मनमोहन सिंह का यह पोस्ट 7 सितंबर, 2013 को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (तब ट्विटर) पर किया गया था। इस पोस्ट में लिखा है, राहुल गांधी की लीडरशिप में कांग्रेस पार्टी के लिए काम करने में मुझे खुशी होगी।
सोशल मीडिया पर लोगों ने मनमोहन सिंह के इस ट्वीट को लेकर तरह-तरह की प्रतिक्रिया दी हैं। एके नाम के यूजर का कहना है, यह उम्र या वरिष्ठता के बारे में नहीं है, लेकिन लानत है, यदि आप इतने लंबे समय से सार्वजनिक सेवा में हैं, तो आप इससे अधिक सम्मान के पात्र हैं। यह गुलामी की तरह है।
रमेश तिवारी नाम के एक यूजर ने प्रतिक्रिया में लिखा, मनमोहन सिंह अगर 20 साल और दुनिया में रहे तो ऐसा ही ट्वीट रेहान वाड्रा के लिए भी करेगे। कांग्रेस में बुजुर्ग कांग्रेसियों ने नेहरू के लीडरशिप में, इंदिरा गांधी के लीडरशिप में, राजीव गांधी के लीडरशिप में, सोनिया गांधी के लीडरशिप में और राहुल गांधी के लीडरशिप में काम किया है। केवल रेहान वाड्रा ही बाकी रह गए हैं।
व्यास लक्ष्मीनारायण नाम के यूजर ने कमेंट में लिखा है, वह जिस पद पर थे, वह कितनी शर्म की बात है। परिवारवाद की राजनीति के आगे नतमस्तक एक प्रधानमंत्री। इसे देखकर कांग्रेस में दशकों से चली आ रही गुलामी की पराकाष्ठा का अंदाजा लगाया जा सकता है।
विवेक नाम के एक यूजर ने कहा, यह भारतीय राजनीति की जटिलताओं पर एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है। यह दिखाता है कि कैसे नेताओं का निजी और राजनीतिक अनुभव, उनके फैसलों को प्रभावित करता है। यह समझना महत्वपूर्ण है कि कैसे व्यक्तिगत और राजनीतिक संबंध, सरकार के कामकाज और जनता की धारणा को आकार देते हैं।
राहुल सिंह सोलंकी नाम के यूजर ने कहा कि यह मानसिक गुलामी का सटीक उदाहरण है। लक्ष्मी सिंह का कहना है, यह सीधा गुलामी की शपथ है। विवेक राय नाम के यूजर का कहना है कि यह कथित गांधी नेहरू परिवार खुद को भारत की संस्थाओं से ऊपर मानता है। तो राजीव शर्मा नाम के यूजर ने इसको शर्मनाक बताया है। इसके अलावा मनमोहन सिंह को कठपुतली पीएम भी बताया गया है।
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस पार्टी में कुछ नेता अभी भी ऐसे हैं जो राहुल गांधी के नेतृत्व को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त नहीं हैं। मौजूदा समय में राहुल गांधी लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के पद पर हैं।