लखनऊ। लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में 12 राज्यों की 88 सीटों पर वोट डाले जाएंगे। इसमें उत्तर प्रदेश की 8 लोकसभा सीटें हैं। दूसरे चरण में उप्र की अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा संसदीय सीट पर 26 अप्रैल को चुनाव होने है। इनमें से बुलंदशहर सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है।
इस सीट पर भाजपा का ट्रेक रिकार्ड सबसे बेहतर है। पिछले दो चुनाव में भाजपा यहां से जीती है, और 2024 के चुनाव में वो जीत की हैट्रिक लगाने की तैयारी में है। हैरान करने वाली बात यह है कि सुरक्षित सीट होने के बावजूद बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का अभी तक इस सीट पर जीत नसीब नहीं हुई है। बता दें, 2011 की जनगणना के अनुसार बुलंदशहर लोकसभा क्षेत्र में करीब 80 फीसदी आबादी हिंदू है। इसमें 19.81 फीसदी दलित हैं
बुलंदशहर सीट पर जीत की चैंपियन भाजप
बुलंदशहर (सु0) सीट के संसदीय इतिहास में यहां अब तक 17 बार संसदीय चुनाव हुए हैं। इस सीट पर 1952 से 1971 तक चार चुनाव में यहां कांग्रेस का कब्जा रहा। इस सीट पर भाजपा 7 बार और कांग्रेस 6 बार जीत दर्ज करा चुकी है। भारतीय लोकदल (बीएलडी), जनता पार्टी सेक्यूलर (जेएनपी-एस), जनता दल और समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रत्याशी भी 1-1 बार यहां से जीते हैं।
भाजपा ने 1991, 96, 98, 99 और 2004 में लगातार पांच चुनाव में इस सीट पर जीत दर्ज की। 2009 में सपा ने भाजपा के जीत के क्रम को तोड़ा। 2014 में शानदार जीत के साथ भाजपा ने वापसी की। इसके बाद से यहां भाजपा का कब्जा है। कांग्रेस आखिरी बार 1984 के आम चुनाव में इस सीट से जीती थी।
पिछले तीन चुनाव का हाल
2019 के आम चुनाव में बुलंदशहर संसदीय सीट के चुनाव नतीजे को देखें तो यहां पर मुख्य मुकाबला भाजपा के भोला सिंह और बसपा के योगेश वर्मा के बीच था। भोला सिंह यहां से तत्कालीन सांसद भी थे, जबकि योगेश वर्मा बसपा-सपा गठबंधन के साझे उम्मीदवार के तौर पर मैदान में थे। भोला सिंह को 681,321 (60.56) वोट मिले तो योगेश के खाते में 391,264 (34.28) वोट आए। कांग्रेस उम्मीदवार बंशी सिंह 29,465 (2.66) मत पाकर तीसरे नंबर पर रहे थे। भाजपा ने 2 लाख 90 हजार 57 मतों के बड़े अंतर से ये चुनाव जीता था।
बात 2014 के चुनाव की कि जाए तो इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी भोला सिंह ने 604,449 (59.83) वोट हासिल कर विजय पताका फहराई। दूसरे नंबर पर रहे बसपा प्रत्याशी प्रदीप कुमार जाटव के खाते में 182,476 (18.06) वोट ही आए। सपा के उम्मीदवार कमलेश 128,737 (12.74) वोट पाकर तीसरे नंबर पर रहे। रालोद प्रत्याशी अंजू 59116 (5.85) वोट पाकर दौड़ में चौथी रहीं। ये चुनाव भाजपा के भोला सिंह ने 4 लाख 22 हजार 202 मतों के बड़े अंतर से बसपा प्रत्याशी को शिकस्त दी थी। 2009 के चुनाव में सपा प्रत्याशी कमलेश यहां से जीते। कमलेश को 2 लाख,36 हजार, 257 (35.34) वोट मिले। वहीं दूसरे नंबर पर रहे भाजपा प्रत्याशी अशोक कुमार प्रधान के खाते में 170192 (25.46) वोट आए। बसपा को 142186 (21.27) और कांग्रेस को 100065 (14.97) वोट हासिल हुए। बसपा प्रत्याशी ने 66 हजार वोटों के अंतर से ये चुनाव जीता था
भाजपा का बेहतर रिकार्ड
भाजपा ने 2014 और 2019 का चुनाव बिना किसी गठबंधन के लड़ा। पिछले चुनाव में बसपा-सपा-कांग्रेस का गठबंधन था। बावजूद इसके भाजपा ने करीब 3 लाख मतों के बड़े अंतर से इस सीट को जीता था। 2014 में कांग्रेस-रालोद गठबंधन में थे। इस चुनाव में भाजपा 4 लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से जीती थी। इस बार सपा-कांग्रेस गठबंधन में है। रालोद भाजपा के साथ है, और बसपा अकेले मैदान में है। रालोद के साथ आने से भाजपा की ताकत बढ़ी है, हालांकि आंकड़ों और समीकरणों के लिहाज से वो अकेले ही विपक्ष पर भारी है।
2024 के चुनाव का हाल
इस सीट पर भी पिछली दो बार से लगातार भाजपा का कब्जा रहा है। भाजपा के भोला सिंह हैट्रिक बनाने के इरादे से मैदान में हैं। भाजपा प्रत्याशी के समाने लोध मतदाताओं की नाराजगी रोकने की चुनौती है। इंडी गठबंधन के प्रत्याशी शिवराम वाल्मीकि पहला चुनाव लड़ रहे हैं। उनके सामने हिंदू वोटरों को जोड़े रखने की चुनौती है। बसपा उम्मीदवार गिरीश चंद्र जाटव अभी नगीना से सांसद हैं। दलित वर्ग की गैर जाटव जातियों को गोलबंद करने की चुनौती है। 2009 को छोड़कर 1991 से लगातार भाजपा बुलंदशहर सीट को जीत रही है। कांग्रेस प्रत्याशी शिवराम वाल्मीकि की तुलना में गिरीश चंद्र मंझे हुए नेता है, जिसके चलते अब चुनावी लड़ाई भाजपा बनाम बसपा की होती दिख रही है।