नई दिल्ली। तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद को लेकर देश की सियासत गरमा गई है. ऐसे में काशी विद्वत परिषद और अखिल भारतीय संत समिति सहित काशी के कई धार्मिक संगठनों ने तय किया है की अब प्रसाद के रूप में रामदाना, बताशा और ड्राई फ्रूट का इस्तमाल किया जाए ताकि मिलावट की संभावना कम हो सके और जल्द ही इसे लागू करवाया जायेगा.
तिरुपति बालाजी के लड्डू प्रसादम में मिलावट पर घमासान
तिरुपति बालाजी के लड्डू प्रसादम में मिलावट पर घमासान मचा हुआ है. इस घमासान के बीच अब देश के मंदिरों में नई प्रसाद व्यवस्था को लागू करने की कवायत तेज हो गई है. काशी विद्वत परिषद ने इसके लिए पहल की है. बकायदा इस मुद्दे को लेकर काशी विद्वत परिषद ने अखिल भारतीय संत समिति के साथ मिलकर एक मसौदा तैयार किया है जिसके तहत अब देश के सभी बड़े मंदिरो मे पंचमेवा, बताशा, रामदाने से बना सामान देवालयों में राजभोग के तौर पर लगाया जाए, जिसमें मिलावट की कोई संभावना न हो.
प्रसाद की शुद्धता और सुचिता पर ध्यान
प्रसाद में मिलावट न हो और प्रसाद की शुद्धता और सुचिता बनी रहे इसके लिए ये फैसला लिया जा रहा है इसके अलावा देश के बड़े मंदिर जहां अच्छा चढ़ावा आता हो. उन मंदिरों के पास गौशाला का निर्माण करके गौ माता का सेवा करना चाहिए और उनके दूध से निर्मित चीजों से प्रसाद बनाकर भक्तों में वितरण करना चाहिए. जिससे गौसंरक्षण के साथ सनातन धर्म का उत्थान हो सकें.
मंदिरों में प्रसाद की व्यवस्था में बड़े बदलाव की तैयारी
मंदिरों में प्रसाद की व्यवस्था में बड़े बदलाव की तैयारी है. श्री काशी विद्वत परिषद सनातनी हिंदुओं की आस्था के अनुसार ही प्रसाद चढ़ाने और ग्रहण करने की व्यवस्था करने की तैयारी में है. अखाड़ा परिषद, अखिल भारतीय संत समिति और सरकार के सहयोग से प्रसाद की नई व्यवस्था लागू की जाएगी. अब मंदिरों में पंचमेवा, फल, बताशा और रामदाना के प्रसाद चढ़ाने की व्यवस्था की जाएगी. द्वादश ज्योतिर्लिंग, देवी मंदिरों और देश भर के सभी छोटे-बड़े देवालयों में प्रसाद अर्पण करने में बड़ा बदलाव होगा. भगवान को सात्विक प्रसाद अर्पण हो, इसके लिए काशी विद्वत परिषद ने सनातनी पुराणों के अनुसार सात्विक भोग चढ़ाने का खाका तैयार किया है. काशी के दूसरे मंदिरो में प्रसाद के रूप में रामदाना का इस्तमाल होता हुआ नजर भी आ रहा है.