कोलकाता । कोलकाता पुलिस कमिश्नर और स्वास्थ्य विभाग के दो अधिकारियों को उनके पद से हटा दिए जाने के बावजूद जूनियर डॉक्टरों का आंदोलन खत्म नहीं होगा। डॉक्टरों ने स्पष्ट किया है कि कोलकाता पुलिस कमिश्नर को सजा देने के बजाय उनकी पदोन्नति की गई है। कोलकाता पुलिस के डीसी सेंट्रल इंदिरा मुखर्जी जिन्होंने डॉक्टरों के आंदोलन को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी, उनके खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया है। इतना ही नहीं स्वास्थ्य सचिव नारायण स्वरूप निगम जिन्होंने संदीप घोष को तत्काल मेडिकल कॉलेज में नियुक्त किया था और उनकी भूमिका संदिग्ध रही है, उनके खिलाफ भी कोई एक्शन नहीं लिया गया है। पश्चिम बंगाल के जूनियर डॉक्टरों ने घोषणा की है कि उनकी मांगे पूरी होने तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। डॉक्टरों ने बताया कि उनकी ओर से बातचीत के रास्ते हमेशा खुले हैं और जितनी जल्दी इस मामले का समाधान हो सके, वह इसके लिए तैयार हैं। डॉक्टरों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से यह स्पष्ट हो गया है कि उनकी मांगें पूरी तरह से न्यायसंगत हैं। जब तक उनकी सभी मांगे पूरी नहीं होंगी, वे धरने पर बने रहेंगे।
छात्र संघ चुनाव की भी मांग
जूनियर डॉक्टरों की प्रमुख मांगों में से एक है कि रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन और छात्रसंघ का गठन हो। इस संबंध में डॉक्टरों की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से चर्चा भी हुई, लेकिन किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सका। डॉक्टरों का कहना है कि इस चुनाव के जरिए प्रतिनिधियों का चयन लोकतांत्रिक तरीके से होना चाहिए ताकि भविष्य में आरजी कर मेडिकल कॉलेज जैसी घटनाओं को रोका जा सके।
राज्य सरकार को फिर भेजा जाएगा पत्र
आंदोलनकारी डॉक्टरों ने मंगलवार देररात बताया कि उनकी चौथी और पांचवीं मांगों के साथ ही स्वास्थ्य सचिव से संबंधित मुद्दों पर और चर्चा की आवश्यकता है। बुधवार सुबह तक राज्य सरकार को एक लिखित ज्ञापन भेजा जाएगा। डॉक्टरों ने स्पष्ट किया कि वे जल्द से जल्द इस गतिरोध को समाप्त कर काम पर लौटना चाहते हैं और इसके लिए तेजी से हल ढूंढने की आवश्यकता है।
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से संतुष्ट
आरजी कर मेडिकल कॉलेज के सर्जरी विभाग के जूनियर डॉक्टर देबदूत भद्र ने कहा कि मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई संतोषजनक रही। उनके वकील ने उनकी समस्याओं को सही ढंग से अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि आरजी कर में जिन सुरक्षा उपायों की बात कही गई थी, वह अब तक पूरी तरह से लागू नहीं हुए हैं। वहां अभी भी पर्याप्त संख्या में सीसीटीवी और सुरक्षा गार्ड्स की कमी है, और डॉक्टर चाहते हैं कि इन उपायों को जल्द से जल्द लागू किया जाए।