(शाश्वत तिवारी) ढाका। विदेश मंत्रालय ने बीते सप्ताह मुंबई में समुद्री सुरक्षा सहयोग पर छठे पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (ईएएस) कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया, जिसका उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देना है।
यह सम्मेलन भारत, ऑस्ट्रेलिया और इंडोनेशिया की सह-अध्यक्षता में तथा ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ) तथा नेशनल मैरीटाइम फाउंडेशन (एनएमएफ) के सहयोग से आयोजित किया गया। कार्यक्रम के दौरान महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की गई, जिसमें समुद्री क्षेत्र जागरूकता, क्षमता निर्माण और क्षेत्रीय नौसेनाओं के बीच संयुक्त अभ्यास शामिल रहे।
समुद्री सुरक्षा सहयोग पर ईएएस सम्मेलन भारत द्वारा भागीदारों के सहयोग से आसियान के नेतृत्व वाले ईएएस तंत्र को मजबूत करने के साथ-साथ ईएएस कार्य योजना 2024-2028 के कार्यान्वयन का समर्थन करने की प्रतिबद्धता के रूप में आयोजित एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है। इस दौरान विदेश मंत्रालय में सचिव (पूर्व) जयदीप मजूमदार ने मुख्य भाषण दिया, जिसमें विशेष रूप से समुद्री सुरक्षा सहयोग के माध्यम से भारत-प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता और आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए संवाद और सहयोग के महत्व को रेखांकित किया गया।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने ‘एक्स’ पर लिखा सम्मेलन का उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देना और ईएएस कार्य योजना के कार्यान्वयन का समर्थन करना है। ईएएस में भाग लेने वाले देशों के थिंक टैंक और शिक्षाविदों के सरकारी अधिकारी और विशेषज्ञ समुद्री सुरक्षा से संबंधित छह विषयगत सत्रों पर विचार-विमर्श कर रहे हैं।
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा प्रतिभागियों ने समुद्री पर्यावरण को सुरक्षित करने के प्रयासों से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार-विमर्श किया, जिसमें इंडो-पैसिफिक महासागर पहल (आईपीओआई) और इंडो-पैसिफिक पर आसियान आउटलुक (एओआईपी), क्षेत्रीय समुद्री डोमेन जागरूकता, अवैध समुद्री गतिविधि का मुकाबला करना, समुद्री डकैती विरोधी और मानवीय सहायता एवं आपदा राहत (एचएडीआर) तथा खोज एवं बचाव (एसएआर) शामिल रहे।