लखनऊ : केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय लखनऊ परिसर, गोमती नगर में अत्याधुनिक विद्या से प्रवाहित हो रहीं पञ्चदिवसीय सं. वी-लॉग कार्यशाला के चतुर्थ दिवस में नित-नवनीत का अनुभव कर रहें सभी चयनित प्रतिभागियों का स्वयं कुलपति जी ने उत्साहवर्धन किया। सभी प्रतिभागियों से सम्वाद करते हुये कुलपति जी ने कार्यशाला में छात्रों द्वारा पठित उन सभी विषयों पर चर्चा किया जिनको कि छात्रों ने कक्षा एवं लखनऊ शहर के विभिन्न रमणीय क्षेत्र (पार्क) एवं परिसर में विषय विशेषज्ञों के साथ वहां जाकर प्रत्यक्ष रूप से प्रयोग करके सीखा। विभिन्न प्रान्तों से आये हुये उन सभी प्रतिभागियों से एक-एक करके कार्यशाला में पढ़ाये गये तत्तद विषयों में रुचि एवं कौशल का भी परीक्षण किया।
जिसमें लखनऊ परिसर के छात्र सौरभ मिश्र ने स्वयं बनाये हुये (संस्कृत वाला चैनल) के सन्दर्भ में वी लाग कार्यशाला की महत्ता को बताते हुये कहा कि यदि यह कार्यशाला पूर्व में आयोजित की गयी होती तो हम अपना चैनल और बेहतर बना पाते। भोपाल परिसर के छात्र जयसागर ने कहा सभी डिजिटल मीडिया का ज्ञान आज संस्कृत भाषा में हो रहा है। इसके लिए केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय को हम सभी धन्यवाद देते हैं। शृंगेरी परिसर से आये हुये राजेश्वर ने कार्यशाला के पञ्चदिवसीय होने का क्षोभ प्रकट किया और कहा इस प्रकार की ज्ञानवर्धिनी कार्यशाला के लिए 10 दिन भी कम पड़ेगा। इसी प्रकार सभी छात्रों ने अपने अनुभव को व्यक्त किया। सभी प्रतिभागियों के विचारों को सुनकर कुलपति जी ने भविष्य में और विस्तार रूप में कार्यशाला कराये जाने की बात करते हुये सभी को साधुवाद दिया और यह भी कहा कि सभी लोग अपने गांव, क्षेत्र, विश्वविद्यालय के परिसर अथवा श्रद्धेय प्राध्यापकों के लिए गुरुपूर्णिमा पर वी-लाग एवं रील बनायें।
लखनऊ परिसर के निदेशक प्रो. सर्वनारायण झा ने कुलपति जी के द्वारा छात्रों के उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुये सभी को एक साथ मिलकर आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। दिल्ली मुख्यालय के वरिष्ठतम अधिकरी (पीआरओ) प्रो. अजय मिश्र ने केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय को अधिक दूरगामी बताते हुये (जंगल में नाचा मोर) इस कहावत के स्पष्टीकरण में वी-लाग कार्यशाला के माध्यम से हमें मोर के नृत्य को देख पाना सम्भव हो सकता है और आने वाले समय में केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय की आवाज पूरी दुनिया में पहुंचेगी। कार्यशाला की समन्वयक डा. अमृता कौर ने सभी प्रतिभागियों के लिए गणमान्य अतिथियों से संस्कृत वी-लाग बनाने की प्रेरणा मिलती रहे। इस आशा के साथ माननीय कुलपति जी का एक गजल के साथ धन्यवाद करके कार्यक्रम का समापन किया।