न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली जमानत याचिका पर सुनवाई करेगी।
हाल ही में शीर्ष अदालत ने आबकारी नीति मामले में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री सिसोदिया, बीआरएस नेता के. कविता और आप के पूर्व संचार प्रभारी विजय नायर की जमानत याचिकाएं मंजूर की।
सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी विशेष अनुमति याचिका में आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक ने अपनी गिरफ्तारी और उसके बाद रिमांड आदेशों को चुनौती दी है, साथ ही भ्रष्टाचार के मामले में जमानत की भी गुहार लगाई है। दूसरी ओर, सीएम केजरीवाल की याचिका को खारिज करने की मांग करते हुए सीबीआई ने कहा कि आप सुप्रीमो केवल मामले को राजनीतिक रूप से सनसनीखेज बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि विभिन्न अदालतों द्वारा बार-बार पारित किए गए आदेश उनके खिलाफ लगे आरोपों की पुष्टि करते हैं और जिसका संज्ञान पहले ही लिया जा चुका है।
केंद्रीय जांच एजेंसी ने कहा, सीएम केजरीवाल दिल्ली सरकार में कोई मंत्री पद नहीं रखते हैं, लेकिन सरकार और पार्टी के सभी फैसले उनकी सहमति और निर्देश पर लिए जाते हैं। उन्होंने कहा कि इनमें न केवल दिल्ली बल्कि पूरे देश (जहां आम आदमी पार्टी की उपस्थिति है )में लिए गए निर्णय भी शामिल हैं ।
सीबीआई ने सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल अपने हलफनामे में कहा, समय के साथ यह बात सामने आई कि नई आबकारी नीति के निर्माण में सभी महत्वपूर्ण निर्णय याचिकाकर्ता (केजरीवाल) के इशारे पर तत्कालीन उपमुख्यमंत्री और आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया की मिलीभगत से लिए गए थे। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, यह स्पष्ट होने लगा कि नई आबकारी नीति के निर्माण में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी।
सुप्रीम कोर्ट ने 12 जुलाई को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सीएम केजरीवाल को अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था। हालांकि, सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद से वह जेल से बाहर नहीं आ पाए।
इस बीच, मंगलवार को यहां की एक अदालत ने कथित शराब नीति घोटाले में सीएम केजरीवाल और अन्य आरोपियों के खिलाफ सीबीआई द्वारा दायर आरोप पत्र का संज्ञान लिया। विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने सीएम केजरीवाल के लिए 11 सितंबर को प्रोडक्शन वारंट जारी किया, साथ ही उनकी हिरासत भी उसी तारीख तक बढ़ा दी।