्रम के दौरान संयुक्त राष्ट्र को एक ऐसी पुरानी कंपनी करार दे दिया, जो बाजार से कदमताल तो नहीं मिला पा रही है, मगर उसने जगह घेर रखी है। कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन में एक बातचीत के दौरान जयशंकर ने रविवार को यूएन की आलोचना करते हुए कहा यह एक पुरानी कंपनी की तरह है, जो बाजार के साथ पूरी तरह से नहीं चल पा रही है, लेकिन जगह घेरे हुए है। दुनिया में दो बहुत ही गंभीर संघर्ष चल रहे हैं और इन पर संयुक्त राष्ट्र की क्या भूमिका है? निश्चित रूप से एक दर्शक की भूमिका है।

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