लखनऊ। भारत के सबसे बड़े कृषि उद्यम समुन्नति का आगामी 3 और 4 सितंबर 2024 को हैदराबाद में आयोजित होने वाला दो दिवसीय एफपीओ कॉन्क्लेव का चौथा संस्करण “कृषि क्षेत्र में स्थिरता” थीम पर केंद्रित होगा। इस कॉन्क्लेव में देश भर से 500 से अधिक एफपीओ और कृषि एमएसएमई, कृषि कॉर्पोरेट्स, कृषि विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थानों के 700 से अधिक प्रतिभागी शामिल होंगे। वहीं, केंद्र और राज्य सरकार के मंत्रिमंडलों के प्रमुख प्रतिनिधि, नाबार्ड के अधिकारी, कृषि-तकनीकी से संबंधित कंपनियों और कृषि क्षेत्र के अग्रणी शोधकर्ता भी शामिल रहेंगे।
पिछले 10 सालों से एफपीओ और छोटे किसानों को सशक्त बनाने के लिए अग्रणी रूप से कार्य कर रही समुन्नति का यह कॉन्क्लेव टिकाऊ खेती में भारत के भविष्य को आकार देने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। एफपीओ कॉन्क्लेव को ओलम एग्री जैसे कृषि क्षेत्र की कंपनियों का समर्थन मिला है, जो इस आयोजन के लिए प्लेटिनम प्रायोजक के रूप में जुड़े हुए हैं।कॉन्क्लेव के दौरान आयोजित होने वाली कार्यशालाओं, चर्चाओं और इंटरेक्टिव सत्रों की एक श्रृंखला के माध्यम से उपस्थित प्रतिनिधि टिकाऊ खेती, बाजारों तक पहुंच और कृषि दक्षता बढ़ाने में प्रौद्योगिकी की भूमिका से संबंधित नवीनतम रुझानों पर चर्चा करेंगे।
यह कॉन्क्लेव भारत के कृषि परिदृश्य के लिए एक महत्वपूर्ण समय पर आयोजित हो रहा है। हाल के वर्षों में, सरकार ने पारंपरिक और टिकाऊ किसानों के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने में एक प्रमुख साधन के रूप में एफपीओ के महत्व पर जोर दिया है। इसके अलावा ऐसे संगठनों को समर्थन देने के लिए वित्तीय प्रतिबद्धता की भी वकालत की है।
समुन्नति के को-फाउंड़र और सीईओ श्री अनिल कुमार एसजी का मानना है कि, “कृषि उत्पादों को बाजारों तक पहुंचाना हमेशा से एक महत्वपूर्ण मुद्दा रहा है, लेकिन एफपीओ के जरिए इस चुनौती का समाधान निकाला जा रहा है। उन्होंने कहा, ऐसे संगठनों को मजबूत करने के प्रयासों को जारी रखना बहुत महत्वपूर्ण है, ताकि वे टिकाऊ कृषि पद्धतियों की बढ़ती मांग को पूरा करने में सक्षम हो सकें।”
समुन्नति एफपीओ कॉन्क्लेव 2024 का उद्देश्य भारत में टिकाऊ कृषि के लिए एक दूरदर्शी रोडमैप तैयार करना है। नीति निर्माताओं, वित्तीय संस्थानों और कृषि-तकनीकी नव-प्रवर्तकों सहित प्रमुख हितधारकों के बीच संवाद को बढ़ावा देकर, यह आयोजन सहयोग और नवाचार के लिए एक महत्वपूर्ण मंच बनेगा। कॉन्क्लेव में साझा की गई चर्चाओं और अंतर्दृष्टियों का इस बात पर स्थायी प्रभाव पड़ने की उम्मीद है कि भारत टिकाऊ कृषि पद्धतियों में परिवर्तन के बारे में कैसे सोचता है।