लखनऊ: संसदीय लोकतंत्र समन्वय और आपसी सूझबूझ से चलने का संदेश देता है। ऐसा समन्वय, जहां लोकहित व राष्ट्रहित सर्वोपरि हो। जब यह हमारी प्राथमिकता में होते हैं तो दोनों को एक-दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता है। इसकी आधारशिला सुशासन से पड़ती है। सुशासन की आधारशिला रूल ऑफ लॉ से पड़ती है। रूल ऑफ लॉ समाज के हर व्यक्ति के लिए लक्ष्मण रेखा तय करती है।
उक्त बातें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहीं। उन्होंने रविवार को स्मृतिशेष 577 अधिवक्ताओं के आश्रितों को लोकभवन में अधिवक्ता कल्याण निधि से सहायता राशि प्रदान की। सीएम योगी ने कहा कि कल रक्षाबंधन का त्योहार है। इसकी पूर्व संध्या पर यह आयोजन बताता है कि त्योहार का आनंद इससे अच्छा नहीं हो सकता, जब हम किसी निराश्रित के साथ खड़े होकर उसकी सहायता के लिए तत्पर दिखाई देते हैं।
2047 तक देश को विकसित भारत बनाना है
सीएम योगी ने कहा कि 26 नवंबर 1949 को भारत का संविधान बनकर तैयार हुआ था, लेकिन मोदी जी के आने के बाद इस तिथि को संविधान दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया। पीएम ने आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में हमें नागरिक कर्तव्यों के प्रति आग्रही बनाया। जब हम अधिकार की चर्चा करते हैं, लेकिन कर्तव्य की नहीं करते तो वहीं पर टकराहट होती है। यदि 2047 तक देश को विकसित भारत बनाना है और हर भारतवासी के चेहरे पर खुशहाली लानी है। उसके ईज ऑफ लिविंग को बेहतरीन करना है तो हमें नागरिक कर्तव्यों को प्राथमिकता देनी होगी।
पात्रता के आधार पर शासन की योजनाओं का मिल रहा लाभ
सीएम योगी ने कहा कि शासन के पास जब सोर्स ऑफ इनकम होंगे तो वेलफेयर के रास्ते अपने आप ही खुलते दिखाई देंगे। जरूरतमंदों को यह चीजें मिलें, ऐसे प्रयास होते रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में एक करोड़ परिवार ऐसे हैं, जिन्हें प्रतिमाह पेंशन स्कीम (वृद्धा, दिव्यांग और निराश्रित पेंशन) से जोड़ा गया है। बिना भेदभाव के सिर्फ पात्रता के आधार पर उन्हें यह सुविधा मिलती है। बहुत अधिवक्ता ऐसे हैं, जिनका देखभाल करने वाला कोई नहीं है। उन्हें भी शासन की तरफ से इसका लाभ मिलेगा। प्रदेश में 5.11 करोड़ लोगों को गोल्डन कार्ड जारी किया गया है। प्रति वर्ष पांच लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा का कवर उपलब्ध करा रहे हैं। सात वर्ष में 56 लाख निराश्रितों को आवास उपलब्ध कराया गया है।
54 बस्तियों के लोगों को 2017 तक वोट देने का अधिकार नहीं था
सीएम योगी ने कहा कि यूपी में 54 ऐसी बस्तियां थीं, जो 100 वर्ष पहले बसाई गई थीं, लेकिन 2017 तक वहां के लोगों को वोटिंग का अधिकार नहीं था। उनको राशन कार्ड समेत अन्य सुविधाओं का लाभ नहीं मिलता था। वे खानाबदोश की तरह समाज से कटे हुए रहते थे। हम लोगों ने लड़ाई लड़ी और देश की संसद में उनके लिए 2007-2008 में उनके लिए अधिनियम बने, लेकिन उत्तर प्रदेश में उसे पारित होने में और 10 साल लगे। 2017 में 54 बस्तियों को राजस्व ग्राम का दर्जा देकर सभी सुविधाओं से आच्छादित किया गया। उन बस्तियों में जाने पर उनके चेहरे की चमक देखती ही बनती है। वे गरीब हैं, लेकिन गर्व से कहते हैं कि मैं भारतीय हूं।
सामूहिक रूप से बोली गई आवाज 140 करोड़ लोगों की होती है
सीएम ने कहा कि कोरोना में भारत ने साबित करके दिखाया कि वह 140 करोड़ लोगों के साथ सरकार खड़ी है। सीएम ने कहा कि सामूहिक रूप से बोली गई आवाज 140 करोड़ लोगों की होती है। अलग-अलग बंटकर आवाज उठाते हैं तो आपस में लड़-भिड़कर विकास में बैरियर बन जाते हैं। हमें विकास में बैरियर नहीं बनना है, बल्कि अनुगामी बनकर विकास प्रक्रिया को बढ़ाना है।
सीएम ने गिनाए अधिवक्ता हित में किए गए कार्य
सीएम योगी ने कहा कि कॉपर्स फंड की राशि 200 करोड़ से बढ़ाकर 500 करोड़ रुपये कर दिया है। आवश्यकता पड़ने पर इसमें वृद्धि भी करेंगे। इसके ब्याज से ही अधिवक्ताओं को कोई समस्या नहीं होगी। मृतक अधिवक्ता के आश्रित के लिए अधिवक्ता कल्याण निधि की राशि डेढ़ लाख से बढ़ाकर पांच लाख की गई। आयु भी 60 से बढ़ाकर 70 वर्ष की गई।
अब तक 134 करोड़ 32 लाख से अधिक धनराशि उपलब्ध कराई गई
सीएम योगी ने बताया कि 2017-18 से अब तक 2754 स्मृतिशेष अधिवक्ताओं के परिजनों को 134 करोड़, 32 लाख, 50 हजार की राशि उपलब्ध कराई गई है। आज 577 अधिवक्ताओं के परिजनों को 28 करोड़ 31 लाख रुपये प्रदान किए जा रहे हैं। 12 ऐसे आश्रित हैं, जिन्हें 50 हजार रुपये व 565 आश्रितों को पांच-पांच लाख उपलब्ध कराया गया है। 3758 युवा अधिवक्ताओं को तीन वर्ष तक पुस्तक-पत्रिका क्रय करने के लिए धनराशि उपलब्ध कराई गई है।
अधिवक्ताओं के लिए चैंबर, वादिकारियों के बैठने की भी होगी व्यवस्था
सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि दस जनपदों में डिस्ट्रिक्ट कोर्ट नहीं बन पाए थे। वहां इंटीग्रेटेड कोर्ट कॉम्प्लेक्स जल्द से जल्द बनाने के निर्देश दिए गए हैं। अधिवक्ताओं के लिए चैंबर, कैंटीन, पार्किंग,वादिकारियों के बैठने की व्यवस्था भी यहां होगी।
अधिवक्ता चैंबर के लिए उपलब्ध कराई गई धनराशि
सीएम योगी आदित्यनाथ ने बताया कि अन्य जनपदों में भी अधिवक्ता चैंबर के लिए धनराशि उपलब्ध कराई है। झांसी, सुल्तानपुर, वाराणसी, प्रतापगढ़, संतकबीरनगर, सिद्धार्थनगर, देवरिया, बलरामपुर, गोरखपुर में राशि उपलब्ध कराने के साथ ही कासगंज, लखनऊ, मेरठ, श्रावस्ती के लिए धनराशि पहले भी उपलब्ध करा चुके हैं।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय में 10 हजार अधिवक्ताओं के लिए 608 करोड़ से बन रहा चैंबर
इलाहाबाद उच्च न्यायालय में 10 हजार अधिवक्ताओं के बैठने के लिए चैंबर व मल्टीलेवल पार्किंग का निर्माण हो रहा है। उनके लिए सरकार ने 608 करोड़ रुपये की धनराशि अवमुक्त की है। पूर्व राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के नाम पर प्रयागराज में राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय का शुभारंभ 16 फरवरी को हो चुका है। इसके लिए राज्य सरकार ने 387 करोड़ की धनराशि उपलब्ध कराई है।
इस अवसर पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अरुण भंसाली, वित्त व संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना, वरिष्ठ न्यायमूर्ति एआर मसूदी, मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह, महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्र, बार कौंसिल के अध्यक्ष शिवकिशोर गौड़, अवध हाईकोर्ट बार के अध्यक्ष आरडी शाही, प्रमुख सचिव (न्याय) विनोद सिंह रावत आदि मौजूद रहे।
सीएम ने दी पांच-पांच लाख रुपये की सहायता राशि
मुख्यमंत्री ने मृतक अधिवक्ताओं की आश्रितों को पांच-पांच लाख रुपये का चेक देकर सहायता राशि प्रदान की। सीएम ने मृतक अधिवक्ताओं की आश्रित पूनम श्रीवास्तव पत्नी स्व. अखिलेश श्रीवास्तव, शुभ्रा कुमार के पति संदीप कुमार, गायत्री मिश्रा स्व. हरीश चंद मिश्र, नीलिमा गुप्ता पत्नी स्व. प्रवीण कुमार गुप्ता, कुसुम श्रीवास्तव पत्नी स्व. देवकी नंदन श्रीवास्तव, शोभारानी पांडेय पत्नी स्व. दिनेश चंद्र पांडेय, प्रतीक्षा खरे पत्नी स्व. अभिषेक आनंद, संगीता सिंह पत्नी स्व. महेश सिंह, चंदा कुमारी पत्नी स्व. अमरेंद्र कुमार, कृष्णा गुप्ता पत्नी स्व. अनिल कुमार गुप्ता को पांच-पांच लाख रुपये का चेक प्रदान किया।