( शाश्वत तिवारी) नई दिल्ली। फ्रॉड एजेंसी और एजेंटों द्वारा मोटे वेतन की नौकरी का लालच देकर विदेशों में भेजे जाने वाले भारतीयों को बचाने के लिए एक बार फिर भारतीय दूतावास सामने आया है। लाओस स्थित भारतीय दूतावास ने अवैध रूप से काम के लिए बहला-फुसलाकर भेजे गए 13 भारतीयों को रेस्क्यू कराया है। लाओस में भारतीय उच्चायोग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा सर्वोच्च प्राथमिकता के रूप में भारतीयों की सुरक्षा एवं हित सुनिश्चित करने के लिए दूतावास ने 13 भारतीयों को सफलतापूर्वक बचाया और वापस लाया गया है। इनमें अटापेउ प्रांत में एक लकड़ी के कारखाने में काम करने वाले ओडिशा के 7 कामगार और बोकेओ प्रांत में स्थित गोल्डन ट्रायंगल एसईजेड में काम करने वाले 6 भारतीय युवा शामिल हैं।
उच्चायोग ने फर्जी एवं शोषणकारी नौकरी के ऑफर्स को लेकर एडवाइजरी जारी करते हुए एक अन्य पोस्ट में लिखा अब तक दूतावास ने लाओ पीडीआर (लाओस) से 428 भारतीयों को बचाया है। हम लाओ अधिकारियों को उनके सहयोग के लिए धन्यवाद देते हैं। लाओस में आने वाले भारतीय कामगार साइबर घोटाले आदि के लिए फर्जी या अवैध नौकरी की पेशकश में फंसकर अपनी सुरक्षा को खतरे में न डालें। इसके साथ ही मानव तस्करी और साइबर धोखाधड़ी मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और विभिन्न राज्य पुलिस द्वारा सोमवार को संयुक्त रूप से की गई बहु-राज्य तलाशी के बाद 5 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। एनआईए के अनुसार जांच में सामने आया है कि गिरफ्तार किए गए आरोपी लाओस, कंबोडिया, थाईलैंड और वियतनाम में बैठे अपने उन आकाओं के संपर्क में थे, जो लोगों को धोखाधड़ी से बेहतर रोजगार के बहाने बुलाते हैं फिर कठोर और प्रतिबंधात्मक परिस्थितियों में उनसे काम कराते हैं।
पिछले सप्ताह कंबोडिया में भारतीय दूतावास द्वारा धोखेबाज नियोक्ताओं से बचाए गए 60 भारतीय नागरिकों का पहला जत्था घर वापस लौटा था। भारतीय दूतावास ने वहां से कुल 360 भारतीयों का रेस्क्यू किया है, जिन्हें एक फ्रॉड एजेंसी ने अच्छी नौकरी का लालच देकर कंबोडिया भेजा था।