लखनऊ। 4 फ़रवरी 2024 श्री गुरु वशिष्ठ न्यास द्वारा आयोजित दो दिवसीय विचार दर्शन राम दरबार के दूसरे दिन समापन सत्र रामराज्य की ओर को संबोधित करते हुए अयोध्या जी के आचार्य मिथिलेश नंदिनी शरण जी ने कहा कि श्री राम हमारे देश के यथार्थ हैं आभास नहीं हैं। कभी अधर्म इतना शक्तिशाली नहीं हो सकता है कि वह धर्म को विस्थापित कर दे। धर्म की अनुपस्थिति में जो होता है वही अधर्म है। अयोध्या में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा को बहुत लोग झुठलाने की कोशिश करते हैं। यह केवल आस्था की प्रतिष्ठा नहीं है यह हमारे इतिहास और भूगोल दोनों की प्रतिष्ठा हुई है। अब हमें उन्हें अपने मन की अयोध्या में भी प्रतिष्ठित करें। क्योंकि वे हमें मनुष्यता सिखाने आये थे।
तोते अपने पंख बदलते हैं, पेड़ अपने पत्ते बदलते हैं। एक ऋतु में पतझड़ आता है और दूसरी ऋतु में वह पुष्पित और पल्लवित होते हैं। ऐसा ही हमारा सनातन धर्म है यह पुनर्नवा है। एक समय था जब पतझड़ की ऋतु थी अब फिर से बसंत आ गया है। हम फिर से राम राज्य की ओर बढ़ रहे हैं। नीति का अर्थ ले चलने की प्रवृत्ति, द्वन्द की अवस्था में विजय पाने की प्रवृत्ति ही नीति है। श्री राम की नीति क्या है जिससे वह लड़ रहे हैं जिसको उन्होंने मार दिया है उससे भी शत्रुता का भाव नहीं है। उनकी नीति ऐसी है कि मरता हुआ बालि भी अपने पुत्र को राम को सौंपते हैं।
उन्होंने रावण का भी राज्योचित अंतिम संस्कार करने के लिए विभीषण को प्रेरित किया। उनके भीतर शत्रुता का भाव नहीं है, वह विभीषण और सुग्रीव को मित्रता के भाव से अपनाते हैं। उनका रामत्व ऐसा है। श्री राम ने यह साबित किया है कि चरित्र का निर्माण राजधानियों में नहीं होता है बल्कि चरित्रों के बीच रहने से होता है। अब हम अयोध्या की ओर देखते हैं तो श्री राम दिखाई पड़ते हैं। इसलिए अब यह देश राम राज्य की ओर बढ़ चला है।
श्री राम को राज्य मिलने से पहले उनसे राज्य छीना जाता है। उन्होंने राज्याभिषेक से पहले के सभी शास्त्रीय परंपराओं का निर्वहन करते हैं। फिर उनके निर्वासन की लीला होती है। श्री राम को केवल दशरथ ही राजा नहीं बनाना चाहते थे बल्कि उन्हें अपनी राजसभा में प्रस्ताव रखा। उनके प्रस्ताव पर सभा स्थल पर उपस्थित मंत्री, ऋषि, गुरु प्रजाजन सभी हर्षित होते हैं। वह इस पर सवाल पूछते हैं कि ऐसा उत्साह मुझे हटाने का क्यों है? सभी लोग एक स्वर में कहते हैं पूरी अयोध्या में कोई ऐसा नहीं है जिसने राम के रामत्व को देखा नहीं है।
कैकेयी यह जानती थी कि बल पूर्वक राम को निर्वासित नहीं किया जा सकता है तो उन्होंने दशरथ की वचनबद्धता का सहारा लिया। दशरथ स्वयं राम से कहते हैं कि मैं विवश हूँ और विवशता के कारण अयोग्य हूँ तुम चाहो तो मुझे बंदी बना लो और राजा बन जाओ। इसके बाद भी वह निर्वासन स्वीकार करते हैं राज्य को त्यागते हैं। राज्यसभा सांसद लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने कहा कि आज देश में तुष्टिकरण की नहीं सन्तुष्टिकरण का शासन चल रहा है। कहा कि राजनेताओं को तो राम से सीखना चाहिए कि रावण के प्रति भी शत्रुता का भाव उनमें नहीं था। राम राज्य की कल्पना को आज की सरकार यथार्थ रूप में साकार कर रही है।
वरिष्ठ पत्रकार अनंत विजय ने कहा कि राम राज्य का मतलब समानता उससे समरसता फिर समृद्धि और उससे सद्भाव की ओर जाने की यात्रा है। कहा कि मार्क्सवादी इतिहासकार ईश्वर से भी ज़्यादा शक्तिशाली होते हैं। ईश्वर तो भविष्य और वर्तमान ठीक कर सकते हैं लेकिन मार्क्सवादी इतिहासकार अतीत भी सुधार सकते हैं। ऐसा सुधार या बेड़ागर्क उन्होंने भारतीय शब्दों और उनके अर्थों के साथ किया है। भारत एक संस्कृति वाला देश है जहां हम विविधताओं का उत्सव मनाते हैं लेकिन उन्होंने बहुलतावादी, अलग संस्कृति के रूप में प्रचारित और परिभाषित किया गया। जबकि वास्तविकता ठीक उलट है।
गंगा-जमुनी तहजीब के नाम पर भी ऐसा किया गया। हम अमीर ख़ुसरो को तो हिन्दी में पढ़ लेते हैं लेकिन निराला तो उर्दू में कहीं दिखते नहीं।ऐसा ही काम सिनेमा में किया गया है। यह छलात्कर हमारे मार्क्सवादी इतिहासकारों ने किया है। 1947 में देश स्वाधीन जरूर हुआ था अभी इसे स्वतंत्र होने यानी इन छलात्कारियों से मुक्ति में समय शेष है। अभी बालक राम प्रतिष्ठित हुए हैं रामराज्य की ओर आगे जाना बाक़ी है।
लेखक अमी गनात्रा ने कहा कि राम राज्य की ही कल्पना क्यों की जाती है? इसका कारण यह था कि राम की राज्य करने की प्रणाली सर्वश्रेष्ठ रही थी। महर्षि वाल्मीकि इसका वर्णन करते हुए कहते हैं कि रामराज्य में सब प्रसन्न थे, किसी को भूख की चिंता नहीं थी, चोरी चकारी का भय नहीं था सब अपने काम में लगे हुए थे संतुष्ट थे।
कार्यक्रम का संचालन पंकज पाठक और वरिष्ठ पत्रकार हर्ष वर्धन त्रिपाठी ने किया। इस अवसर पर श्री गुरु वशिष्ठ न्यास के अध्यक्ष प्रमोद मिश्रा, सचिव शैलेंद्र जायसवाल, न्यासी पुनीत श्रीवास्तव, मानस भूषण, अनुरंजन, इंद्र दमन, अनुराग तिवारी, अनुराग, सौरभ, मनीष शुक्ला समेत अन्य उपस्थित रहे।
2024 में तो मोदी की गारंटी चलेगी
– श्री गुरु वशिष्ठ न्यास द्वारा आयोजित श्री राम दरबार के दूसरे दिन बोले वक्ता
-मुद्दा विहीन और नेता विहीन है विपक्ष
– मोदी के सामने नहीं टिक रहा कोई नेता
लखनऊ। 4 जनवरी 2024 श्री गुरु वशिष्ठ न्यास द्वारा होटल सेंट्रम में आयोजित श्री राम दरबार परिचर्चा के दूसरे दिन प्रथम सत्र भारत का वर्तमान परिदृश्य को संबोधित करते हुए चुनाव विश्लेषक प्रदीप भंडारी ने कहा कि तीसरी बार ऐसा लग रहा है कि देश का चुनाव एकतरफा है। 2014 में मनमोहन सरकार के ख़िलाफ़ जनता में माहौल था। जिसके बाद नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनी। 2019 में मोदी के काम को लेकर जो माहौल बना था जिसके कारण 300 से ज़्यादा सीटों के साथ दोबारा भाजपा की सरकार बनी। आज राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा और मोदी की गारंटी चल रही है। विपक्ष नेतृत्वविहीन है कोई ऐसा नेता नहीं है जो मोदी के ख़िलाफ़ इंडी अलायंस का नेतृत्व कर सके।
पंजाब, केरल को छोड़ दें तो बीजेपी देश के हर एक राज्य में बढ़ रही है। 2009 से अबतक बीजेपी के बेस वोट में 15 करोड़ वोट जुड़े हैं। यह चुनाव दर चुनाव बढ़ रहा है। कांग्रेस का वोटबैंक स्थिर ही बना है।भाजपा उत्तर प्रदेश के प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने कहा कि आज नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश ही नहीं भारत का हर एक राज्य समग्रता से आगे बढ़ रहा है। हम समावेशी विकास के साथ सबका साथ और सबका विकास के मॉडल पर काम कर रहे हैं। हमारे सांस्कृतिक गौरव स्थल विकसित हो रहे हैं उनका पुराना वैभव लौट रहा है। यह केवल मंदिरों का जीर्णोद्धार नहीं है बल्कि एक नई इकॉनमी का सृजन हुआ है। जो विकसित भारत की यात्रा में मील का पत्थर साबित हुआ है।
प्रख्यात लेखक शान्तनु गुप्ता ने कहा कि आज का दौर भारत के लिए स्वर्णिम काल है। लोगों के जीवन में बदलाव आया है बदलाव सकारात्मक होता है तो भरोसा पैदा होता है। नरेंद्र मोदी ने यह भरोसा पैदा किया है। जिसके आगे दूर दूर तक कोई टिक नहीं रहा है। आपने बुंदेलखंड में महिलाओं को 15-15 किमी दूर से पानी लेकर आते नहीं देखा होगा। आपने खुले में शौच, रसोईं में धुएँ, घर में लालटेन का युग शायद देखा हो। मोदी ने यही बदल दिया है, जिसका लाभ उन्हें ज़ाहिर तौर पर मिल रहा है। उनकी गारंटी काम कर रही है।
कहा कि लोकसभा की 190 सीटें ऐसी हैं कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधी लड़ाई है। वहाँ बीजेपी का स्ट्राइक रेट 92 फ़ीसदी है। यानी 175 सीटें बीजेपी के पास हैं। अभी के माहौल में यह कम होने के आसार बिलकुल नहीं है।
दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रो. मनोज कुमार ने कहा कि आज माहौल बदल गया है। आज सुविधाजनक राजनीति वाला नैरेटिव काम नहीं कर रहा है। मोदी ने पॉलिटिक्स और इकोनॉमिक्स दोनों बदल दी है। लोगों का जीवन बदला है जिससे मोदी पर भरोसा बढ़ा है। कहा कि मोदी की राजनीति जात- पाँत से ऊपर है। मोदी नई जाति के नेता हैं वो महिला, किसान, गरीब और नौजवान हैं। मोदी ने इनके लिए काम किया है ये सभी मोदी के पीछे खड़े हैं।
22 जनवरी को पूरे भारत की आँखें राम प्रतिष्ठा से सजल थीं
– राम केवल भगवान नहीं बल्कि हर एक भारतीय के नायक हैं
– राम दरबार में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल अतिथियों ने सुनाये संस्मरण
दूसरे सत्र में अयोध्या में 22 जनवरी को भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में सम्मिलित विशिष्ट व्यक्तियों ने अपने संस्मरण सुनाए जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के प्रो. आनंद रंगनाथन ने कहा कि उनके लिए वह अद्भुत अवसर था जब मैं राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में जाने का अवसर आया। उस दिन सब भाव विह्वल थे, सबकी आँखों में अनायास की अश्रु धारा बह रही थी। 18-20 साल के युवा नाच और झूम रहे थे। वे ऐसा क्यों कर रहे थे? उनका इसके पीछे क्या मतलब था? लेकिन उनके माता पिताओं को नमन जिन्होंने भगवान राम को पीढ़ी दर पीढ़ी अपने बच्चों में जीवित रखा।
स्वतंत्र विश्लेषक और लेखक शेफाली वैद्य ने कहा कि भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले मुझे इज़रायल जाने का अवसर मिला था। वहाँ पर माहौल देखकर सबके मन में तनाव था, लेकिन जब हम अयोध्या में उतरे सब तनाव और चिंता ग़ायब हो गई। यह ऐसा अवसर था जो सहस्र वर्षों में एक बार आने वाला था। यह अवसर आनंद का था, लोग अपना दुख और दर्द भूल गए थे। आस्था का ऐसा ज्वार मैंने अपने जीवन में नहीं देखा था। सब राम की शरण में ख़ुद को सुरक्षित महसूस कर रहे थे।
वरिष्ठ पत्रकार स्वाति गोयल शर्मा ने कहा कि अयोध्या में 22 जनवरी को केवल आमंत्रित लोग ही नहीं लाखों ऐसे लोग भी अयोध्या में अपने आप आ गये थे जिन्हें किसी ने बुलाया नहीं था। वे सभी अपने राम से मिलने आये थे। लोग पैदल ही चले आ रहे थे, कोई भी अकेला नहीं था अयोध्या में आकर सब एक दूसरे से घुल मिल गए। किसी में कोई विभेद नहीं रह गया था। क्या राजा क्या रंक सब राम की धुन में रमे थे।
वरिष्ठ पत्रकार हर्ष वर्धन त्रिपाठी ने कहा कि यह अविस्मरणीय क्षण था। मैंने तो अयोध्या का अपना टिकट भी सहेज कर रख लिया है। हमने जब राम को छोड़ा था तो हमारा प्रदेश भी दरिद्रता की श्रेणी में था। हमने जब राम को आत्मसात् किया तो यह प्रदेश अग्रणी राज्यों में शुमार हो गया है। अयोध्या कैसे दरिद्रता से संपन्नता की ओर बढ़ चली यह हमने 4 दिन में देखा था। लाखों का जमावड़ा लगा था लेकिन कोई भी ख़ुद को असुरक्षित महसूस नहीं कर रहा था, सब आह्लादित और मर्यादित थे। सबके नैन सजल थे।
वरिष्ठ पत्रकार अशोक श्रीवास्तव ने कहा कि मैं 6 दिसंबर को भी अयोध्या था, 22 जनवरी को भी अयोध्या में था। भावनाओं का ज्वार दोनों समय अपने उफान पर था लेकिन, 22 को सबके मन में संतोष था। जैसे ही भगवान बालक राम की प्रतिमा का अनावरण हुआ, उसे देखते ही सभी आश्चर्यचकित थे। मेरी यूनिट के ज़्यादातर सदस्य उसे देखकर रो रहे थे। वह प्रतिमा जीवंत थी, उसमें भगवान का वास था।
लेखक अमी गनात्रा ने कहा कि सब राम मय थे सबमें राम थे। सारा भारत उस दिन अयोध्या में था। लेखक शान्तनु गुप्ता ने बताया कि उस अविस्मरणीय क्षण की व्याख्या शब्दों में नहीं की जा सकती। वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप भंडारी ने कहा कि ईश्वरीय अनुभव को शब्दों में नहीं बांधा जा सकता है।
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद
वैभव सिंह ने कहा कि भारत राष्ट्र के रूप में एक ज़मीन का टुकड़ा भर नहीं है।
वरिष्ठ पत्रकार अशोक श्रीवास्तव ने कहा कि नेशन और राष्ट्र दो अलग-अलग शब्द हैं। एक का अर्थ भौगोलिक संरचना से है दूसरा एक सांस्कृतिक संरचना है। राष्ट्र एक सांस्कृतिक संरचना है जहां विभिन्न जाति, वर्ग और समाज के लोग एकसमान सांस्कृतिक मूल्य को लेकर एक साथ रहते हैं। तमाम विविधताओं के बाद भी यह एकता भारत को राष्ट्र की श्रेणी में रखती है। बाक़ी दुनिया देश है जहां एक रेस, कास्ट और रिलिजन को मानने वाले लोग एक साथ रहते हैं।
भारत को उसकी सांस्कृतिक विरासत ही है जो पूरे देश को जोड़ती है, सबको साथ रखती है, समाहित और समावेशित करती है। वह संस्कृति सनातन संस्कृति है इसलिए हमें अपनी संस्कृति और उसके संस्कारों का संरक्षण करने की ज़रूरत है। प्रो. आनंद रंगनाथन ने कहा कि अभी राम दरबार लगा है, आगे शिव और कृष्ण का भी दरबार लगाना पड़ेगा। कहा कि हमारी संस्कृति विश्व के कल्याण की है। हमने कोविड के दौरान यह दिखाया और दुनिया ने भारत की सहृदयता की भूरी भूरी प्रशंसा की।
शेफाली वैद्य ने कहा कि भारत समग्र रूप से एक सांस्कृतिक राष्ट्र है। जहां सभी समाज, जाति और रंग के लोग एक संस्कृति को मानते हैं। कुंभ में पूरे देश के लोग प्रयागराज में पूजा अर्चना के लिए आते हैं। यह आज थोड़े हो रहा है यह हज़ारों वर्षों से हो रहा है। अलग भाषा, अलग वेश और भोजनशैली के बाद भी सब एक हैं। अयोध्या, मथुरा, काशी, काँची, उज्जैन और अन्य तीर्थ स्थलों पर पूरे भारत के लोग जाते हैं। इसलिए भारत विविधताओं के बाद भी एक है।
मंदिर भारत की अर्मनिर्भरता के लिए महत्वपूर्ण है: हितेश शंकर
– राम मंदिर से यूपी और भारत के आर्थिक विकास को मिलेगी रफ़्तार
– डिजिटलीजेशन सशक्त और आत्मनिर्भर भारत की पहचान: रमणीक मान
– आज भारत की शर्तों पर देश में हो रहा विदेशी निवेश नीरवा मेहता
तीसरे सत्र आत्मनिर्भर भारत को संबोधित करते हुए ऑर्गनाइज़र के संपादक प्रफुल्ल केतकर ने कहा कि भारत में जब जब मंदिर गिरे हैं इकॉनमी भी गिरी है। केवल काशी कॉरिडोर बनने के तीन महीने के भीतर ही वाराणसी से ही 900 करोड़ का जीएसटी सरकार को मिल गया, इतनी ही लागत कॉरिडोर को बनाने में आई थी। अयोध्या में मंदिर बनने से ही वहाँ यूनिवर्सिटी, हॉस्पिटल, मेडिकल कॉलेज और इंटरनेशनल एयरपोर्ट बन गया। यह मंदिर की ही ताक़त हैं , भारत में आध्यात्मिकता और आर्थिक उद्यमिता एक दूसरे के पूरक हैं। कहा कि आज का भारत अपनी ताक़त और कमजोरी दोनों को पहचानता है। कमज़ोरियों को ठीक करते हुए वह आगे बढ़ने की ताक़त भारत में है। मोदी इसे पहचानते हैं इसलिए उन्होंने पहले भारत और उसके अलग-अलग राज्यों की पहचान की पुनर्स्थापना की। इसी कारण भारत आज आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है।
हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी के महासचिव और विचारक रमणीक मान ने कहा कि आज नरेंद्र मोदी ने भारत के हर घर में बिजली पहुँचा दी है। हर गरीब के सिर पर छत हो, उसके घर में गैस चूल्हा हो, उसके घर में शौचालय हो यह काम एक अडिग सोच रखने वाला व्यक्ति ही कर सकता है। उन्होंने कहा कि डिजिटलीजेशन की दिशा में भारत की गति विश्व की गति से आगे है। आज रेहड़ी पटरी वाला भी यूपीआई से पेमेंट लेता और देता है। आज दुनिया यूपीआई कि दीवानी है। आज भारत रक्षा, फ़ार्मा, एग्री, ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में लीडर बनकर उभरा है। आज भारत आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ चला है आज का भारत सशक्त भारत है।
वरिष्ठ पत्रकार नीरवा मेहता ने कहा कि आज भारत के हर राज्य में बड़े पैमाने पर इन्वेस्टमेंट हो रहे हैं वह भी भारत की शर्तों पर। विदेशी कंपनियाँ भारत में अपने प्लांट लगा रही हैं। बहुत से विदेशी निवेशक भारत आ रहे हैं। आज घाटे का सौदा मानी जाने वाली कृषि में भी खूब नवाचार और निवेश हो रहे हैं। स्वराज्य मैगजीन की संपादक स्वाति गोयल शर्मा ने कहा कि आज भारत नकारात्मक विचारों और कुरीतियों को छोड़कर आगे बढ़ चुका है। आज भारत और भारतीयता को लेकर लोग गर्व महसूस कर रहे हैं।