गोरखपुर में भी बसती हैं काकोरी की यादें

लखनऊ। 9 अगस्त 1925 को काकोरी के पास ट्रेन से सरकारी खजाना लूटने के मामले में पंडित रामप्रसाद बिस्मिल, चंद्रशेखर आजाद, मन्मथ नाथ गुप्त, अशफाक उल्लाह खां, राजेंद्र लाहिड़ी, सचिंद्र नाथ सान्याल, केशव चक्रवर्ती, मुरारीलाल, मुकुंदीलाल और बनवारी लाल के साथ अभियुक्त बनाये गये। इस आरोप में पंडित राप्रसाद विस्मिल गोरखपुर जेल में बंद थे। ट्रायल के बाद उनको 19 दिसंबर 1927 को फांसी दे दी गई। पंडित राम प्रसाद बिस्मिल के नाम पर जिला कारागार में एक खूबसूरत स्मारक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल से बना है। उनके जन्मदिन और शहादत के दिन बड़ी संख्या में पुष्पांजलि अर्पित करने लोग वहां जाते हैं।

बिस्मिल ने गोरखपुर जेल से लिखा था अशफाक उल्ला को पत्र
अशफाक उल्ला खां भी काकोरी ट्रेन एक्शन के नायकों में से एक थे। उनको भी इसी केस में सजा-ए-मौत मिली थी। पंडित रामप्रसाद बिस्मिल से उनका बेहद याराना था। जेल से उन्होंने अशफाक को पत्र भी लिखा था। पत्र कुछ यूं था। “प्रिय सखा…अंतिम प्रणाम, मुझे इस बात का संतोष है कि तुमने संसार में मेरा मुंह उज्जवल कर दिया। ..जैसे तुम शरीर से बलशाली थे वैसे ही मानसिक वीर और आत्मबल में भी श्रेष्ठ सिद्ध हुए।”

गोरखपुर का चिड़ियाघर अशफाक उल्ला की याद दिलाता रहेगा
अशफाक उल्ला खां की स्मृति में गोरखपुर चिड़ियाघर का नामकरण उनके नाम पर किया गया है। मुख्यमंत्री जब भी यहां आते हैं, बिस्मिल, अशफाक समेत काकोरी ट्रेन एक्शन के सभी नायकों का जिक्र जरूर करते हैं।

सचिंद्र नाथ सान्याल स्मारक का पिछले साल किया था सीएम योगी ने शिलान्यास
पिछले साल मार्च में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वतंत्रता संग्राम के नायक सचिंद्रनाथ सान्याल की गोरखपुर से जुड़ी यादों को जीवंत रखने तथा वर्तमान व भावी पीढ़ी के लिए प्रेरणा पुंज बनाने के लिए सान्याल स्मारक का शिलान्यास किया था। यह स्मारक बनकर तैयार है और जल्द ही सीएम योगी के हाथों इसका उद्घाटन भी होगा। सनद रहे कि काकोरी केस के नायकों में से एक सचिंद्र नाथ सान्याल को 10 साल की सजा हुई थी। बाद में उन्होंने गोरखपुर को ही अपना घर बना लिया। जीवन पर्यन्त यहीं रहे।

इन कार्यक्रमों के पीछे योगी की मंशा
उल्लेखनीय है कि जिस तरह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर चौरी-चौरा शताब्दी वर्ष पर साल भर जंगे आजादी के शहीदों की याद में कार्यक्रम चले, उसी तरह काकोरी ट्रेन एक्शन की याद में भी साल भर कार्यक्रम चलेंगे। इस अवसर पर वहां आयोजित छह दिवसीय मेले का उद्घाटन 9 अगस्त को मुख्यमंत्री करेंगे। इन कार्यक्रमों के जरिये मुख्यमंत्री का प्रयास रहता है कि युवा पीढ़ी आजादी के इन नायकों के देश प्रेम के जज्बे, जोश और जुनून को जाने। यह भी जाने कि आजादी यूं ही प्लेट में सजाकर नहीं दी गई थी। इसके लिए हजारों लोगों ने कुर्बानी दी। अपना सब कुछ लुटा दिया। यही नहीं ऐसे आयोजनों के जरिये संबंधित घटनाओं से जुड़े शहीदो के भुला दिए गए परिजनों को सम्मानित कर वह उनकी यादों को फिर से लोगों के दिलो-दिमाग पर अमिट रूप से चस्पा कर देते हैं। शहीदों और उनके परिजनों को भी लगता है कि उनको वह सम्मान मिल रहा है जिसके वह हकदार थे।

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