लखनऊ/ग्रेटर नोएडा, 6 अगस्त। उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने की दिशा में प्रयासरत योगी सरकार ने ग्रेटर नोएडा में 50 टीडीपी गीले कचरे के निस्तारण व उसे बायो सीएनजी में परिवर्तित करने की परियोजना को गति दे दी है। इस योजना से ग्रेटर नोएडा के 95 सेक्टर, 124 गांव समेत 8 एडमिनिस्ट्रेटिव जोन के अंतर्गत कुल 380 स्क्वेयर किलोमीटर क्षेत्र में रह रहे 12 लाख लोग लाभान्वित होंगे। उल्लेखनीय है कि ग्रेटर नोएडा के ही सेक्टर-1 में ‘सिक्वेंशियल बैच रिएक्टर टेक्नोलॉजी’ बेस्ड सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की स्थापना किए जाने का कार्य भी शुरू हो गया है। 79.57 करोड़ की लागत से बनने वाले 45 एमएलडी कैपेसिटी युक्त सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट व वॉटर रीक्लेमशन फैसिलिटी की स्थापना, संचालन व टेस्टिंग की प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए एजेंसी निर्धारण व कार्यावंटन की प्रक्रिया जारी है। वहीं, 50 टीडीपी गीले कचरे के निस्तारण और उसे बायो सीएनजी में परिवर्तित करने की परियोजना को 17 करोड़ रुपए की लागत से गति दी जाएगी। ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने इस कार्य को पूरा करने के लिए कॉन्ट्रैक्टर निर्धारण व कार्यावंटन की प्रक्रिया शुरू कर दी है और इसे क्वॉलिटी व कॉस्ट बेस्ड सिलेक्शन के माध्यम से पूरा किया जाएगा।
अस्तौली में होगी इकाई की स्थापना
परियोजना का एक प्रमुख लक्ष्य नगरपालिका ठोस अपशिष्ट (म्यूनिसिपल सॉलिड वेस्ट) के 100% साइंटिफिक प्रोसेसिंग को बढ़ावा देना है। वर्तमान में, ग्रेटर नोएडा का अपशिष्ट प्रबंधन मॉडल 3 स्वीकृत प्रसंस्करण इकाइयों के साथ विकेंद्रीकृत है। इन 3 में से 2 इकाइयों में यांत्रिक खाद (प्रत्येक 10 टीपीडी) और तीसरी में जैव-मीथेनेशन (18टीपीडी) शामिल है। कुछ थोक जेरेटर जोन अपने कचरे को उसी स्थान पर संसाधित करते हैं। ऐसे में, पूरे क्षेत्र में 50 टीपीडी गीले कचरे का प्रसंस्करण कर उसे बायो-सीएनजी में बदला जाएगा। इस उद्देश्य के लिए, प्राधिकरण ने ग्रेटर नोएडा के अस्तौली में भूमि पार्सल की पहचान की जहां पर इकाई की स्थापना की जाएगी।
कई क्लस्टर्स की स्थापना से मिलेगी मदद
ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण पीपीपी मोड के तहत अपशिष्ट प्रबंधन व उसके साइंटिफिक प्रोसेसिंग को बढ़ावा देने के लिए कई क्लस्टर स्थापित करने पर कार्य कर रहा है, ताकि उत्पन्न सभी गीले कचरे को संसाधित करने की क्षमता का निर्माण किया जा सके। ऐसे में, एजेंसी निर्धारण व कार्यावंटन से इस प्रक्रिया को गति मिलेगी। अस्तौली में स्थापित होने वाली अपशिष्ट प्रसंस्करण इकाई को 25 वर्षों की संचालन अवधि के आधार पर निर्मित व विकसित किया जाएगा।
रोड रेडी फ्यूल के निर्माण का मार्ग होगा प्रशस्त
उल्लेखनीय है कि 50 टीपीडी गीले कचरे का प्रसंस्करण कर उसे बायो-सीएनजी जरिए रोड रेडी बायो फ्यूल बनाने की प्रक्रिया को गति दी जाएगी। परियोजना के अंतर्गत बनने वाली बायो-सीएनजी को सिटी बसों समेत विभिन्न वाहनों में प्रयुक्त किया जाएगा। यहां बनने वाली कंप्रेस्ड बायो गैस को इंडियन स्टैंडर्ड नॉर्मस (बीआईएस) तथा पेट्रोलियम एंड एक्सप्लोसिव्स सेफ्टी ऑर्गनाइजेशन (पेसो) के गैस सिलिंडर फिलिंग मानकों का पालन किया जाएगा।