तरुण चुघ ने फारूक अब्दुल्ला के केंद्र सरकार को बार-बार यह सुझाव दिए जाने पर कि उसे पाकिस्तान के साथ बातचीत करनी चाहिए पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि अब्दुल्ला को सीमा पार देखना बंद कर देना चाहिए और पाकिस्तान की आईएसआई में बैठे अपने आकाओं की भाषा बोलना बंद कर देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि बातचीत और आतंकवाद साथ-साथ नहीं चल सकते। फारूक अब्दुल्ला अच्छी तरह जानते हैं कि पाकिस्तान पूरी दुनिया के लिए आतंकवाद की फैक्ट्री है।
चुघ ने पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ के हालिया बयान को याद किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि उनका देश और नेशनल कॉन्फ्रेंस तथा कांग्रेस का अनुच्छेद 370 जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर एकमत हैं। उन्होंने कहा कि इससे स्पष्ट रूप से यह खुलासा हो गया है कि अब्दुल्ला, कांग्रेस और मुफ्ती का पाकिस्तान के साथ एक छिपा हुआ साझा एजेंडा है।
चुघ ने कहा, इससे स्पष्ट रूप से पता चलता है कि अब्दुल्ला और कांग्रेस जम्मू-कश्मीर में शांति और विकास की कीमत पर पाकिस्तान के इशारों पर नाच रहे हैं।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में जम्मू-कश्मीर के लोगों को एहसास हो गया है कि अब्दुल्ला और मुफ़्ती ने पिछले कई सालों में उन्हें कितना नुकसान पहुंचाया है। लोग अब उद्योग का विकास, पर्यटन में वृद्धि और युवाओं के लिए रोजगार चाहते हैं। उन्हें गोलियां और पत्थर नहीं चाहिए।
चुघ ने कहा, विधानसभा चुनावों में लोग फारूक अब्दुल्ला, मुफ्ती तथा कांग्रेस को पाकिस्तान के हाथों खेलने के लिए करारा सबक सिखाएंगे।