दिवंगत हो चुके भौतिक वैज्ञानिक स्टीफन हाकिंग ने अपनी आखिरी किताब में यही लिखा है..

 भगवान कहीं नहीं है। किसी ने दुनिया नहीं बनाई और कोई हमारी किस्मत नहीं लिखता है। दिवंगत हो चुके भौतिक वैज्ञानिक स्टीफन हाकिंग ने अपनी आखिरी किताब में यही लिखा है। अपनी इस किताब में दिवंगत वैज्ञानिक ने दुनिया के निर्माण, एलियन इंटेलिजेंस, स्पेस कोलोनाइजेशन और आर्टिफिशयल इंटेलीजेंस जैसे कई जरूरी सवालों के जवाब दिए हैं।

जान मूरी द्वारा प्रकाशित किताब ‘ब्रीफ आंसर टू दी बिग क्विश्चन’ में कई बड़े सवालों के जवाब हैं। क्या वहां भगवान है? अध्याय में उन्होंने लिखा है, ‘सदियों से यह माना जाता रहा है कि मेरे जैसे डिसेबल लोगों पर भगवान का श्राप होता है। मेरा मानना है कि मैं कुछ लोगों को निराश करूंगा, लेकिन मैं यह सोचना ज्यादा पसंद करूंगा कि हर चीज की व्याख्या दूसरे तरीके से की जा सकती है।’

हाकिंग की मौत इसी साल मार्च में हुई थी। उनके मुताबिक, ‘यूनिवर्स कभी न खत्म होने वाला फ्री लंच है और अगर यूनिवर्स कुछ नया नहीं जोड़ता तो आपको इसे बनाने के लिए भगवान की जरूरत नहीं है। क्या उनकी आस्था थी? इस पर वह बताते हैं, हम जो चाहते हैं वह मानने के लिए फ्री हैं। और यह मेरा मानना है कि भगवान नहीं है। किसी ने दुनिया नहीं बनाई और न ही कोई हमारी किस्मत चलाता है।’ 

हॉकिंग का अंतिम सिद्धांत
हार्टले और हॉकिंग का नया सिद्धांत बिग बैंग थ्योरी के इटरनल इन्फ्लेशन थ्योरी को खारिज करती है। इस थ्योरी के अनुसार अंतरिक्ष अनंत है। शोध के अनुसार अंतरिक्ष अनंत नहीं है। अपनी बात को पुष्ट करने के लिए हॉकिंग ने होलोग्रॉफी तकनीक का इस्तेमाल किया। इस तकनीक से 3डी फोटो बनाई जाती है जिसे होलोग्राम कहते हैं।

हॉकिंग ने मौत को दी चुनौती 
महज 22 साल की उम्र में उन्हें मोटार न्यूरॉन नामक लाइलाज बीमारी हो गई थी जिसकी वजह से उनके शरीर ने धीरे-धीरे काम करना बंद कर दिया। तब डॉक्टरों ने कहा था कि हॉकिंग दो साल से ज्यादा जीवित नहीं रह पाएंगे, लेकिन उन्होंने न केवल डॉक्टरों की उस आशंका को धता बता दिया, बल्कि विज्ञान के जटिल और गूढ़ रहस्यों को दुनिया के सामने रखा।

हॉकिंग ने ब्लैक होल और बिग बैंग सिद्धांत को समझाने में अहम योगदान दिया। कई बड़े पुरस्कारों के साथ ही उन्हें अमेरिका का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भी दिया गया। उनकी मशहूर पुस्तक ‘ए ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम’ कालजयी किताबों में शामिल की जाती है। वह कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में सैद्धांतिक ब्रह्मांड विज्ञान के निदेशक थे। उनकी गिनती आइंस्टीन के बाद सबसे विद्वान भौतिकशास्त्री के तौर पर होती है।

हैरानी की बात यह थी कि उनके दिमाग को छोड़कर शरीर का कोई भी भाग पूरी क्षमता से काम नहीं करता था। इसकी वजह से वह हमेशा व्हीलचेयर पर कंप्यूटर और विभिन्न तरह के गैजेट्स के जरिये ही अपने विचार व्यक्त करते थे। उनकी सबसे प्रमुख उपलब्धियों में ब्लैक होल का उनका सिद्धांत है। ब्लैक होल के संबंध में हमारी वर्तमान समझ हॉकिंग के सिद्धांत पर ही आधारित है।

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