चारधाम यात्रा : यमुनोत्री धाम में श्रद्धालुओं को दर्शन के लिये 60 मिनट का समय निर्धारित

-यात्री को घोड़ा-खच्चर, डंडी-कंडी में लाने वाला संचालक भी 60 मिनट इंतजार करेंगे, देर हुई तो यात्री बगैर वापस लौटेंगे

-यमुनोत्री दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 के तहत जिला मजिस्ट्रेट ने जारी किया आदेश

उत्तरकाशी। उत्तराखंड चारधाम यात्रा पर लगातार बढ़ रहे दवाब के चलते जिला प्रशासन ने श्री यमुनोत्री धाम में श्रद्धालुओं को दर्शन के लिये 60 मिनट का समय निर्धारित कर दिया है। इसके दायरे में घोड़े-खच्चर और डंडी-कंडी संचालक भी आएंगे। वे भी प्रशासन की निर्धारित समयावधि का पालन करेंगे। इसके लिए जिला प्रशासन ने नयी एसओपी जारी कर दी है।

जिला मजिस्ट्रेट डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट ने यमुनोत्री दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 के तहत आदेश जारी करते हुए सोमवार से श्री यमुनोत्री धाम में दर्शन करने वाले यात्रियों के लिए 60 मिनट का समय निर्धारित किया है। साथ ही जानकीचट्टी से यमुनोत्री तक घोड़े-खच्चर और डण्डी के आवागमन के लिए अधिकतम संख्या 60 मिनट की समयावधि निर्धारित की है।

जिला मजिस्ट्रेट ने श्री यमुनोत्री धाम में पैदल यात्रा मार्ग पर यात्रियों के आवागमन को सुगम, सुरक्षित एवं शान्तिपूर्वक ढंग से संपादित करने के लिए उप जिलाधिकारी, बड़कोट, पुलिस उपाधीक्षक, बड़कोट एवं अपर मुख्य अधिकारी, जिला पंचायत, उत्तरकाशी की संयुक्त रिपोर्ट के आधार पर यमुनोत्री धाम पैदल यात्रा मार्ग संकरा होने के कारण भीड़ नियन्त्रण, जानमाल के खतरे और यात्रियों की सुरक्षा के दृष्टिगत के लिए नई एसोओपी जारी कर दी है।

इसके अनुसार यमुनोत्री मार्ग पर घोड़े-खच्चरों के आवागमन का समय प्रातः 4 बजे से सायं 5 बजे तक निर्धारित किया गया है। आदेशानुसार घोड़े-खच्चरों की संख्या 800 पूर्ण होने के पश्चात घोड़े-खच्चर उसी अनुपात में जानकीचट्टी से भेजे जाएंगे, जिस अनुपात में यमुनोत्री से वापस आएंगे। प्रत्येक घोड़े-खच्चर के प्रस्थान, यात्री के दर्शन और वापसी को कुल 05 घंटे का समय निर्धारित किया करते हुए आदेश में कहा गया है कि 05 घंटे से अधिक कोई भी घोड़ा-खच्चर किसी भी दशा में यात्रा मार्ग पर नहीं रहेगा। यदि घोड़े-खच्चर कम संख्या में हैं, तो उनको क्रमानुसार रोटेशन के आधार पर जाने दिया जायेगा।

यात्री के श्री यमुनोत्री धाम पहुंचने पर दर्शन आदि के लिए 60 मिनट का समय निर्धारित किया गया है। इस संबंध में मंदिर समिति से स्वयंसेवक तैनात करते हुए उक्त व्यवस्था का अनुपालन करवाये जाने की अपेक्षा की गई है। आदेश में यह व्यवस्था दी गई है कि अपरिहार्य स्थिति को छोड़ते हुये घोड़ा-खच्चर संचालक 60 मिनट का इंतजार करने के पश्चात घोड़ा पड़ाव में तैनात जिला पंचायत के कर्मी से अनुमति प्राप्त कर यात्री के बिना वापस लौट आयेगा। प्रीपेड काउंटर पर ही पर्चियां काटी जायेगी, वहीं पर भुगतान की व्यवस्था की जाये और यात्रीगणों को लाउडस्पीकर के माध्यम से अवगत कराया जायेगा। घोड़े खच्चर का संचालन प्रीपेड काउंटर से ही किया जायेगा।

जिला मजिस्ट्रेट के उक्त आदेश में जानकीचट्टी से यमुनोत्री आने-जाने वाली डंडी-कंडी की संख्या अधिकतम 300 निर्धारित की गई है। डण्डी-कंडी के आवागमन का समय प्रातः 4 बजे से सायं 4 बजे तक निर्धारित किया जाता है। डंडी-कंडी के लिये आवागमन का समय 06 घंटा निर्धारित किया गया है। इन्हें 50 के लॉट में छोड़े जायेगा। एक लॉट के छोड़े जाने के पश्चात दूसरा लॉट 01 घण्टे के अंतराल में रोटेशन अनुसार छोड़ा जायेगा। डण्डी का संचालन बिरला धर्मशाला से किया जायेगा अन्यत्र किसी भी स्थान से संचालन की अनुमति नहीं दी जायेगी। आदेशानुसार अपरिहार्य स्थिति को छोड़ते हुए डंडी संचालक 60 मिनट का इंतजार करने के पश्चात घोड़ा पड़ाव में तैनात जिला पंचायत के कर्मी से अनुमति प्राप्त कर यात्री के बिना वापस लौट आयेगा।

उक्त आदेश के अनुसार श्री यमुनोत्री धाम में घोड़ा पड़ाव से आगे किसी भी दशा में घोड़ा-खच्चर और डण्डी के जाने पर पूरी तरह से रोक लगाई गई है। यदि किसी व्यक्ति द्वारा इस आदेश का उल्लंघन किया जाता है, तो उसका यह कृत्य भारतीय दण्ड संहिता की धारा188 के अन्तर्गत दण्डनीय होगा।

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