(शाश्वत तिवारी): भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के बीच द्विपक्षीय निवेश संधि से आने वाले वर्षों के दौरान देश में नए रोजगार के अवसर बढ़ने की उम्मीद है। इससे न केवल भारत में विदेश निवेश बढ़ेगा, बल्कि भारतीय कंपनियों को यूएई में अपना व्यवसाय विस्तारित करने में भी मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को भारत और यूएई सरकार के बीच द्विपक्षीय निवेश संधि पर हस्ताक्षर एवं पुष्टि को अपनी अंतिम अनुमति दे दी है।
विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने इस पर खुशी व्यक्त करते हुए सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा भारत और यूएई के बीच द्विपक्षीय निवेश संधि पर हस्ताक्षर और अनुसमर्थन को मंजूरी मिल गई है। संधि से निवेशकों के विश्वास में सुधार और विदेशी निवेश तथा विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के अवसरों में वृद्धि की उम्मीद है। इस संधि से बड़े निवेशकों को अपना व्यापार बढ़ाने में मजबूती मिलेगी, जिसके परिणामस्वरूप न केवल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) बल्कि विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (ओडीआई) के अवसरों में भी वृद्धि होगी और इसका रोजगार सृजन पर एक सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
एफडीआई किसी देश की एक कंपनी या व्यक्ति द्वारा दूसरे देश में स्थित व्यावसायिक गतिविधियों में किया गया निवेश होता है, जबकि ओडीआई एक ऐसी व्यावसायिक रणनीति है, जिसमें एक घरेलू कंपनी अपने परिचालन का विस्तार अन्य देश में करती है। संधि पर कैबिनेट की मुहर के बाद केंद्र सरकार ने एक बयान में कहा इस अनुमति से भारत में निवेश बढ़ने की उम्मीद है और घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहित करके, आयात पर निर्भरता को कम करके, निर्यात बढ़ाकर ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लक्ष्य को साकार करने में मदद मिलने की संभावना है।