मसाबा ने अपनी मां की सोच के पीछे का कारण बताते हुए कहा कि बाजार की ताकतें उन्हें एक अभिनेत्री के रूप में एक दायरे में रखती थीं, क्योंकि उस समय इंडस्ट्री अलग तरीके से काम करती थी।
क्वीनी सिंह द्वारा होस्ट किए गए पॉडकास्ट में मसाबा ने कहा, उन्होंने मुझे अभिनेत्री बनने की अनुमति नहीं दी। मुझे याद है कि मुंबई में अनुपम खेर का एक्टिंग स्कूल है, और मैंने कहा कि मैं एक्टिंग की पढ़ाई करना चाहती हूं क्योंकि मैं अभिनेत्री बनना चाहती हूं, और उन्होंने कहा कि इसके बारे में सोचना भी मत। तुम्हें पता है कि तुम्हारा लुक आर्टिस्टिक, इंटरनेशनल और लगभग नॉन-इंडियन है। तुम्हें एक बॉक्स में डाल दिया जाएगा। और उस समय इंडस्ट्री बहुत अलग थी।
डिजाइनर-अभिनेत्री ने आगे बताया, “मेरी मां ने कहा कि तुम निराश हो जाओगी तुम कुछ ऐसा करो जिसके लिए तुम्हें अपना दिमाग लगाना पड़े और जो तुम जीवन भर कर सको। उन्होंने कहा, अरे, तुम एसएनडीटी में कोशिश करना चाहती हो? एडमिशन खुले है। मैं वहां गई और मैंने अपना फॉर्म भर दिया। मेरे टेस्ट ग्रेड मार्क्स उस फॉर्म को लेने के लिए पर्याप्त थे। मेरे मार्क्स अच्छे थे और उन्होंने मुझे एडमिशन दे दिया। उन्होंने कहा, ठीक है, एक सप्ताह में प्रवेश परीक्षा दो।
मसाबा ने यह भी बताया कि नेपोटिज्म केवल फिल्म उद्योग तक ही सीमित नहीं है, बल्कि हर उद्योग या पेशे में है।
उन्होंने कहा, “ नेपोटिज्म हर उद्योग में है। वकील का बेटा वकील बनता है। डॉक्टर का बेटा डॉक्टर बनता है, और उनके पिता उनकी सिफारिश करते हैं। यही दुनिया का तरीका है। यह सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में है। हां,मगर कभी-कभी मुझे लगता है कि बॉलीवुड में नेपोटिज्म के कारण गलत लोगों को अवसर मिल जाता है।
उन्होंने कहा, यह दुनियाभर में होता है। मगर यह पब्लिक इंडस्ट्री है और इसे सब आराम से देख पाते हैं।