लखनऊ। आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के साथ ही आने-जाने के लिए एक सुगम परिवहन उपलब्ध कराने की दिशा में आगे बढ़ते हुए, उत्तर प्रदेश सरकार के नगरीय परिवहन निदेशालय ने यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसएआईडी) और काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वॉटर (सीईईडब्ल्यू) के साथ मिलकर बुधवार को ‘मेरी बस, मेरी सड़क’ पहल की शुरुआत की है। इस पहल का उद्देश्य राज्य में एक सतत नगरीय परिवहन को प्रोत्साहित करना है। इस पहल के अंतर्गत, यूएसएआईडी समर्थित क्लीनर एयर एंड बेटर हेल्थ (सीएबीएच) परियोजना के तहत नगरीय परिवहन निदेशालय के मार्गदर्शन में तीन स्वतंत्र शोध अध्ययनों को भी प्रकाशित किया गया है। इकास अध्ययनों में, सीईईडब्ल्यू ने उत्तर प्रदेश के 26 प्रमुख शहरों में 2031 तक आवश्यक बसों की संख्या, बस स्टॉप और फुटपाथ जैसे आधारभूत ढांचे और निवेश संबंधी आवश्यकताओं के साथ-साथ एक उन्नत सार्वजनिक परिवहन के लाभों का आकलन किया है।
2031 तक 12 हजार नगरीय बसों की होगी जरूरत
‘मेरी बस, मेरी सड़क’ कार्यक्रम में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, 2031 तक प्रतिदिन कम से कम 60 लाख यात्रियों को सेवाएं देने के लिए उत्तर प्रदेश में 12,000 से अधिक नगरीय बसों की आवश्यकता होगी। इसके अतिरिक्त, अध्ययनों ने अधिक संख्या में इलेक्ट्रिक बसों को शामिल करने से होने वाले लाभों को भी रेखांकित किया है। सीएनजी बसों की तुलना में ई-बसें 23 से 32 प्रतिशत तक सस्ती होंगी और वाहनों से होने वाले प्रदूषण में उल्लेखनीय कमी लाएंगी, जिससे समग्र वायु गुणवत्ता (एयर क्वालिटी) में सुधार होगा। रिपोर्ट यह भी संकेत देती है कि उन्नत बस सेवाएं आने पर 40 लाख लोग दोपहिया और तिपहिया वाहनों की जगह पर बसों को अपना सकते हैं, जिससे सड़कों पर भीड़-भाड़ में कमी आएगी। यह परिवर्तन 2031 तक 24 किलोटन पीएम 2.5 (PM 2.5), 3.38 मीट्रिक टन कार्बन मोनो-ऑक्साइड (CO) और 0.321 मीट्रिक टन नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) जैसे प्रूदषणकारी तत्वों को घटाते हुए वायु गुणवत्ता में सुधार लाएगा।
सुव्यवस्थित नगर परिवहन प्रबंधन में अहम भूमिका निभाएगा कार्यक्रम
डॉ. राजेंद्र पेंसिया, निदेशक, नगरीय परिवहन निदेशालय ने कहा, “उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में प्रदेश आर्थिक विकास की अपनी महत्वाकांक्षाओं को प्राप्त करने के लिए तीव्र नगरीकरण की दिशा में अग्रसर है। हमें विश्वास है कि आगामी वर्षों में, ‘मेरी बस मेरी सड़क’ कार्यक्रम बसों की संख्या में अधिकाधिक वृद्धि, बेहतर सेवाएं और सुव्यवस्थित नगर परिवहन प्रबंधन में एक अहम भूमिका निभाएगा।” वहीं, सौमित्र दास, टीम लीड- एनवायरनमेंट, यूएसएआईडी/भारत ने कहा, “यूएसएआईडी समर्थित अध्ययनों से सामने आए निष्कर्ष बसों के बेड़े के विस्तार और इलेक्ट्रिफिकेशन में मौजूद परिवर्तनकारी क्षमता को रेखांकित करते हैं। वायु गुणवत्ता, भीड़-भाड़ और सुगम आवागमन जैसी प्रमुख चुनौतियां का समाधान करते हुए हम एक अधिक सतत और रहने योग्य शहरों का निर्माण कर सकते हैं और आर्थिक विकास के लक्ष्यों को पाने में मदद कर सकते हैं।”
क्या हैं विभिन्न अध्ययनों के निष्कर्ष?
इस कार्यक्रम में जारी किए गए अध्ययनों का आकलन है कि 2031 तक उत्तर प्रदेश के 26 प्रमुख शहरों में दैनिक यात्रा की आवश्यकता पूरी करने के लिए आवश्यक बसों की खरीद के लिए 15,700 करोड़ रुपये का संयुक्त व्यय चाहिए होगा। इसके अतिरिक्त, अधिकांश बस यात्री और संभावित बस यात्री चाहते हैं कि उनके गंतव्य स्थल तक आवागमन की सुविधा में सुधार हो और वाहन मिलने में कम से कम समय लगे। अध्ययनों में पाया गया है कि 40 प्रतिशत से अधिक वर्तमान बस यात्री अपनी यात्रा के शुरुआती या अंतिम हिस्से में पैदल चलते हैं, जो बस प्रणाली को एक बेहतर फुटपाथ नेटवर्क से जोड़ने की आवश्यकता को दर्शाता है। इसके अतिरिक्त, अधिकांश बस यात्री ने बस सेवा के समय पर आने और निर्धारित समय-सारणी (शेड्यूल) के पालन को प्राथमिकता दी है और 40 प्रतिशत से अधिक बस यात्रियों ने वर्तमान बस सेवा के प्रतीक्षा समय को औसत से कम अंक दिए हैं, इसलिए यात्रियों की संतुष्टि को बढ़ाने और नए यात्रियों को जोड़ने के लिए समय पर सेवा उपलब्ध कराना महत्वपूर्ण है।
कार्यक्रम में नगरीय परिवहन निदेशालय के निदेशक डॉ. राजेंद्र पेंसिया, बरेली की नगर आयुक्त निधी गुप्ता वत्स, शाहजहांपुर के नगर आयुक्त डॉ. विपिन कुमार मिश्रा, अयोध्या के नगर आयुक्त संतोष कुमार शर्मा, अलीगढ़ के नगर आयुक्त अमित आसेरी, आईआईटी दिल्ली के ट्रिप-सी में एमेरिटस प्रोफेसर गीतम तिवारी और अर्बन कैटलिस्ट की जेंडर विशेषज्ञ सोनल शाह ने अपने-अपने विचार और अनुभव साझा किए।