अन्तर्राष्ट्रीय ज्योतिष सेमिनार आयोजित

लखनऊ। दिनांक 24.2.2024 को अन्तर्राष्ट्रीय ज्योतिष सेमिनार का उद्घाटन प्रातः 10ः30 बजे केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, लखनऊ परिसर के सभागार में किया गया। इसमें भारत, नेपाल, माॅरीशस आदि से ज्योतिषशास्त्र के विद्वान् आफलाइन तथा आनलाइन माध्यम से जुड़े।

उद्घाटन करते हुए परिसर निदेशक प्रोे. सर्वनारायण झा ने कहा कि भारत अनादि काल से वसुधैव कुटुम्बकम् का उद्घोष करता रहा है और आज एक बार फिर सम्पूर्ण विश्व में वसुधैव कुटुम्बकम् के उद्घोष को लेकर भारत के प्रधानमन्त्री  नरेन्द्र मोदी सम्पूर्ण विश्व में भ्रमण कर रहे हैं। भारत और भारत से बाहर भी भारतीय परम्परा का पालन करने वाले या इसमें अनुराग रखने वाले लोग भारतीय धर्मशास्त्र के अनुसार व्रत, पर्व, त्योहार का पालन करते हैं और भारतीय व्रत, पर्व, त्योहार, सूर्य, चन्द्रमा एवं अन्य ग्रह नक्षत्रों के आधार पर मनाये जाते हैं। सूर्य, चन्द्र अन्य ग्रह और नक्षत्र आदि सम्पूर्ण विश्व के लिये एक हैं, इसलिये उससे उत्पन्न स्थिति के कारण व्रत, पर्व, त्योहार एक जैसा होना स्वाभाविक है, उसमें अतिसूक्ष्म अन्तर मात्र अक्षांश, देशान्तर आदि के कारण या विभिन्न ऋषि परम्परा के कारण हो सकते हैं, लेकिन बिल्कुल अलग-अलग नहीं हो सकते। इसे एक रूप बनाने के लिये केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय कार्य कर रहा है। इसमें विश्व के ज्योतिषियों को एक साथ आना चाहिये और इसके लिये काम करना चाहिये। ताकि व्रत, पर्व, त्योहार की तिथियों में विसंगतियां न हों। अन्त में प्रो. झा ने कहा कि एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य की तरह एक पृथ्वी, एक सूर्य, एक चन्द्रमा और उसके आधार पर सम्पूर्ण विश्व का गणित की दृष्टि से एक पंचांग होना चाहिये और इसके लिए केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय कार्य कर रहा है।

नेपाल पंचांग निर्णायक विकास समिति के अध्यक्ष प्रो. श्रीकृष्ण अधिकारी ने कहा कि भारत और नेपाल की संस्कृति और सभ्यता व्रत, पर्व और धर्माचरण एक जैसे हैं। इसलिये दोनों देशों के पंचांग निर्माण का आधार ग्रन्थ और उनके अनुसार व्रत, पर्व समान तिथियों में होना चाहिये और इसके लिये दोनों देशों को सम्मिलित प्रयास करना चाहिये। प्रो. अधिकारी के साथ नेपाल संस्कृत विश्वविद्यालय के  वाल्मीकि विद्यापीठ ज्योतिष विभाग के अध्यक्ष प्रो. धनेश्वर नेपाल और दक्षिण एशियाई ज्योतिष महासंघ के अध्यक्ष श्री लक्ष्मण पन्थी भी उपस्थित थे।

उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. देवी प्रसाद त्रिपाठी ने कहा कि आज इसकी आवश्यकता है कि भारतीय परम्परा के सिद्धान्त ज्योतिष के ग्रन्थों को परिष्कृत किया जाय और सम्पूर्ण देश में पंचांग की परम्परा अलग-अलग हो किन्तु गणित तो एक ही है।

केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के उत्तराखण्ड स्थित देवप्रयाग परिसर के निदेशक आचार्य श्री पी.वी.बी. सुब्रह्मण्यम् ने कहा कि हमें अपने आलोचकों को आमन्त्रित करना चाहिये। जिज्ञासुओं अथवा आम जनता के लिये संवेदीकरण कार्यक्रम करना तथा ज्योतिष के तथ्यों के प्रति गवेषणा हेतु उनको प्रेरित करना समय की मांग है। पंचांगस्थ विभिन्न बिन्दुओं पर प्रचलित शोध कार्यों में तकनीकि विज्ञान का प्रयोग अनिवार्य करना आवश्यक है। शोध में छात्रों की सहभागिता पंचांगों के सुधार के लिये अत्यन्त अपेक्षित है।

कमिन्स महाविद्यालय, पुणे के पूर्व प्राचार्य डाॅ. चन्द्रगुप्त श्रीधर वर्णेकर ने कहा कि भारतीय गणित और खगोल विज्ञान आज भी पूर्व की तरह संगत है। इसे आधुनिक तकनीकी के द्वारा समाज में प्रचारित-प्रसारित करने की जरूरत है।

कुंजिका भाषण करते हुये प्रो. मदनमोहन पाठक ने कहा कि आज सन्तानोत्पत्ति में बाधा और प्राकृतिक प्रसव नहीं होने में वैवाहिक विलम्ब कारण है। इसलिये उपयुक्त समय पर विवाह करना चाहिये और उसमें ज्योतिषशास्त्र अत्यन्त सहायक हो सकता है।

इस पंचांग का निर्माण सूर्यसिद्धान्त, ग्रहलाघव, मकरन्द, केतकर पद्धति से भारत में सैकड़ों वर्षों से होता रहा है। किन्तु अलग-अलग पद्धतियों से गणितीय गणना द्वारा निर्मित पंचागों में वर्तमान काल में असमानता एवं प्रत्यक्ष-वेध के अभाव से व्रत-तिथि-पर्व-उत्सव आदि के अनुष्ठान में समाज में विकट भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गई है। इस भ्रम की स्थिति को दूर करने के लिए और पंचांगों में एकरूपता लाने के लिए केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, लखनऊ परिसर के द्वारा तीन दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय ज्योतिष संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें देश विदेष के विभिन्न विश्वविद्यालयों से आए हुए विद्यानों पंचांगों में एकरूपता व उनकी समसमजिका को पुनः प्रतिष्ठित करते हुए विचार-विमर्श करेंगे।

धन्यवाद ज्ञापन ज्योतिष विभागाध्यक्ष डा. हरिनारायणधर द्विवेदी जी ने किया और पंचांग की शुद्धता तथा एकीकरण को आज की आवश्यकता बताया। इस अवसर पर संकाय प्रमुख प्रो. लोकमान्य मिश्र, प्रो. देवी प्रसाद द्विवेदी, प्रो. धनीन्द्र कुमार झा, प्रो. गुरुचरण सिंह नेगी, सूचना उपायुक्त डा. तेजस्कर पाण्डेय, के.के.एस.बी. संस्कृत विश्वविद्यालय नागपुर (रामटेक) में ज्योतिष विभाग के प्रो. कृष्ण कुमार पाण्डेय एवं श्री प्रसाद गोखले भी उपस्थित थे।

 

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