चीन जल्द ही एक अहम कानून लाने जा रहा है, जिसके तहत सभी हाईस्कूलों और कॉलेजों में स्टूडेंट्स के लिए मिलिट्री ट्रेनिंग को कंप्लसरी कर दिया जाएगा. क्या मकसद?
चीन हर स्टूडेंट के लिए मिलिट्री ट्रेनिंग को अनिवार्य बनाना चाहता है. राष्ट्रपति शी जिनपिंग जल्द ही इसके लिए एक अहम कानून लाने जा रहा है, जिसके तहत देश के सभी हाईस्कूलों और कॉलेजों में स्टूडेंट्स के लिए मिलिट्री ट्रेनिंग को कंप्लसरी कर दिया जाएगा. ऐसे में सवाल ये है कि आखिर चीन को किस बात का डर सता रहा है, जो इस तरह का कानून लाने जा रहा है. आखिर इस कदम के पीछे ड्रैगन का क्या मकसद है.
चीन को किस बात का डर?
चीन अपनी विस्तारवादी नीति के चलते विवादितों में घिरता चला जा रहा है. उसका ताइवान जलडमरूमध्य और दक्षिण चीन सागर को लेकर विवाद जारी है, जिससे चीन को डर सता रहा है कि अगर इन इलाकों में तनाव बढ़ता है तो उसका अमेरिका के साथ सैन्य टकराव हो सकता है, इसलिए राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए ऐसा किया जा रहा है. हालांकि, कुछ एक्सपर्ट्स का ये भी कहना है कि स्टूडेंट्स को मिलिट्री ट्रेनिंग देकर शी जिनपिंग ताइवान पर संभावित आक्रमण से पहले राष्ट्रवाद को बढ़ावा देना चाहते हैं.
चीन का क्या है मकसद?
स्टूडेंट्स के लिए मिलिट्री ट्रेनिंग को कंप्लसरी बनाने की तैयारियों के पीछे चीन के कई मकसद हैं. जो इस प्रकार हैं–
-
राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ावा देने के अलावा चीन चाहता है कि देश में हर स्टूेंडट के पास नेशनल डिफेंस एजूकेशन की जानकारी हो.
-
सभी छात्र मिलिट्री सर्विस के प्रति जागरूक हों और उनके पास इससे जुड़ी जरूरी नॉलेज भी हो चाहिए.
-
अधिक से अधिक युवाओं चीनी आर्मी को ज्वॉइन करने के लिए मोटिवेड करना भी मकसद हो सकता है.
-
किसी भी युद्ध की स्थिति में होने वाली सैनिकों की कमी से निपटने भी इसके पीछे का कारण हो सकता है.
छात्रों क्या-क्या सिखाया जाएगा?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कानून बनने के बाद छात्रों को वो सभी मिलिट्री ट्रेनिंग दी जाएगी, जो एक चीनी सैनिकों को दी जाती है. उनको हथियार चलाने से लेकर सीधे युद्ध की कला भी सिखाई जाएगी. उनको नेशनल डिफेंस एजूकेशन पढ़ाई जगाई, जिसके तहत उनको सैन्य तरीकों और पड़ोसी देशों के साथ जो विवाद हैं, उनके बारे में बताया जाएगा.