लखनऊ में शुरु होगा आदर्श पालि शोध संस्थान

लखनऊ। केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, लखनऊ परिसर में 08 जुलाई, 2024 से 18 जुलाई, 2024 तक ‘दस दिवसीय व्यावहारिक पालि शिक्षण कार्यशाला’ का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यशाला में पालि व्याकरण को इस रीति से पढ़ाया जा रहा है कि इसका दैनन्दिन व्यवहार में उपयोग किया जा सके तथा शाक्यमुनि तथागत बुद्ध के वचनों से परिपूर्ण पालि तिपिटक साहित्य को जाना-समझा जा सके। ज्ञातव्य है कि केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली अपने विजन एण्ड मिशन के अनुसार पालि के व्यापक विकास की दृष्टि से गोमती नगर स्थित अपने लखनऊ परिसर में आदर्श पालि शोध संस्थान आरम्भ करने की योजना बना रहा है। शिक्षा मन्त्रालय, भारत शासन तथा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के दिशा-निर्देशानुसार पालि के अध्ययन-अध्यापन, प्रशिक्षण, अनुसन्धान तथा प्रचार-प्रसार हेतु लखनऊ परिसर में आदर्श पालि शोध संस्थान की स्थापना की जायेगी। उल्लेखनीय है कि परिसर में पूर्व से ही पालि अध्ययन केन्द्र में पालि तिपिटक साहित्य के अनुवाद तथा अनुसन्धान का कार्य वर्ष 2009 से चल रहा है। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. श्रीनिवास वरखेड़ी के प्रयासों से उक्त पालि अध्ययन केन्द्र को अब अपग्रेड करते हुए आदर्श पालि शोध संस्थान का स्वरूप प्रदान किया जायेगा। पालि अध्ययन केन्द्र के अस्थायी स्वरूप को स्थायित्व प्रदान करते हुए इस संस्थान का निर्माण किया जाना है।

परिसर निदेशक प्रो. सर्वनारायण झा ने बताया कि ‘शिक्षा मन्त्रालय, भारत सरकार के अनुमोदन के पश्चात् यथानियम अधिसूचना जारी की जायेगी। उक्त संस्थान वर्तमान में परिसर में ही संचालित होगा।’ प्रो. झा ने प्रश्न के जवाब में संस्थान के स्वरूप को स्पष्ट करते हुए बताया कि ‘भविष्य में इस संस्थान के व्यवस्थित क्रियान्वयन हेतु निदेशक पद के साथ-साथ एसोसिएट प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर तथा विविध प्राशासनिक पदों पर भर्ती की प्रक्रिया चलायी जायेगी। इसके साथ विविध अस्थायी पदों पर भी चयन प्रक्रिया आरम्भ की जायेगी।’

बौद्धदर्शन एवं पालि विद्याशाखा के अध्यक्ष प्रो. राम नन्दन सिंह का कहना है कि ‘आदर्श पालि शोध संस्थान में पालि सिखाने हेतु सरल पद्धति से ग्रन्थों का निर्माण किया जायेगा। इसमें पालि एवं बौद्ध साहित्य से सम्बन्धित विभिन्न प्रकार के सर्टिफिकेट एवं डिप्लोमा कोर्सेज़ चलाये जायेंगे तथा पालि भाषा एवं इसके व्याकरण को सिखाने के लिए देश के विभिन्न भागों में प्रशिक्षण-वर्ग आयोजित किये जायेंगे। ‘पालि साहित्य का बृहद् इतिहास’ लेखन की परियोजना इस संस्थान के माध्यम से चलाने का निर्देश विश्वविद्यालय मुख्यालय से प्राप्त हुआ है। पुनर्जागरण काल के पश्चात् पालि भाषा एवं साहित्य के अभ्युत्थान के लिए प्रयास करने वाले महापुरुषों एवं विद्वानों के चरित्र पर आधारित शताधिक मोनोग्राफ निर्माण करने की योजना है। भविष्य में पालि कम्प्यूटेशनल लिंग्विस्टिक्स के द्वारा टूल्स तथा एप्पस् का निर्माण किया जायेगा। पालि व्याकरण आदि से सम्बन्धित ऐसे अनेक ग्रन्थ हैं, जो इस समय देवनागरी में उपलब्ध नहीं हैं, उनका देवनागरीकरण एवं प्रकाशन किया जाना है। इसी प्रकार विशिष्ट पालि ग्रन्थों एवं जर्नल का प्रकाशन भी इस संस्थान के माध्यम से किया जायेगा।’

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com