नई दिल्ली: आज, 24 जुलाई 2024 को गजानन संकष्टी चतुर्थी का पावन पर्व मनाया जा रहा है. यह दिन भगवान गणेश की पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है. हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है. ये जिन दिन वार को आती है उसके अनुसार इसका महत्व बढ़ जाता है. इस बार सावन के महीने में आने वाली पहली चतुर्थी तिथि बुधवार को आयी है इसलिए इसे गजानन संकष्टी चतुर्थी कहा गया है. भगवान गणेश की कृपा और आशीर्वाद पाने के लिए इस दिन लोग शुभ मुहूर्त में पूजा करते हैं. संध्या समय में चंद्रमा के दर्शन के बाद पूजा संपन्न होती हैं. गणेश जी की मूर्ति की विधिपूर्वक पूजा की जाती है, जिसमें उन्हें दूर्वा, फूल, फल और मोदक अर्पित किए जाते हैं. व्रत रखने वाले दिनभर निर्जल या फलाहार पर रहते हैं. कुछ लोग एक समय का भोजन करते हैं, जिसमें बिना अनाज का उपयोग किया जाता है.
शुभ मुहूर्त
सुबह का मुहूर्त: 11:06 बजे से 12:39 बजे तक
अपराह्न का मुहूर्त: 01:33 बजे से 03:06 बजे तक
इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से बुद्धि, विद्या, धन, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. गजानन संकष्टी चतुर्थी के दिन किए गए व्रत और पूजा-अर्चना से भगवान गणेश शीघ्र प्रसन्न होते हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. इस दिन गणेश जी की पूजा करने से ग्रहों के दोष दूर होते हैं और जीवन में सुख-शांति का वास होता है. ऐसा माना जाता है कि गजानन संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश स्वयं पृथ्वी पर विराजमान होते हैं और भक्तों की पूजा ग्रहण करते हैं. गणेश जी की पूजा करने से विघ्न-बाधाएं दूर होती हैं और सभी कार्य सफल होते हैं. गजानन संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने से संतान प्राप्ति की कामना भी पूरी होती है.
संकष्टी चतुर्थी की पूजा के बाद चंद्रमा के दर्शन करना आवश्यक होता है. इसके बाद ही व्रत का पारण (समापन) किया जाता है. इस व्रत को करने से भक्तों के सभी कष्ट और विघ्न दूर होते हैं और उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. माना जाता है कि संकष्टी चतुर्थी का व्रत भगवान गणेश के आशीर्वाद से जीवन में सुख-समृद्धि और सफलता लाता है. गणेश मंत्रों का जाप करने से फोकस बढ़ता है, जैसे कि “ॐ गण गणपतये नमः” और “ॐ वक्रतुंडाय हुं”. गजानन संकष्टी चतुर्थी व्रत का पालन करने से व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक शांति मिलती है, साथ ही जीवन में आने वाली सभी समस्याओं का समाधान भी मिलता है.