भारतीय क्रिकेट में इन दिनों एसजी गेंद को लेकर बहुत बातें हो रही हैं। 1993 से भारतीय सरजमीं पर एसजी गेंद से खेलने और ज्यादातर मैच जीतने वाली टीम इंडिया अचानक से अपने ही देश में बनने वाली इस गेंद के खिलाफ खड़ी हो गई है। विराट ने कहा था कि एसजी गेंद जल्दी घिस जाती है जिससे खिलाड़ी के प्रदर्शन पर प्रभाव पड़ता है। पहले गेंद की जो क्वालिटी थी वह काफी अच्छी थी। मुझे समझ नहीं आ रहा है कि इसमें गिरावट कैसे आई। ड्यूक गेंद की क्वालिटी अभी भी अच्छी है। लगता है कि ड्यूक टेस्ट मैचों के लिए सबसे सही गेंद है। अगर यह स्थिति रही तो मैं सभी जगह टेस्ट क्रिकेट में ड्यूक गेंद के इस्तेमाल का समर्थन करूंगा। चलिए आपको बताते हैं कि आखिर ड्यूक, एसजी और कूकाबुरा बॉल में क्या अंतर होता है?
ड्यूक, एसजी और कूकाबुरा बॉल का अंतर
कूकाबुरा गेंद ऑस्ट्रेलिया में बनती है और इसका इस्तेमाल ऑस्ट्रेलिया के अलावा द. अफ्रीका, पाक, न्यूजीलैंड, श्रीलंका, जिंबाब्वे और न्यूजीलैंड में होता है। एसजी गेंद भारत में बनती है और यहां टेस्ट मैच इसी से खेला जाता है।
एसजी गेंद की सिलाई सबसे बढ़िया होती है लेकिन भारतीय परिस्थितियों में 10-20 ओवर तक ही इसमें स्विंग मिलती है और यह अपनी चमक खो देती है। इसकी सीम 80-90 ओवर तक रहती है जिससे इसमें रिवर्स स्विंग करना आसान होता है व स्पिनरों को ग्रिप बनाने में काफी आसानी होती है।
ड्यूक गेंद इंग्लैंड में बनती है और इसका इस्तेमाल इंग्लैंड के अलावा वेस्टइंडीज में होता है। ड्यूक बॉल की सीम शानदार होती है और 50-55 ओवर तक यह बनी रहती है। यह बढ़िया स्विंग करती है। यह तेज गेंदबाजों की सबसे ज्यादा मददगार गेंद है।
कूकाबुरा में लो सीम होती है और इसमें शुरुआती 20 ओवर में अच्छी स्विंग मिलती है लेकिन इसके बाद यह बल्लेबाजों की मदद करती है। जब इसकी सिलाई उधड़ जाती है तो स्पिनरों को भी ग्रिप करने में दिक्कत होती है।
कहां से शुरू हुई एस जी और ड्यूक की तुलना?
1993 से भारतीय सरजमीं पर एसजी गेंद से खेलने और ज्यादातर मैच जीतने वाली टीम इंडिया अचानक से अपने ही देश में बनने वाली इस गेंद के खिलाफ खड़ी हो गई है। उसे ड्यूक गेंद एसजी से ज्यादा बेहतर लगने लगी है। पहले स्पिनर रविचंद्रन अश्विन तो उसके बाद कप्तान विराट कोहली और तेज गेंदबाज उमेश यादव ने एसजी गेंद की क्वालिटी पर सवाल उठाए हैं।
एसजी से भारत का प्रदर्शन शानदार
विराट कोहली ने 2014 में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर महेंद्र सिंह धौनी के कप्तानी छोड़ने के बाद टेस्ट में टीम इंडिया की कमान संभाली। उसके बाद से भारत ने एसजी गेंद से 23 टेस्ट खेले हैं जिसमें उसे 17 जीत और सिर्फ एक हार मिली है। पांच टेस्ट ड्रॉ रहे हैं। इसमें से 21 मैच में विराट ने कप्तानी की जिसमें भारत 15 जीता। विराट अगर धौनी (27) के बाद भारत के लिए सबसे ज्यादा टेस्ट जीतने वाले कप्तान हैं तो उसमें एसजी गेंद का बड़ा हाथ है। विराट की कप्तानी में भारत अब तक 24 टेस्ट जीत चुका है जिसमें 15 जीत एसजी से खेलते हुए मिली हैं।
विराट ने अब तक कुल 42 टेस्ट मैचों में कप्तानी की है जिसमें 21 में टीम ने कूकाबुरा और ड्यूक गेंद से मैच खेले हैं। इस 21 में सिर्फ नौ में जीत मिली हैं। उसमें भी दो वेस्टइंडीज और पांच श्रीलंका के खिलाफ हैं।