श्रीलंका ने चीन को बड़ा झटका देते हुए उसके साथ हुए हुए 30 करोड़ डॉलर के निर्माण सौदे को रद कर दिया है। इतना ही नहीं चीन को दूसरा बड़ा झटका देते हुए श्रीलंका ने इस काम को भारत के सहयोग से पूरा करने का मन बना लिया है। चीन के लिए यह दोनों ही फैसले पूरी तरह से अप्रत्याशित रहा है। दरअसल, बीते कुछ वर्षों में चीन ने भारत के पड़ोसी देशों को जिस जाल में फंसाया है उससे भारत अच्छी तरह से वाकिफ है। भारत को साधने और हिंद महासागर में भारतीय नौसेना पर नजर रखने के इरादे से चीन ने लंबी योजना तैयार कर रखी है। इसके तहत वह ऋण के जरिए भारत के तमाम पड़ोसी देशों को फांसने में लगा है।
भारत यात्रा पर श्रीलंका के पीएम
श्रीलंका का यह ताजा फैसला उस वक्त सामने आया है जब वहां के प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे भारत की यात्रा पर दिल्ली आए हुए हैं। शनिवार को वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात भी करने वाले हैं। यहां पर यह भी ध्यान रखने वाली बात है कि भारत और श्रीलंका के सदियों पुराने सांस्कृतिक और राजनीतिक संबंध हैं। हालांकि दोनों देशों के बीच चीन के आ जाने से दोनों तरफ कुछ तनाव जरूर पैदा हुआ है। हालांकि यहां पर दोनों ही देशों ने काफी सूझबूझ का परिचय देते हुए कदम आगे बढ़ाया है।
इस वजह से हुआ चीन से सौदा रद
आपको यहां पर ये भी बता दें कि बीते अप्रैल में चीन की सरकारी रेलवे बीजिंग इंजीनियरिंग ग्रुप कंपनी को श्रीलंका के जाफना इलाके में 40 हजार घरों के निर्माण का ठेका मिला था। यह ठेका 30 करोड़ डॉलर (2,205 करोड़ भारतीय रुपये) का था। इस परियोजना के लिए चीन के एक्जिम बैंक ने धन मुहैया कराया था, लेकिन परियोजना पर कार्य शुरू होते ही जाफना की तमिल आबादी ने उसका विरोध शुरू कर दिया। लोग ईंटों से परंपरागत रूप से बने हुए मकान चाहते थे, जबकि चीन की कंपनी कंक्रीट के मकान बना रही थी। जन विरोध के चलते कंपनी को कार्य रोकना पड़ा।
भारत की दो कंपनियां करेंगी सहयोग
श्रीलंका सरकार के प्रवक्ता रजीता सेनारत्ने ने बताया कि जाफना में मकान बनाने के लिए केंद्रीय कैबिनेट ने नए प्रस्ताव को स्वीकृत कर दिया है। इस प्रस्ताव के तहत 28 हजार मकान बनाए जाएंगे। यह परियोजना 21 करोड़ डॉलर की होगी। परियोजना को भारतीय फर्म एनडी इंटरप्राइजेज और श्रीलंका की दो कंपनियां मिलकर पूरा करेंगी। बनने वाले भवन देश के उत्तरी भाग के लिए प्रस्तावित कुल 66 हजार मकानों की निर्माण परियोजना का हिस्सा होंगे। भारत इससे पहले श्रीलंका के उत्तरी इलाके में 44 हजार घर बनाकर दे चुका है। यह इलाका श्रीलंका में 26 साल तक चले गृहयुद्ध के कारण बुरी तरह से बर्बाद हो चुका है। इलाके में रहने वाले हजारों तमिल लोग बेघर और बेरोजगार हैं।
क्या कहता है चीन और आलोचक
श्रीलंका सरकार की घोषणा के बाद बीजिंग में चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ल्यू कांग ने कहा, चीन और श्रीलंका का सहयोग आपसी हितों पर आधारित है। उम्मीद है कि यह सहयोग उद्देश्यपूर्ण तरीके से आगे भी जारी रहेगा। चीन के साथ श्रीलंका के रिश्तों के आलोचकों का कहना है कि इसके चलते यह छोटा देश बुरी तरह से चीनी कर्ज में डूब गया है और उसे अपना स्वाभिमान बचाना मुश्किल हो रहा है।
संबंध खराब करने की कोशिश
प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के भारत पहुंचने से एक दिन पहले ही दोनों देशों के रिश्तों में ऐसी असहजता आ गई थी। इस स्थिति को संभालने में दोनो तरफ के राजनयिकों को काफी मशक्कत करनी पड़ी। यह असहजता राष्ट्रपति मैथ्रिपाला सिरीसेना के हवाले से मीडिया में छपी इस खबर से आई कि भारत की खुफिया एजेंसी रॉ उनकी हत्या करने की साजिश रच रही है। इस सनसनीखेज समाचार से द्विपक्षीय संबंधों पर पड़ने वाले प्रभाव को संभालने के लिए देर शाम श्रीलंका के रक्षा सचिव जी. राजपक्षे को पीएम नरेंद्र मोदी को फोन करना पड़ा और यह बताना पड़ा कि इस तरह के समाचार पूरी तरह से बेबुनियाद हैं।
बढ़ी कूटनीतिक गतिविधियां
मीडिया में इस संबंध में खबर छपने के साथ ही बुधवार को दोनों देशों के बीच कूटनीतिक गतिविधियां बढ़ गई। खबर यह छपी थी कि राष्ट्रपति ने अपने कैबिनेट के सहयोगियों को बताया है कि भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ उनकी और श्रीलंका के रक्षा सचिव जी. राजपक्षे की हत्या कराने की साजिश रच रही है। सबसे पहले कोलंबो स्थित भारत के उच्चायुक्त ने श्रीलंका के राष्ट्रपति से मुलाकात की और उनसे मीडिया में छपी सूचनाओं पर भारत की चिंताओं को बताया। इसके थोड़ी ही देर बाद श्रीलंका के विदेश मंत्रलय ने एक विस्तृत प्रेस विज्ञप्ति जारी करके यह जानकारी दी कि मंगलवार कैबिनेट की बैठक में राष्ट्रपति ने इस तरह की कोई बात नहीं की थी। इसमें यह भी बताया गया है कि श्रीलंका के राष्ट्रपति ने भारतीय खुफिया एजेंसी का कोई जिक्र नहीं किया था।
श्रीलंका का तर्क
श्रीलंका के विदेश मंत्रालय ने बगैर किसी का नाम लिए यह कहा कि कोई तीसरा पक्ष भारत और श्रीलंका के सौहार्दपूर्ण रिश्तों में व्यवधान डालने की कोशिश कर रहा है। मंत्रालय के मुताबिक गलत सूचनाओं को कुछ लोग भारत और श्रीलंका के बेहतर हो रहे रिश्तों को खराब करने के लिए फैला रहे हैं। वह भारत को एक सच्चा मित्र मानते हैं और और इस रिश्ते को प्रगाढ़ करने के लिए वह पीएम मोदी के साथ आगे भी काम करना चाहते हैं।’