लखनऊ, 6 सितंबर। कई औषधीय गुणों से भरपूर गन्ने से बना गुणकारी गुड़ लोगों को मिठास के साथ रोजगार भी दे रहा। हाल ही में लखनऊ में सीआईआई की ओर से आयोजित फार्म टू फोर्क समिट में गन्ना अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. रसप्पा विश्वनाथ ने बताया कि गुड़ से उत्तर प्रदेश में करीब ढाई लाख लोगों को स्थानीय स्तर पर रोजगार मिलता है।
उत्तर प्रदेश के गुड़ का क्रेज बढ़ाने में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने गुड़ को मुजफ्फरनगर और अयोध्या का ओडीओपी (एक जिला एक उत्पाद) घोषित किया। साथ ही इसकी ब्रांडिंग के लिए मुजफ्फरनगर और लखनऊ में गुड़ महोत्सव का आयोजन किया। इसमें लोगों ने 100 से अधिक तरह के गुड़ के उत्पाद देखे। सोने और चांदी के वर्क लगे गुड़ की प्रति किलोग्राम कीमत हजारों में थी। मुख्यमंत्री लगातार गन्ना किसानों को इस बात के लिए प्रेरित करते रहते हैं कि वह प्रसंस्कृत कर गन्ने के विभिन्न उत्पाद बनाएं। अब तो गुड़ के चाकलेट, कैंडी, खीर, औषधीय महत्व की चीजों को मिलाकर कई तरह के गुड़ बनने लगे हैं। ये स्वाद में भी बेहतर हैं और स्वास्थ्य के लिए भी।
गुड़ में मिलने वाले पोषक तत्त्व
गुड़ में भरपूर मात्रा में आयरन, पोटैशियम, विटामिन बी, फाइबर के अलावा मैग्नीशियम, जिंक और कॉपर आदि मिनरल्स भी पाए जाते हैं। ये सभी स्वास्थ्य के लिए उपयोगी हैं। मसलन आयरन का एक अच्छा स्रोत होने के कारण यह रक्ताल्पता (एनीमिया) को रोकने में मदद करता है। इसमें मौजूद कैल्शियम हड्डियों और दांतों के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। पोटैशियम रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है। गुड़ में उपलब्ध विटामिन बी ऊर्जा उत्पादन और तंत्रिका तंत्र के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है।
गुड़ में फाइबर होता है, जो पाचन तंत्र के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। गुड़ में मैग्नीशियम, जिंक और कॉपर आदि मिनरल्स होते हैं। ये शरीर के विभिन्न कार्यों के लिए महत्वपूर्ण हैं।
योगी सरकार ने पहले कार्यकाल से ही गन्ना किसानों के हित को सर्वोपरि रखा
योगी सरकार के पहले कार्यकाल से ही गन्ना किसानों का हित प्राथमिकता पर रहा है। इन प्रयासों के चलते बसपा और सपा सरकार में बकाये के कारण किसानों के लिए कड़वे हो चुके गन्ने की मिठास अब लौट आई है। सरकार ने गन्ना मूल्य भुगतान, गन्ने के प्रति हेक्टेयर उत्पादन, चीनी परता और कोरोना काल में सभी चीनी मिलों के संचलन के मामले में रिकॉर्ड बनाया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दूसरे कार्यकाल में गन्ना ‘ग्रीन गोल्ड” बनने की राह पर है।
अब तक हो चुका है 2.53 लाख करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान
योगी सरकार गन्ना किसानों को अब तक 2.53 लाख करोड़ से अधिक का भुगतान कर चुकी हैं। गन्ना मूल्य का रिकॉर्ड एवं समयबद्ध भुगतान की पारदर्शी प्रक्रिया, प्रति कुंतल दाम में वृद्धि, खांडसारी इकाइयों के लाइसेंस प्रक्रिया का सरलीकरण जैसी नीतियों के कारण आने वाले समय में गन्ने की मिठास का और बढ़ना तय है।
मालूम हो कि प्रदेश में गन्ना किसानों की बड़ी संख्या के नाते राजनीतिक रूप से यह बेहद संवेदनशील फसल है। गन्ना मूल्य के बकाये से लेकर पेराई न होना आदि बड़ा मुद्दा बन जाता रहा है। योगी सरकार में अब यह कोई मुद्दा नहीं रहा। मार्च-2017 में योगी सरकार के आने के पहले बकाया बड़ा मुद्दा था। सरकार ने आने के साथ ही पहला फोकस भुगतान पर किया।
भुगतान के साथ नई मिलें लगीं, पुरानी मिलों का आधुनिकीकरण भी हुआ
गन्ना मूल्य भुगतान के साथ ही सरकार ने सबसे ज्यादा जोर पुरानी मिलों के आधुनिकीकरण और नयी मिलों की स्थापना पर दिया। इस क्रम में करीब दो दर्जन मिलों की क्षमता बढ़ायी गयी। गोरखपुर के पिपराइच, बस्ती के मुंडेरा और बागपत के रमाला में अत्याधुनिक और अधिक क्षमता की नई मिलें लगायी गयीं। उल्लेखनीय है कि बसपा और सपा शासन काल में 2007 से 2017 के दौरान बंद होने वाली 29 मिलों के मद्देनजर नयी मिलों को खोलना और पुरानी मिलों का आधुनिकीकरण किसानों के हित में ऐतिहासिक कदम रहा ।
खांडसारी इकाइयों के नियमों में सरलीकरण
स्थानीय स्तर पर गन्ने की पेराई हो, इसके लिए 25 साल बाद पहली बार किसी सरकार ने 100 घंटे के अंदर खांडसारी इकाईयों को ऑनलाइन लाइसेंस जारी करने की व्यवस्था की। इसके दायरे में पहले से चल रही इकाईयां भी थीं। सरकार के अनुसार मौजूदा समय में 284 से अधिक इकाइयों को लाइसेंस निर्गत किया जा चुका है। इनकी कुल पेराई क्षमता लगभग 15 चीनी मिलों के बराबर है।
किसानों के साथ मिलर्स का भी ख्याल
सरकार ने किसानों के साथ मिलर्स के हितों का भी ख्याल रखा। मिलर्स को चीनी का अधिक दाम मिले, इसके लिए गोरखपुर के पिपराइच और बस्ती के मुंडेरा मिलों में सल्फरमुक्त चीनी बनाने का काम भी शुरू हुआ। मिलें ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर बनें, इसके लिए उनमें को-जेनरेशन प्लांट भी लगाये जा रहे हैं।
जब तक खेत में गन्ना है तब तक चलेंगी मिलें : योगी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का साफ निर्देश है कि जब तक खेत में किसानों का गन्ना है तब तक उस क्षेत्र की मिल को चलना चाहिए। चीनी मिलों की बढ़ी संचलन अवधि की वजह से गन्ने की खरीद भी बढ़ी है।
गन्ने के बारे में कुछ तथ्य
उप्र देश का सर्वाधिक गन्ना उत्पादक राज्य है। देश के गन्ने के कुल रकबे का 51 फीसद एवं उत्पादन का 50 और चीनी उत्पादन का 38 फीसद उप्र में होता है। देश में कुल 520 चीनी मिलों से 119 उत्तर प्रदेश में हैं। करीब 48 लाख गन्ना किसानों में से 46 लाख से अधिक मिलों को अपने गन्ने की आपूर्ति करते हैं। यहां का चीनी उद्योग करीब 6.50 लोगों को प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से रोजगार देता है। गन्ने से एथनॉल उत्पादन में भी उत्तर प्रदेश नंबर एक है। केंद्र सरकार द्वारा पेट्रोल में एथनाल का मिश्रण बढ़कर 20% किए जाने के निर्णय से भी गन्ना किसानों को लाभ होगा।