नमामि गंगे मिशन से वाराणसी में गंगा संरक्षण को मिली नई गति

वाराणसी: नमामि गंगे मिशन के माध्यम से भारत सरकार गंगा नदी के संरक्षण की दिशा में समर्पित रूप से प्रयास कर रही है। जिसके परिणाम स्वरूप उत्तर प्रदेश में गंगा की अविरलता और निर्मलता में तेजी से सुधार आया है। राज्य में गंगा और और उसकी सहायक नदियों के जल की गुणवत्ता में सुधार के लिए लगातार सीवरेज के बुनियादी ढांचों समेत विभिन्न निर्माण पर जोर दिया जा रहा है। सरकार लगातार इन नदियों के उत्थान पर कार्य कर रही है। जिसके परिणाम स्वरुप गंगा का जल आचमन योग्य हुआ। नदी में जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली से गंगेटिक डॉल्फिन, ऊदबिलाव और कछुए समेत विभिन्न प्रजातियों की संख्या में सराहनीय वृद्धि हुई है।

नमामि गंगे मिशन के अंतर्गत वाराणसी में कुल 974 करोड़ रुपए की लागत से 12 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं, जबकि 495 करोड़ रुपए की लागत से 5 परियोजनाओं पर काम जारी है। गंगा की धारा को निर्मल और अविरल बनाने के लिए वाराणसी में सीवरेज से संबंधित प्रभावी योजनाओं पर काम किया जा रहा है। इन परियोजनाओं में 140 एमएलडी क्षमता के दीनापुर एसटीपी , 50 एमएलडी क्षमता के रमना एसटीपी, रामनगर के 10 एमएलडी, 80 एमएलडी के दीनापुर ओल्ड एसटीपी और भगवानपुर के 9.8 एमएलडी क्षमता वाले एसटीपी का निर्माण किया जा चुका है, जोकि अब बेहतर तरीके से काम कर रहे हैं। जबकि समय की ज़रुरत को देखते हुए भगवानपुर में 55 एमएलडी के नए एसटीपी के निर्माण के लिए मंज़ूरी दी जा चुकी है। तब तक वहां से निकल रहे अपशिष्ट जल के शोधन के लिए नगवा में 30 एमएलडी क्षमता के एडवांस ऑक्सीडेशन प्रोसेस एसटीपी से काम लिया जा रहा है।

नमामि गंगे मिशन के तहत जितने भी सीवरेज स्ट्रक्चर का निर्माण किया जा रहा है, वह सभी केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मानकों के अनुरूप हैं। इन सभी एसटीपी को रियल टाइम पर प्रयाग पोर्टल पर मॉनिटर भी किया जा रहा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भी अपनी रिपोर्ट में माना है कि इन विकास कार्यों के बाद से गंगा में घुलित ऑक्सीजन (DO), बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD) और फीकल कोलीफॉर्म के स्तर पर लगातार सुधार हो रहा है।

वाराणसी में गंगा के बायीं तरफ से सीधे नदी में गिरने वाले 23 नालों में से 22 को पूरी तरह टैप किया जा चुका है। जबकि नक्खी नाले को आंशिक रूप से टैप किया जा चुका है। वहीं, वाराणसी के बड़े नालों में शामिल अस्सी नाले से निकलने वाले 50 एमएलडी अपशिष्ट जल को रमना एसटीपी से ट्रीट किया जाता है, बावजूद इसके बचे हुए 20 एमएलडी अपशिष्ट जल को नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत ‘एडवांस ऑक्सीडेशन प्लांट’ की पहल के तहत शोधित किया जा रहा है, ताकि गंगा में सीधे दूषित पानी न छोड़ा जाएं।

वहीं, गंगा के दायें किनारे पर पड़ने वाले 5 नालों को पूरी तरह टैप करके रामनगर में 10 एमएलडी क्षमता वाले एसटीपी में डायवर्ट किया गया है। सुजाबाद क्षेत्र के 1 नाला के लिए राज्य ने अमृत 2.0 के तहत 7 एमएलडी एसटीपी के विकास की परियोजना शुरू की है। वहीं वरुणा नदी में सीधे गिरने वाले वाले नाले जो आगे आगे चलकर गंगा को दूषित करते हैं, उनमें से आधे से ज्यादा नालों को पूरी तरह टैप किया जा चुका है, जबकि बाकी बचे नालों को गोइथाहा एसटीपी के माध्यम से टैप किए जाने की योजना पर काम किया जा रहा है।

नमामि गंगे मिशन के अंतर्गत वाराणसी में गंगा के संरक्षण के लिए जायका द्वारा 660 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से अस्सी और वरुणा के लिए इंटरसेप्शन सीवर, ट्रंक सीवर और राइजिंग मेन्स को बेहतर किया जाने के साथ ही 3 सीवेज पंपिंग स्टेशन का विकास, दीनापुर में 140 एमएलडी एसटीपी का विकास, पुराने ट्रंक सीवर का पुनर्वास और दीनापुर एवं भगवानपुर में 5 पंपिंग स्टेशनों और मौजूदा एसटीपी का पुनर्वास किया गया है।

वहीं, वाराणसी में 84 घाटों की सफाई और रख-रखाव के अलावा से 26 घाट मरम्मत की गई है। जबकि 8 कुंड का पुनरुद्धार किया गया है। यही नहीं, मैकेनिकल ट्रैश स्कीमर्स के माध्यम से नदी सतह की सफाई का कार्य किया गया है। जबकि एक समग्र कार्य बल के रूप में पूर्व सैनिकों की एक बटालियन गंगा टास्क फ़ोर्स का वाराणसी में गठन किया गया है। जो नदी घाटों पर पौधारोपण, निगरानी और जागरूकता अभियान का कार्य कर रही है।

नमामि गंगे कार्यक्रम का एक अन्य महत्वपूर्ण घटक इस मिशन को एक जन आंदोलन में बदलना यानि ‘जनभागीदारी’ है। स्वच्छ गंगा परियोजना में लोगों को बड़े स्तर पर जोड़ने के लिए कई तरह के सहयोग और कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। इसके अलावा, चल रहे कार्यक्रमों में गंगा दूत, गंगा प्रहरी, गंगा विचार मंच आदि के साथ सहयोग भी शामिल है। वहीं, गंगा नदी के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए गंगा स्वच्छता पखवाड़ा, गंगा उत्सव, घाट पर योग आदि जैसे नियमित कार्यक्रम जिला गंगा समिति के सहयोग से संचालित किए जा रहे हैं।

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