भाजपा नेता एवं पूर्व जिला पंचायत अध्‍यक्ष ने किया तालाब पर अवैध कब्‍जा

लखनऊ : जिस तालाब की पाटी गई जमीन पर अवैध निर्माण कराने पर हाईकोर्ट ने स्‍टे लगा लगा रखा है, उस जमीन पर बेखौफ निर्माण कार्य जारी है। आरोपी को कोर्ट, प्रशासन किसी का डर नहीं है। यह ताकत आरोपी को इसलिये मिल पा रही है, क्‍योंकि वह पूर्व जिला पंचायत अध्‍यक्ष है, उसकी पत्‍नी वतर्मान जिला पंचायत अध्‍यक्ष तथा तथा उसे एक केंद्रीय मंत्री का आशीर्वाद प्राप्‍त है, जिसकी वजह से समूचा जिला और पुलिस प्रशासन उसके आगे नतमस्‍तक है। कोर्ट के स्‍थगन आदेश के बावजूद निर्माण कार्य रोकने और जांच कराने को प्रशासन तैयार नहीं है।

दरअसल, मामला चंदौली जिले के चकिया तहसील के तियरी गांव का है। तियरी गांव में आराजी नंबर 152 रकबा 0.114 हेक्‍टेयर तथा आराजी नंबर 151 रकबा 0.266 हेक्‍टयेर सरकारी अभिलेख में तालाब एवं ताल के रूप में दर्ज है। सिंचाई विभाग द्वारा कायम कुलाबा नंबर पांच के जरिये नहर का पानी इस तालाब में आता है तथा नाली संख्‍या 82 से सिंचाई हेतु किसानों के खेतों में जाता है। यह तालाब सिंचाई कार्य एवं पशुओं के पानी पीने के अलावा भूजल रिचार्ज करने के काम में आता है।

आरोप है कि पूर्व जिला पंचायत अध्‍यक्ष छत्रबली सिंह इस तालाब पर अवैध कब्‍जा करके निर्माण कार्य करा रहे हैं। इन दिनों इनकी पत्‍नी चंदौली की जिला पंचायत अध्‍यक्ष हैं। छत्रबली सिंह को सत्‍ता का साथी बनने के लिये जाना जाता है, क्‍योंकि यह बसपा और सपा से होते हुए इन दिनों भाजपा में हैं। हाल में इनका पीडब्‍ल्यूडी के एक ठेके को लेकर दूसरे ठेकेदार को धमकाने का ऑडियो भी वॉयरल हुआ था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। छत्रबली की गिनती चंदौली जिले के दबंग नेता एवं ठेकेदार के रूप में होती है, लिहाजा समूची सरकारी मशीनरी नतमस्‍तक है।

ग्रामीणों ने तालाब की जमीन पर अवैध निर्माण की शिकायत जिला प्रशासन से की, लेकिन राजनीतिक पहुंच एवं केंद्रीय मंत्री डा. महेंद्रनाथ पांडेय का संरक्षण होने के चलते जिलाधिकारी एवं अन्‍य जिम्‍मेदार प्रशासनिक अधिकारियों ने कोई कदम नहीं उठाया। ग्रामीणों ने इसकी शिकायत मुख्‍यमंत्री पोर्टल पर भी की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। मजबूरन गांव के पूर्व प्रधान अभिमन्‍यू सिंह ने कोर्ट का सहारा लिया। हाईकोर्ट ने निर्माण कार्य रुकवाने तथा जांच करने का निर्देश प्रशासन को दिया, लेकिन मौके पर ना तो निर्माण कार्य रूका और ना ही जांच की प्रक्रिया अभी तक पूर्ण हुई है।

उल्‍लेखनीय है कि 2018 में छत्रबली सिंह के पिता वकील सिंह के खिलाफ तालाब पर अवैध कब्‍जा किये जाने के चलते धारा 67(1) उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता के अंतर्गत 1119/2018 कायम किया गया था तथा जांच में तालाब पर अवैध कब्‍जा पाया गया था। इसके लिये 26 लाख से अधिक की रिकवरी नोटिस जारी की गई थी। 13 मई 2023 को वकील सिंह की मौत हो जाने के पश्‍चात छत्रबली ने पहुंच की बदौलत 9 जून 2023 रिकवरी आदेश वापस करा लिया तथा फिर से पैमाइश का आदेश जारी करा दिया। परंतु उसके बाद ना तो कोई पैमाइश हुई और ना जांच हुई।

छत्रबली सिंह ने फिर से तालाब को पाटकर अवैध निर्माण कराना शुरू कर दिया। 5 अप्रैल को हाईकोर्ट ने इस मामले में स्‍थगन आदेश देते हुए तालाब की जमीन की पैमाइश का आदेश जिला प्रशासन को दिया, लेकिन अब तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। तालाब का बड़ा हिस्‍सा पाटकर सहन में मिला लिया गया है। छत्रबली को केंद्रीय मंत्री डा. महेंद्रनाथ पांडेय के साथ चकिया से भाजपा विधायक कैलाश खरवार का भी शह मिला हुआ है। दूसरी तरफ, छत्रबली का कहना है कि वह तालाब पर निर्माण अमृत सरोवर योजना के तहत सरकारी पैसे से हो रहा है।

अब बड़ा सवाल है कि एक तरफ उत्‍तर प्रदेश सरकार और मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ भूमाफियाओं और सरकारी जमीन पर कब्‍जा करने वालों के खिलाफ बुलडोजर चलवा रहे हैं, दूसरी तरफ उनकी ही पार्टी के लोग सरकारी तालाब पर अवैध कब्‍जा और निर्माण करा रहे हैं। ऐसे में आम जनता अपनी फरियाद लेकर किसके पास जाये यह बड़ा सवाल है। ग्रामीणों ने मुख्‍यमंत्री एवं वरिष्‍ठ अधिकारियों से मांग की है कि इस पूरे प्रकरण की जांच कराकर दूध का दूध और पानी का पानी किया जाये ताकि ग्रामीणों को सिंचाई और पशुओं के पीने के पानी के लिये भटकने को मजबूर ना होना पड़े।

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