लखनऊ। स्वास्थ्य हर किसी का अधिकार है। यह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए सिर्फ नारा नहीं, संकल्प है। इस संकल्प को वह एक बार नहीं, न जाने कितनी बार दोहरा चुके हैं। मुख्यमंत्री रहते हुए भी और उसके पूर्व बतौर सांसद भी। इस संबंध में वे सरकार की सीमाओं से भी वाकिफ हैं। इसलिए, शुरू से उनका जोर रहा है कि इस क्षेत्र में निजी लोगों, धार्मिक और सामाजिक संस्थाओं को भी अच्छे इरादे और जरूरतमंदों के सेवा भाव से प्रभावी भूमिका निभानी चाहिए।
इसके लिए वे लगातार प्रयासरत भी हैं। निजी रूप से भी और सरकार के मुखिया के रूप में भी। आरोग्य मेले इसमें प्रभावी भूमिका निभा सकते हैं। बतौर सांसद, गोरक्षपीठ के उत्तराधिकारी और पीठाधीश्वर के रूप में पीठ से जुड़े गुरु गोरक्षनाथ चिकित्सालय द्वारा आयोजित ऐसे स्वास्थ्य मेलों के आयोजन से उनको इसका असर भी पता है।
आरोग्य मेले साकार करेंगे सबके स्वास्थ्य का सपना
सरकार ने प्रदेश में 3388 प्राथमिक स्वास्थ्य केंदों पर 1 लाख 72 हजार आरोग्य मेलों के आयोजन की घोषणा की है। इन मेलों से करोड़ों लोगों को लाभ होगा। बुनियादी जांचों से उनको अपने रोग का पता चल जाएगा। रोग गंभीर हुआ तो वह पास के रेफरल केंद्र पर इलाज के लिए जा सकते हैं।
नए मेडिकल कॉलेज खुले, उपलब्ध चिकित्सा संस्थानों की गुणवत्ता बेहतर हुई
मरीज का समय और संसाधन बचे, इसके लिए योगी सरकार ने पहले से मौजूद जिला अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों की बुनियादी सुविधाओं को बेहतर बनाया है। सरकार की एक जिला-एक मेडिकल कॉलेज की धारणा भी इन्हीं प्रयासों की कड़ी है। पैसे के बिना किसी का इलाज न रुके, इसके लिए 5.11 करोड़ लोगों के आयुष्मान कार्ड बने हैं। घर बैठे लोगों को एक्सपर्ट चिकित्सकों की सलाह मिल सके, इसके लिए सरकार ई संजवानी योजना के जरिये टेली मेडिसिन सेवा का लगातार विस्तार कर रही है। उपलब्ध अद्यतन आंकड़ों के अनुसार अब तक दो करोड़ से अधिक लोग इस सेवा का लाभ ले चुके हैं। यही नहीं गंभीर रोगों के इलाज के लिए भी योगी सरकार बेहद उदारता से मदद करती है। अपने हर जनता दरबार में मुख्यमंत्री अधिकारियों को इस बाबत निर्देश भी देते हैं। अब तक मुख्यमंत्री सहायता कोष से 1 लाख 88 हजार लोग लाभान्वित कराए जा चुके हैं। यह सिलसिला लगातार जारी है।
प्रति व्यक्ति चिकित्सकों की संख्या बढ़ाने पर जोर
सरकार की मंशा प्रति व्यक्ति चिकित्सकों, नर्सिंग और पैरामेडिकल स्टॉफ बढ़ाकर प्रदेश की चिकित्सा को और बेहतर बनाने की है। इसीलिए मौजूदा मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस, एमडी, एमएस और अन्य स्पेशलाइज उच्च पाठ्यक्रमों की संख्या बढ़ाई जा रही है। इस क्रम में मौजूदा समय में प्रदेश में सरकारी और निजी क्षेत्र के मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की क्रमशः 4550 और 5600 सीटें उपलब्ध हैं। इसके अलावा पीपीपी मोड की एमबीबीएस की सीटों की संख्या 350 है। नए मेडिकल कॉलेजों के बनने और इनको मान्यता मिलने पर इन सीटों की संख्या और बढ़ जाएगी। इसी तरह एमडी, एमएस और डिप्लोमा सीटों की संख्या 900 से बढ़कर 1543 हो गईं। निजी सेक्टर में 1775 सीटें इसके अलावा हैं।
नर्सिंग और पैरामेडिकल स्टॉफ की संख्या बढ़ने से मरीजों को राहत
चिकित्सक द्वारा इलाज के बाद सर्वाधिक अहम होती है मरीजों को मिलने वाली नर्सिंग और पैरामेडिकल स्टाफ की सुविधाएं। हर मरीज को गुणवत्तापूर्ण नर्सिंग और पैरामेडिकल स्टॉफ की सुविधाएं मिलें, इसके लिए सात साल में योगी सरकार नर्सिंग और पैरा मेडिकल स्टॉफ की सीटों में क्रमशः 7000 और 2000 सीटों की वृद्धि कर चुकी है।
हेल्थ पैरामीटर के जरूरी मानक बताकर लोगों को जागरूक कर रहे हेल्थ एटीएम
जगह-जगह स्थापित हेल्थ एटीएम भी चंद मिनट में लोगों को उनके स्वास्थ्य संबंधी कई जरूरी पैरामीटर बताकर उनको उनके स्वास्थ्य के बारे में जागरूक कर रहे हैं। सरकार की मंशा हर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर हेल्थ एटीएम स्थापित करने की है।
हर जिले में उपलब्ध हुई डायलिसिस की सुविधा
हर जिले में डायलसिस की सुविधा, करीब 23000 आरोग्य मंदिरों की स्थापना, मिशन निरामया के तहत 300 संस्थाओं में नर्सिंग और पैरामेडिकल के पाठ्यक्रम शुरू करना भी ‘स्वास्थ्य हर किसी का अधिकार’ नारे को चरितार्थ करने की ही कड़ी है।
इलाज के साथ आरोग्य पर भी फोकस
सिर्फ इलाज ही नहीं, लोग निरोग रहें इसके लिए भी योगी सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। पौधरोपण में पोषण तत्वों का पावरहाउस कहे जाने वाले सहजन पर जोर, किचन गार्डन में आरोग्य वाटिका लगाने को प्रोत्साहित करना, जैविक और प्राकृतिक खेती, मोटे पर पोषक तत्वों से भरपूर मोटे अनाजों (मिलेट्स) की खेती का प्रोत्साहन भी लोगों को निरोग रखने के प्रयासों का हिस्सा है।