29 सितंबर 1932 में उस जमाने के मशहूर एक्टर मुमताज अली और लतीफुन्निसा की दूसरी संतान का जन्म हुआ। नाम दिया गया महमूद अली। मुमताज अली प्यार से इन्हें अन्नू बुलाते थे। इन्हें लकी मानते थे और आगे चलकर ये साबित भी हुआ।
एक्टर पिता इसलिए भी खुश थे क्योंकि उनका बेटा देश की पहली बोलती फिल्म आलम आरा की रिलीज के एक साल बाद पैदा हुआ और संयोग ऐसा था कि मुमताज अली का जन्म पहली मूक फिल्म राजा हरिश्चंद्र के पर्दे पर आने से एक साल पहले हुआ था।
फिर एक समय ऐसा भी आया कि जिस बेटे पर सबसे ज्यादा ऐतबार था उसने ही दिल तोड़ दिया।
क्या हुआ कि जो पिता बेटे के जन्म पर इतना खुश था? जो बेटे को बुढ़ापे का सहारा मान रहा था उसे ही शादीशुदा बेटे ने थप्पड़ जड़ दिया! महमूद- मैन ऑफ मैनी मूड्स के लेखक हनीफ जावेरी ने इसकी वजह बताई है। इस किताब के मुताबिक मुमताज अली बुरे दौर से गुजर रहे थे। कई ऐब पाल बैठे थे। कोठों पर जाना, शराब पीना उनका शगल बन गया था।
लत ने घर को बर्बादी की गर्त में धकेल दिया। बर्तन, बीवी की महंगी साड़ी से लेकर धीरे-धीरे सब कुछ बेच दिया। मुफलिसी के साए में जीवन बीतने लगा। घर की जिम्मेदारी महमूद के कंधों पर थी। जो भी काम आता गया उसे लेते गए। 1953 में मीना कुमारी की बहन मधु से शादी भी कर ली। जिम्मेदारियां बढ़ीं तनाव भी! पिता की ओर से भी परेशान थे।
फिर आया वो दिन जिसने इनकी दुनिया बदल कर रख दी।
महमूद घर में थे। पिता नशे की हालत में आए और बीवी लतीफुन्निसा को मारने लगे। महमूद के लिए ये असहनीय हो गया। बहुत रोका पर पिता ने मारना नहीं छोड़ा। अचानक ही उनके अन्नू ने जोरदार तमाचा अपने पिता को जड़ दिया। घर में सन्नाटा छा गया। लेकिन अगले पल जो हुआ उसने महमूद को तोड़ कर रख दिया।
मां ने बेटे को जोरदार तमाचा रसीद करते हुए उसे उसी वक्त घर से निकलने को कह दिया। वो भी तब जब महमूद की पत्नी मां बनने वाली थी।
महमूद उस वक्त ड्राइवरी करते थे। पत्नी को लेकर निकले साथ में पिता की बहन बी मां भी थीं। बहुत कुछ सहा। छोटे किरदार निभाए। सालों का संघर्ष 1959 में जाकर खत्म हुआ। फिल्म छोटी बहन रिलीज हुई। सुपरहिट रही और इनकी गाड़ी चल पड़ी। बॉलीवुड के किंग ऑफ कॉमेडी का तमगा मिला और इनके नाम पर फिल्में भी बिकने लगीं। 23 जुलाई 2004 को ये हंसाने वाला कलाकार दुनिया से रुखसत हो गया।